Poultry Health Management: पोल्ट्री की देखभाल और प्रबंधन कैसे करें? जानिए कुछ प्रभावी टिप्स
पोल्ट्री स्वास्थ्य प्रबंधन (Poultry Health Management) रोगों से बचाव, उत्पादकता बढ़ाने, गुणवत्ता सुधारने और आर्थिक नुकसान कम करने के लिए ज़रूरी है।
पशुपालन के क्षेत्र में सफलता के लिए सुझाव और तकनीकों का अन्वेषण करें। अपने पशुओं की सेहत और कर्णप्रियता को बढ़ाने के लिए विशेषज्ञ सलाह और जानकारी। किसान ऑफ इंडिया पर हमारे गाइड के साथ पशुपालन की दुनिया में आगे बढ़ें।
पोल्ट्री स्वास्थ्य प्रबंधन (Poultry Health Management) रोगों से बचाव, उत्पादकता बढ़ाने, गुणवत्ता सुधारने और आर्थिक नुकसान कम करने के लिए ज़रूरी है।
भेड़ पालन में सफलता के लिए साफ-सुथरा और सुरक्षित आवास, पोषक आहार और नियमित टीकाकरण, ज़रूरी है। यहां हम भेड़ पालन के टिप्स (Sheep Farming Tips) शेयर कर रहे हैं।
पशुओं की खुराक में पोषण संतुलन (Nutritional Balance In Livestock Feed) उनकी सेहत, उत्पादकता, रोग प्रतिरोधकता और पशुपालकों के आर्थिक विकास के लिए ज़रूरी है।
पशुओं के लिए संतुलित आहार (Balanced Diet For Livestock) से पशुपालक न केवल लागत में कमी ला सकते हैं, बल्कि दूध का भी बंपर उत्पादन भी ले सकते हैं।
संतुलित आहार, स्वच्छता, टीकाकरण, उचित आवास, नियमित जांच, और प्रजनन प्रबंधन से उच्च बकरी पालन सुनिश्चित होता है। बकरी पालन की उन्नत विधियां कई तरह की हैं।
पशुओं के स्वास्थ्य, सही विकास और उत्पादकता का पूरी क्षमता से इस्तेमाल करने के लिए पशुओं के लिए आश्रय प्रबंधन का होना ज़रूरी है।
अरुणाचल प्रदेश के मोनभाई थामोउंग ने आधा एकड़ ज़मीन पर अपने पशुपालन फ़ार्म
में एकीकृत पशुपालन (Integrated Livestock Farming) का तरीका अपनाया।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग ज़िले के पथरिया (डोमा) गांव में मत्स्य पालन विभाग ने बायोफ्लॉक तकनीक (Biofloc Technique) से पहला फ़िश फार्म (Fish Farm) स्थापित किया।
ऑर्नामेंटल फिश यानि सजावटी मछली (Ornamental Fish) आमदनी का अच्छा ज़रिया बन सकता है, यही नहीं इसे अगर सही तरीके
हमारे देश में खेती के अलावा मछली पालन भी किसानों की आमदनी का मुख्य ज़रिया है। रोहू मछली का सही
उन्नत नस्ल की देसी गायों को पालने पर दूध का उत्पादन अन्य देसी गायों के मुक़ाबले अधिक होता है। ज़ाहिर है, इससे आपकी आमदनी भी बढ़ेगी। एक बात का ध्यान ज़रूर रखें। हर क्षेत्र के हिसाब से कौन सी देसी गाय उन्नत नस्ल की है, इसकी पूरी जानकारी लेने के बाद ही उस नस्ल को पालें।
Fish Farming RAS Technique: बड़े स्तर पर अगर कोई मछली पालन करने की सोच रहा है तो मछली पालन की RAS तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं। बशर्ते इसकी पूरी जानकारी हो। जानिए RAS तकनीक में कितना खर्चा लगता है और क्या हैं इससे जुड़े अहम फ़ैक्टर्स।
सूअर की खाल से मैट, पैराशूट, मोम, उर्वरक, क्रीम, मलहम और रसायन बनाने के लिए इसका इस्तेमाल होता है। बटन, जूते के फीते, दवाइयां, सॉसेज, थाइमस, अग्न्याशय, अग्न्याशय, थायरॉयड, अग्न्याशय से संबंधित दवाईयां इससे बनती हैं। पशु चारा, उर्वरक, और कपड़ों की रंगाई और छपाई के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। सूअर पालन के लिए सरकार लोन देती है।
गरीब किसानों के लिए भेड़ व बकरी पालन आजीविका का मुख्य साधन होता है, क्योंकि इसमें लागत भी कम आती है और मुनाफ़ा जल्दी मिलने लगता है। सुंदरबन के आदिवासी किसान भी भेड़ और बकरी पालन से अपने जीवन स्तर को सुधार रहे हैं। भेड़ पालन की वैज्ञानिक तकनीक अपनाकर आरती ने अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार किया।
रेनबो ट्राउट (Rainbow Trout Fish) एक विदेशी मछली है जिसका उत्पादन देश के पहाड़ी इलाकों में खूब किया जा रहा है और रेनबो ट्राउट मछली पालन यहां के लोगों के लिए स्वरोज़गार का अच्छा ज़रिया बन गया है। उत्तराखंड के टिहरी ज़िले के पंचम सिंह भी करीब 5 सालों से सफलतापूवर्क रेनबो ट्राउट मछली का उत्पादन कर रहे हैं।
खेती के अलावा किसान मुर्गी पालन, सूअर पालन और डेयरी व्यवसाय से भी अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं, बशर्ते उन्हें पशुपालन की सही जानकारी होनी चाहिए। यानी पशुओं को दाना-पानी देने से लेकर उन्हें होने वाले रोग और बचाव का तरीका पता होना बहुत ज़रूरी है।
खेती-किसानी के साथ ही मछली पालन भी ग्रामीण अंचल में किसानों की कमाई का अच्छा ज़रिया है। ट्राउट मछली पालन कर किसान अच्छी-खासी कमाई कर सकते हैं, खासतौर पर पहाड़ी इलाके के किसान।
डेयरी फ़ार्म को अगर सही तरीके से चलाया जाए, तो इससे अच्छी कमाई हो सकती है और किसान खुद आत्मनिर्भर बनने के साथ ही दूसरों को भी रोज़गार दे सकते हैं, जैसा की सूरत का एक परिवार कर रहा है। जानिए कैसे शुरू कर सकते हैं खुद का डेयरी व्यवसाय।
क्या आपने कभी राजस्थान की फेमस सब्ज़ी ग्वार का स्वाद चखा है? जिन्होंने खाया होगा उनको पता होगा कि इसका स्वाद भले ही बहुत अच्छा न हो, लेकिन ये सब्जी प्रोटीन से भरपूर होती है। इसकी फलियों से सब्ज़ी बनाई जाती है। वहीं ग्वार पशुओं के लिए भी बेहतरीन चारा होता है। बता दें कि कई जगहों पर इसे चारा फसल के रूप में भी उगाया जाता है। जानिए ग्वार की उन्नत खेती से जुड़ी अहम बातें।
ग्रामीण इलाकों में आज भी पशुपालन किसानों की आमदनी का एक अच्छा ज़रिया है, मगर इसके लिए नवजात बछड़ों की सही देखभाल ज़रूरी है। इसमें सबसे ज़्यादा ज़रूरी होता है नवजात बछड़े को खीस पिलाना।