खेती-किसानी और किसानों को भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाता है और हो भी क्यों न! कोरोना काल के दौरान कृषि एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा, जिसने देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूती से पकड़े रखा। 2020 में भारत की जीडीपी में जहां 7.5% की गिरावट दर्ज की गई, कृषि क्षेत्र की ग्रोथ 3.4 फ़ीसदी बढ़ी। किसानों के इन्हीं अथक प्रयासों और योगदान को सम्मान देते हुए, 2001 में किसान दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। भारत के 5वें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस को किसान दिवस (Kisan Diwas) के रूप में मनाया जाता है। उन्हें भारतीय किसानों की स्थिति में सुधार लाने का श्रेय जाता है। किसान दिवस 2021 (Kisan Diwas 2021) के इस ख़ास दिन पर आज हम आपको राजस्थान की एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जो खरगोश पालन करते हुए अपने क्षेत्र की महिलाओं के उत्थान के लिए काम कर रही हैं।
कई लोग शौकिया तौर पर अपने घर में खरगोश पालते हैं, मगर क्या आप जानते हैं खरगोश पालन एक व्यवसाय बनकर भी उभर सकता है? इस बात का उदाहरण पेश किया है राजस्थान के माउंट आबू की रहने वाली मंजूषा सक्सेना ने। मंजूषा सक्सेना करीबन 15 साल से खरगोश पालन से जुड़ी हैं। किसान ऑफ़ इंडिया से ख़ास बातचीत में मंजूषा ने खरगोश पालन से जुड़ी कई अहम बातें साझा कीं।
खरगोश पालन क्यों चुना?
माउंट आबू (Mount Abu) एक इको-सेन्सिटिव ज़ोन है यानी पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में आता है। वहां कोई इंडस्ट्री या कारखाने वगैरह नहीं है। किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में मंजूषा ने कहा कि उन्होंने एक ऐसे व्यवसाय की तलाश करनी शुरू की, जो पर्यावरण के अनुकूल हो और लोगों को रोज़गार भी दे। इसी दौरान उन्हें खरगोश पालन के बारे में पता चला। इसके बाद उन्होंने रैबिट फार्मिंग पर जानकारी जुटानी शुरू की। 2006 में मंजूषा सक्सेना ने अंगोरा वुलन प्रॉडक्ट्स (Angora Woolen Products) के नाम से Rabbit Farm शुरू किया।
मंजूषा करती हैं खरगोश की जर्मन अंगोरा नस्ल का पालन
मंजूषा बताती हैं कि उनके ज़हन में हमेशा से था कि ऐसे कारोबार की शुरुआत की जाए जिसमें जानवरों को तकलीफ़ न हो। उनके साथ कोई दुर्व्यवहार न हो। इसके लिए उन्होंने खरगोश पालन में मीट के व्यवसाय को न चुनकर, कुटीर उद्योग (Cottage Industry) को चुना। अंगोरा नस्ल के खरगोश के बाल, ऊनी कपड़े बनाने के लिए इस्तेमाल में लाए जाते हैं।
2006 में मंजूषा 5 से 6 खरगोश हिमाचल से माउंट आबू लेकर आईं। इसमें खरगोश खरीद और ट्रांसपोर्टेशन से लेकर चारे का कुल मिलाकर दो महीने में करीब 60 हज़ार रुपये का खर्चा आया। इस दौरान उन्होंने देखा कि इस नस्ल के खरगोशों के लिए माउंट अबू की जलवायु एकदम अनुकूल है। मंजूषा बताती हैं कि अंगोरा नस्ल के खरगोश 35 डिग्री से अधिक के तापमान में ज़्यादा दिन तक जीवित नहीं रह पाते।
2008 में बढ़ाया कारोबार
2008 में अपने कुटीर उद्योग का विस्तार करते हुए उन्होंने 40 अंगोरा खरगोश और खरीदे। एक अंगोरा खरगोश की कीमत करीबन हज़ार रुपये के आसपास पड़ी। हैंडलूम का सेटअप फ़ार्म में लगवाया। क्षेत्र की कई आदिवासी और गरीब महिलाओं को अपने कुटीर उद्योग से जोड़ा। NABARD की एक योजना के अंतर्गत करीबन 25 महिलाओं को ऊनी उद्योग की ट्रेनिंग मुहैया कराई। Ministry of Textile की तरफ से भी मंजूषा सक्सेना को प्रोत्साहन मिला। ट्रेनिंग के लिए फंडिंग मिली। वो अब तक करीबन 60 से 70 महिलाओं को हैंडलूम की ट्रेनिंग मुहैया करवा चुकी हैं।
इससे पहले 2007 में Abu Agro Products के नाम से एक कोऑपरेटिव सोसाइटी का गठन किया। सेटअप को खड़ा करने में 5 से 6 लाख का खर्चा आया। सेटअप के फंडिंग की व्यवस्था कोऑपरेटिव सोसाइटी के सदस्यों ने मिलकर की।
अंगोरा खरगोश के बाल से बने ऊन की क्या होती है खासियत?
अंगोरा खरगोश का ज़िक्र करते हुए मंजूषा ने बताया कि ये स्वभाव से बड़े शांत होते हैं। भेड़ के बाल से ऊन सामान्य तौर पर बनता ही है, अंगोरा के बाल से बने ऊन की क्वालिटी एकदम अलग होती है। अंगोरा खरगोश का ऊन मुलायम और बारीक होता है। इसके ऊन से बनाए गए कपड़ों की पूरी दुनिया में बड़ी डिमांड रहती है।
कटाई के कितने दिनों बाद आ जाते हैं अंगोरा खरगोश के बाल?
मंजूषा बताती हैं कि कटाई के 24 घंटे के बाद ही इनके बाल आना शुरू हो जाते हैं। कटाई के लिए इनके बाल 75 दिन में तैयार हो जाते हैं, और ज़्यादा से ज्यादा 90 दिन के अंदर ही इनके बालों की कटाई शुरू हो जाती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कटाई करने में देरी होने पर इनके बाल आपस में चिपकना शुरू हो जाते हैं। खरगोश की त्वचा से भी बाल चिपकने लगते हैं। इससे त्वचा पर हवा नहीं लग पाती और इसका असर खरगोश के स्वास्थ्य पर पड़ता है। उनकी आयु कम होने का डर रहता है।
अंगोरा खरगोश की ब्रीडिंग कैसे होती है?
इस विषय पर भी मंजूषा सक्सेना ने विस्तार से हमसे बात की। उन्होंने बताया कि वो चार से पांच महीने में खरगोश की ब्रीडिंग करवाती हैं। इसके लिए उनके क्षेत्र के हिसाब से फरवरी और अक्टूबर के महीने सबसे सही होते हैं। अंगोरा खरगोश की गर्भावस्था अवधि 30 से 35 दिनों की रहती है। एक मादा खरगोश एक बार में लगभग तीन से पांच बच्चों को जन्म देती है।
बालों की कटाई के बाद कितने दिनों में तैयार होता है ऊन?
मंजूषा कहती हैं कि खरगोशों के बाल काटने के बाद उन बालों को हिमाचल प्रदेश भेजा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहीं खरगोश के बालों से ऊन का उत्पादन किया जाता है। फिर तकरीबन डेढ़ महीने बाद बालों से तैयार किया गया ऊन उनके पास पहुंचता है। मंजूषा अपने अंगोरा वुलन प्रॉडक्ट्स फ़ार्म में शॉल, स्टोल, मफ़लर, टोपी, स्वेटर और स्कार्फ जैसे प्रॉडक्ट्स तैयार बनाती हैं। उनके फ़ार्म में अक्सर टूरिस्ट भी आते हैं।
अंगोरा खरगोश के बालों की कीमत
अंगोरा खरगोश के बाल 1600 से लेकर 2200 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकते हैं। मंजूषा बताती हैं कि इनके बालों की कीमत बाज़ार की मांग पर निर्भर करती है। बाज़ार में प्रति किलो का कम से कम 1600 रुपये दाम तो रहता ही है। एक खरगोश से 100 से 300 ग्राम ऊन का उत्पादन हो जाता है।
खरगोश के बाल से बने उत्पादों का कैसा है बाज़ार?
मंजूषा बताती हैं कि अगर आपका प्रॉडक्ट बनाने का तरीका अलग होगा, तो उसका दाम भी अच्छा मिलेगा। इसीलिए उन्होंने खरगोश के बाल से बने ऊन को ही अपने कुटीर उद्योग के लिए चुना। उनके फ़ार्म में तैयार की गई एक टोपी और स्कार्फ की कीमत 600-600 रुपये, लेडीज़ शॉल के एक प्लेन पीस की कीमत 2500 रुपये तक रहती है। इसके अलावा, दूसरे डिज़ाइन और रंगों वाले कपड़ों के दाम बदलते रहते हैं।
अंगोरा के बाल से बने ऊन का रंग ऑफ़ व्हाइट होता है। कस्टमर की मांग के हिसाब से प्लेन ऑफ़ व्हाइट के अलावा, कलरफुल प्रॉडक्ट्स भी तैयार किये जाते हैं। कस्टमर के हिसाब से इसको सेट किया जाता है।
कहां से खरीदें अंगोरा नस्ल के खरगोश?
मंजूषा बताती हैं कि जो लोग खरगोश पालन के कुटीर उद्योग से जुड़ना चाहते हैं वो केंद्रीय भेड़ और ऊन अनुसंधान संस्थान (CSWRI) के हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, गड़सा स्थित उत्तर समशीतोष्ण क्षेत्रीय स्टेशन (NTRS) से संपर्क कर सकते हैं। यहाँ ट्रेनिंग देने के साथ ही खरगोश भी उपलब्ध कराए जाते हैं।
अंगोरा नस्ल के पालन में किन बातों का रखें ध्यान?
जो लोग खरगोश पालन कर कुटीर उद्योग से जुड़ना चाहते हैं उनके लिए मंजूषा की सलाह है कि इस नस्ल के पालन के लिए ठंडी जलवायु होना बहुत ज़रूरी है। मंजूषा ने बताया कि अंगोरा खरगोशों के शरीर में बालों की वजह से गर्मी पहले से ही ज़्यादा होती है। ऐसे में ज़्यादा तापमान वाली जगहों में उनके जीवित रहने की दर बहुत कम रह जाती है। उधर अंगोरा के आहार में हरी घास और पत्तियों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि ये एक शाकाहारी जीव है। इसके लिए दूब, लूसरन, बरसीम और पालका की घास अच्छी होती है। इसके अलावा चुकंदर, गाजर, बंदगोभी को बड़े चाव से ये खाते हैं।
खरगोश पालन के लिए कहां से ले सकते हैं लोन?
इसको लेकर मंजूषा सक्सेना ने जानकारी दी कि जो खरगोश पालन में रुचि रखते हैं, वो सब्सिडी या लोन के लिए अपने ज़िले के NABARD कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। एरिया मैनेजर आपको इसको लेकर जानकारी देते हैं और पूरी मदद करते हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- Lady Finger Varieties: भिंडी की 10 उन्नत किस्में, जिसे लगाकर किसान कर सकते हैं लाखों की कमाईभिंडी की खेती हर मिट्टी और मौसम में होती है लेकिन दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 6 से 6.8 हो, और गर्म जलवायु हो तो सबसे अच्छी पैदावार होती है।
- Greenhouse Farming Techniques: ग्रीनहाउस खेती क्या है? सब्सिडी से लेकर प्रशिक्षण तक जानें सब कुछइतिहास की किताबों के अनुसार, रोमन किंग टाइबेरियस ककड़ी जैसी दिखने वाली सब्जी रोज़ खाते थे, रोमन किसान सालभर इसे उगाते थे, जिससे वो सब्जी उनकी खाने की प्लेट में हमेशा रहे। ये सब्जी ग्रीनहाउस तकनीक के ज़रिये ही उगाई जाती थी।
- Modern Farming Methods: खेती की आधुनिक तकनीकें जिसे अपनाकर किसान कर सकते हैं सफ़ल खेतीआज के इस मॉर्डन युग में तकनीक का इस्तेमाल हर क्षेत्र में बढ़ा है, ऐसे में भला कृषि कैसे इससे पीछे रह सकती है। आधुनिक तकनीकों से लेकर उपकरणों तक के इस्तेमाल ने किसानों के लिए खेती को न सिर्फ आसान बना दिया है, बल्कि इसे अधिक मुनाफे का सौदा बना दिया है।
- Rice Bran Oil vs Sunflower Oil: जानिए राइस ब्रान ऑयल-सनफ्लॉवर ऑयल में अंतर और ख़ूबियों के साथ इसका बाज़ारराइस ब्रान ऑयल को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार नेफेड के फोर्टिफाइड ब्रैन राइस ऑयल को ई-लॉन्च किया है।राइस ब्रैन ऑयल की मार्केटिंग सभी नेफेड स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफार्म पर हो रही है।वहीं साल 2024-2032 के दौरान इंडियन सनफ्लावर ऑयल मार्केट 7 फीसदी की CAGR प्रदर्शित करेगा।
- Lemongrass: जानिए लेमनग्रास की खेती में जुड़ी अहम बातें प्रोफ़ेसर डॉ. पंकज लवानिया से, उत्पादन से लेकर प्रोसेसिंग तकबुंदेलखंड जैसे इलाके में जहां पानी की समस्या है और बड़ी मात्रा में ज़मीन बंजर पड़ी रहती है, लेमनग्रास की खेती यहां के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इसकी खेती कम पानी में भी आसानी से की जा सकती है।
- Eucalyptus Farming: सफेदा की क्लोनल किस्मों से किसान कर सकते हैं बढ़िया कमाई, जानिए खेती की तकनीकसफेदा की खेती लकड़ी के लिए की जाती है। इसकी लकड़ी का उपयोग बड़े सामान की लदाई करने वाली पेटियां बनाने के साथ ही ईंधन, फर्नीचर, हार्डबोर्ड और पार्टिकल बोर्ड बनाने में किया जाता है। इसकी मांग हमेशा ही रहती है।
- कैसे औषधीय पौधों की खेती पर किसानों की मदद करता है ये कृषि विश्वविद्यालय, प्रोफ़ेसर विनोद कुमार से बातचीतबुंदेलखंड के किसानों को पारंपरिक खेती के अलावा औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रेरित करने के मकसद से झांसी के रानी लक्ष्मीबाई कृषि विश्वविद्यालय में औषधीय पौधों का उद्यान बनाया गया है।
- Aeroponic Technique से बंद कमरे में केसर की खेती, हिमाचल के गौरव ने इंटरनेट से सीख कर शुरू किया केसर उत्पादनगौरव Aeroponic Technique से केसर की खेती करते हैं। इस तकनीक में बंद कमरे में केसर को उगाते हैं। बंद कमरे में कश्मीर के वातावरण को बनाने की कोशिश करते हैं। ये तकनीक मिट्टी रहित होती है।
- Soil Health Management: मिट्टी की जांच से जुड़ी ये बातें जानते हैं आप? मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन कितना ज़रूरी?आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि नींव मज़बूत होगी, तभी तो मज़ूबत इमारत बनेगी। ठीक इसी तरह मिट्टी की सेहत अच्छी रहेगी, तभी तो अधिक उपज प्राप्त होगी। रसायनों के बढ़ते इस्तेमाल से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति लगातार घट रही है, ऐसे में इसकी सेहत बनाए रखने के लिए मृदा प्रबंधन बहुत ज़रूरी… Read more: Soil Health Management: मिट्टी की जांच से जुड़ी ये बातें जानते हैं आप? मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन कितना ज़रूरी?
- Crop Rotation Strategies: खेती में फसल चक्र की कितनी अहम भूमिका? डॉ. राजीव कुमार सिंह ने दिया IFS Model का उदाहरणखेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसानों को इसकी कुछ बुनियादी नियमों के बारे में पता होना चाहिए। जैसे कि फसल चक्र। ये मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार और उत्पादन बढ़ाने के लिए बहुत ज़रूरी है, मगर बहुत से किसान इस नियम को भूलकर लगातार एक ही फसल उगा रहे हैं जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।
- क्या हैं Urban Farming Trends? कैसे शहरी खेती बन रही कमाई का ज़रिया?जब शहरों में लोग अपने शौक से थोड़ा आगे बढ़कर घर की छत, बालकनी, कम्यूनिटी गार्डन और घर के नीचे की जगह या घर के अंदर की खाली जगह में वर्टिकल गार्डन बनाकर खेती करने लगते हैं, तो इसे ही शहरी खेती कहा जाता है।
- Integrated Pest Management: क्यों एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM तकनीक) फसलों के लिए है ज़रूरी? जानिए विशेषज्ञ सेखेती की लागत को कम करने और इसे ज़्यादा लाभदायक बनाने के लिए प्रमाणित व उपचारित बीजों का इस्तेमाल, सही मात्रा में उर्वरकों के उपयोग और सिंचाई की उचित व्यवस्था के साथ ही एकीकृत कीट प्रबंधन यानि Integrated Pest Management भी ज़रूरी है।
- Agriculture Equipment : Bed Maker Machine किसानों के लिए है कितनी उपयोगी और मिलेगी कितनी Subsidy?मल्टी पर्पस Bed Maker Machine किसानों के समय की बचत करने के साथ-साथ उनकी आमदनी बढ़ाने में मदद करती है।
- Fish Farming Business: मछली पालन व्यवसाय से जुड़ी अहम जानकारी, जानिए क्या है विशेषज्ञों और अनुभवी मछली पालकों की राय?मछली पालन उद्योग का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। देश के मछुआरों और मछली पालन उद्योग एक बड़े सेक्टर के रूप में उभर कर आया है। भारतीय मत्स्य पालन की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1980 के दशक में जो मछली उत्पादन 36 फ़ीसदी था, वो बढ़कर आज के वक्त में 70 फ़ीसदी पर पहुंच गया है। जानिए मछली पालन से जुड़े अहम बिंदुओं के बारे में।
- Ragi Crop: रागी की फसल से क्या-क्या तैयार किया जा सकता है? रागी की खेती से जुड़ी अहम जानकारीरागी की फसल (Ragi Crop) मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में सबसे ज़्यादा खेती होती है। केरल, कर्नाटक राज्यों में इसे मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है।
- Sindoor Plant: सिंदूर की खेती कैसे होती है? सिंदूर के पौधे से क्या-क्या बनता है और कहां से लें ट्रेनिंग?आपने अभी तक कई चीज़ों की खेती के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या कभी सिंदूर की खेती के बारे में सुना है? कम ही लोग जानते हैं कि सिंदूर का पौधा भी होता है, जिससे ऑर्गेनिक लाल रंग का सिंदूर बनता है। साथ ही और कई उत्पाद बनाए जाते हैं। जानिए सिंदूर का पौधा कैसे उगाया जाता है और सिंदूर की खेती से जुड़ी अहम जानकारियां सीधा एक्सपर्ट से।
- Agriculture Drone क्या है? कृषि ड्रोन में सब्सिडी के लिए कौन सी योजनाएं चलाई जा रही हैं?Agriculture Drone की खरीद के लिए महिला समूह को ड्रोन की कीमत का 80 प्रतिशत या अधिकतम 8 लाख रुपये तक की मदद दी जा रही है। योजना के तहत SC-ST, छोटे व सीमांत, महिलाओं और पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को ड्रोन का 50 प्रतिशत या अधिकतम 5 लाख रुपये अनुदान दिया जा रहा है।
- कैसे महुआ के उत्पाद बनाकर महिलाओं के इस समूह ने कमाल किया है? Bastar Foods आज बना ब्रांडमहुआ एक तरह का फूल है जिसमें बहुत ही तेज़ महक होती है, आमतौर पर इसे शराब बनाने के लिए जाना जाता है, लेकिन अब इससे कई तरह की स्वादिष्ट और हेल्दी चीज़ें बनाई जा रही हैं। जानिए कैसे महुआ के उत्पाद (Mahua Products) बनाकर बस्तर की गुलेश्वरी ठाकुर और उनकी टीम ने इससे लाखों का बिज़नेस खड़ा कर दिया है।
- अगरवुड पेड़ की खेती (Agarwood Farming): सोने-हीरे से भी ज़्यादा महंगी अगरवुड की लकड़ी!अगरवुड पेड़ की खेती में एक एकड़ में 400 से 450 पौधे लग सकते हैं। 12 फ़ीट चौड़ाई और 10 फ़ीट लंबाई की दूरी पर पौधे को रोपना चाहिए। अगरवुड प्लांट की कीमत 200 रुपए होती है।
- Rose Varieties: छत पर उगा दी गुलाब की 150 किस्में, जानिए Terrace Gardening की टिप्स अनिल शर्मा सेफूलों की सुंदरता भला किसे आकर्षित नहीं करती, मगर हर कोई इसे घर में उगा नहीं पाता है। क्योंकि इसमें मेहनत लगती है, मगर झांसी के अनिल शर्मा ने अपने शौक को पूरा करने के लिए एक दो नहीं, बल्कि छत पर 700 गमले लगाए हुए हैं। जानिए उनसे गुलाब की किस्मों से लेकर Terrace Gardening के टिप्स।