प्रकृति की व्यवस्था के साथ जुड़कर काम करना प्राकृतिक खेती का हिस्सा है
प्राकृतिक खेती का एक अह्म सिद्धांत रिसाइकलिंग है
अनाज के अपशिष्ट और गोबर से वो चार खाद बनाते हैं
एक डीएपी का विकल्प है, जिसमें रॉक फॉस्फेट पाउडर और गोबर को कंपोस्ट कर तैयार होता है
दूसरा पोटैशियम का ऑप्शन है जिसे अनाज अपशिष्ट और नमक कंपोस्ट करके बनाया जाता है
तीसरा यूरिया का विकल्प है, इसमें जितने भी हरे अपशिष्ट होते हैं उसे पानी में डालकर गलाया जाता है
चौथा माइक्रो न्यूट्रिएंट्स के रूप में गुड़,उड़द दाल आटा,गोमूत्र,सरसों की खली में गोबर मिलाकर मटके में घोल तैयार करते है
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