पोषक तत्वों से भरपूर पशु आहारों में नेपियर घास (Napier Grass) का दर्ज़ा सबसे ऊपर है

ये बहुत तेज़ी से बढ़ती है, इसलिए इसे ‘हाथी घास’ भी कहते हैं

नेपियर हाईब्रिड घास को सबसे पहले अफ्रीका में तैयार किया गया

साल 1962 में दिल्ली के पूसा कृषि संस्थान ने इसका हाइब्रिड तैयार कर इसे पूसा जाइंट का नाम दिया

नेपियर घास की खेती हर तरह की मिट्टी में होती है। इसे ज़्यादा सिंचाई की ज़रूरत नहीं होती

कम पानी और मिट्टी से कम पोषक तत्वों की अपेक्षा रखने वाली नेपियर भूमि संरक्षण के लिए उपयुक्त है

किसान नेपियर घास की खेती कर नगदी फ़सल वाली कमाई भी हो सकते है

पूसा जायंट, NB-21, CO-1, CO-3, IGFRI-3, IGFRI-6, IGFRI-7, IGFRI-10, यशवन्त, स्वातिका, गजराज, संकर-1, संकर-2 और शक्ति किस्में हैं

भारत में 1912 में तमिलनाडु के कोयम्बटूर में नेपियर हाइ ब्रिड घास उगाई गई