व्यावसायिक खेती में प्रति एकड़ 25-30 क्विंटल रसभरी की पैदावार मिलती है
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग जैसे ड्राई और फ़्रोजन फ़्रूट्स, सॉस, प्यूरी, जेम, जूस, हर्बल चाय में रसभरी की मांग है
सह-फसली खेती के लिए रसभरी एक अच्छा विकल्प है, बशर्ते, बाक़ी फसलें रसभरी के पकने से पहले काटी जाएं
इसे सन्तरे के बाग़ में भी उगा सकते हैं, वहीं पत्तागोभी, फूलगोभी, सौंफ, बैंगन, टमाटर, मिर्च के साथ खेती कर सकते हैं
रसभरी वैसे तो मौसमी फल है, लेकिन नयी तकनीक से विकसित इसकी कई किस्में बारहमासी भी हैं
इसका रस खूब खट्टा होता है, इसे मकोय, चिरपोटी, पटपोटनी और केप गुसबेरी भी कहते हैं
इसका वानस्पतिक नाम Physalis peruviana है, प्रोटीन, विटामिन ‘सी’ और ‘ए’, कैटोरिन एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं
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