अनिकेश द्विवेदी बने मधुमक्खी पालन में तकनीकी नवाचार के साथ प्रगतिशील किसान
अनिकेश द्विवेदी ने मधुमक्खी पालन को व्यावसायिक अवसर में बदलकर एक नई पहचान बनाई है। वे अपनी 1-5 एकड़ भूमि पर सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं।
अनिकेश द्विवेदी ने मधुमक्खी पालन को व्यावसायिक अवसर में बदलकर एक नई पहचान बनाई है। वे अपनी 1-5 एकड़ भूमि पर सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं।
रघुपत सिंह की संरक्षित खेती और बीज संरक्षण तकनीक ने भारतीय कृषि में नई क्रांति लाई और उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
उत्तर प्रदेश के सलीकराम वर्मा ने कम संसाधनों और सीमित भूमि में जैविक खेती से सफलता प्राप्त की। उनकी मेहनत और समर्पण ने जैविक खेती को नई पहचान दी।
राजस्थान के कैलाश चंद्र शर्मा की प्रेरणादायक कहानी, जिन्होंने जैविक खेती अपनाकर पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ कृषि का आदर्श प्रस्तुत किया है।
गोपाला कृष्ण शर्मा, कासरगोड के किसान, काली मिर्च की खेती में नवाचारों से समय और श्रम बचा रहे हैं, और इसके साथ ही वैश्विक बाजार में मांग बढ़ा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के एटा जिले के नागेंद्र प्रताप सिंह ने जैविक खेती के जरिए सीमित संसाधनों में भी खेती को लाभकारी व्यवसाय में बदला। उनकी सफलता प्रेरणा का स्रोत है।
विशाल कुमावत ने कृषि में नई तकनीक का उपयोग करके अपनी आय दोगुनी की और कम खर्च में अधिक उत्पादन प्राप्त किया, जिससे पर्यावरण संरक्षण और संसाधनों का बेहतर उपयोग हुआ।
विकास कुमार ने सहारनपुर जिले में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने कृषि और खाद्य प्रसंस्करण को व्यवसाय और सामाजिक दायित्व के रूप में अपनाया।
जितेन्द्र डहरवाल ने मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में 30 एकड़ जमीन पर मछली पालन का सफल व्यवसाय स्थापित किया। वे अपनी 8 एकड़ जमीन पर फिश फार्मिंग कर रहे हैं।
चेतन कंजिभाई मेंडापारा ने अपने कृषि स्टार्टअप ‘Hortica Foods LLP’ से भारतीय कृषि उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहचान दिलाई है। वे फल, सब्जियां और मसाले निर्यात करते हैं।
हेमंत धाकड़ ने मध्य प्रदेश के खाचरोद गांव में संरक्षित खेती अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की और स्थानीय किसानों के लिए प्रेरणा बने।
गुरप्रीत सिंह शेरगिल ने खाद्य प्रसंस्करण में नवाचार कर ‘शेरगिल फार्म फ्रेश’ ब्रांड शुरू किया, जो किसानों को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देता है।
गेनाभाई दरघाभाई पटेल ने अनार की खेती में तकनीक अपनाकर न केवल अपनी पहचान बनाई बल्कि अपने समुदाय की आर्थिक स्थिति भी मजबूत की।
राजस्थान के सुरेंद्र अवाना ने डेयरी फार्मिंग का आधुनिक मॉडल अपनाकर देसी गौवंश की महत्ता बढ़ाई और किसानों को प्रेरित किया।
राजाराम विट्ठल चौधरी ने संरक्षित खेती और नई तकनीकों से फूलों की खेती में सफलता हासिल की। उनकी मेहनत और नवाचार ने छोटे किसानों को भी उन्नत कृषि की दिशा दिखाई।
जितेंद्र कुमार सिंह ने जैविक खेती और नई तकनीकों से कृषि में नवाचार किया, जिससे उत्पादन में वृद्धि हुई और अन्य किसानों को उन्नत कृषि की प्रेरणा मिली।
पंजाब के नरपिंदर सिंह ने नवाचारी सोच से क्रीमी शहद को नया आयाम दिया, शहद उत्पादन बढ़ाया और उपभोक्ताओं में विश्वास जगाया।
गुरुग्राम के पाटौदी गांव के कृषक कृष्ण कुमार यादव ने जैविक खाद और वर्मीकम्पोस्ट से आय बढ़ाई, पर्यावरण संग खेती को नई दिशा दी।
प्रीतम सिंह, हरियाणा के पानीपत जिले के निवासी, ने कृषि में नई तकनीक अपनाकर अपनी खेती की उत्पादकता बढ़ाई और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दिया।
हरियाणा के जयकरण जैविक खेती के क्षेत्र में एक प्रमुख नाम हैं, जो यूट्यूब चैनल के जरिए किसानों को जैविक खेती की तकनीकों से प्रेरित कर रहे हैं।