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आर्किटेक्चर के ब्लूप्रिंट से लेकर बायोफिल्टर तक, सौम्या सत्यनारायण ने अपनी एक अनोखी यात्रा तय की है, जिसमें उन्होंने डिज़ाइन सोच को टिकाऊ मछली पालन के साथ जोड़ा। कर्नाटक के दक्षिण बेंगलुरु ज़िले के उत्तरी गांव की रहने वाली सौम्या ने अपना पेशेवर जीवन एक आर्किटेक्ट के रूप में शुरू किया था। लेकिन प्रकृति, विज्ञान और नवाचार में उनकी रुचि ने उन्हें एक नया रास्ता दिखाया—ऐसा रास्ता, जिसमें खेती और मछली पालन एक साथ चलते हैं। आज वो मछली पालन में महिला उद्यमी के रूप में एक प्रेरणा बन चुकी हैं, जिन्होंने परंपरागत सीमाओं को तोड़कर तकनीकी नवाचार के ज़रिए अपनी अलग पहचान बनाई है।
शुरुआत: छत पर टैंकों से एक्वापोनिक्स तक (Beginning: From Rooftop Tanks to Aquaponics)
सौम्या की खेती में रुचि उनके पति के शौक से शुरू हुई। दोनों ने मिलकर ये समझने की कोशिश की कि कैसे पर्यावरण के अनुकूल तरीके अपनाए जा सकते हैं। इस खोज में उन्हें मिला एक्वापोनिक्स- एक ऐसी प्रणाली, जिसमें मछली के पानी से पौधों को पोषण मिलता है और पौधे उस पानी को साफ़ करते हैं।
उन्होंने 2014 में अपने घर की छत पर एक छोटे से एक्वेरियम से प्रयोग शुरू किया। लगभग तीन साल तक उन्होंने लगातार अध्ययन किया और बेंगलुरु में 300 वर्ग फुट का बड़ा सेटअप तैयार किया। उनके आसपास के लोग इस प्रयोग से प्रभावित हुए और कहने लगे कि वो दूसरों के लिए भी ऐसा सेटअप क्यों नहीं बनाते। यहीं से मछली पालन में महिला उद्यमी के रूप में सौम्या के व्यावसायिक सफ़र की शुरुआत हुई।
आगे का विस्तार: आरएएस और वाणिज्यिक मछली पालन (Expansion: RAS and Commercial Fish Farming)
एक्वापोनिक्स में संभावनाएं तो थीं, लेकिन मार्केटिंग की चुनौतियों ने सौम्या को और बड़े विकल्प तलाशने के लिए प्रेरित किया। तभी उन्होंने जाना रिकर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) के बारे में- एक अत्याधुनिक मछली पालन तकनीक, जिसमें कम पानी और कम जगह में ज़्यादा उत्पादन होता है।
मछली पालन में महिला उद्यमी के रूप में आगे बढ़ते हुए, सौम्या ने वित्त वर्ष 2020-21 में कर्नाटक मत्स्य विभाग के सहयोग से प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) के तहत “लार्ज आरएएस” के लिए आवेदन किया। इसके तहत उन्होंने 20 टैंकों का निर्माण किया, जिसकी कुल उत्पादन क्षमता 40 टन है। उन्हें इस योजना के तहत ₹130 लाख की सहायता मिली, जबकि ₹15 लाख का लोन लिया और ₹25.94 लाख अपनी तरफ़ से निवेश किए।
क्या बनाता है उनके फ़ार्म को ख़ास? (What makes their farm special?)
सौम्या का फ़ार्म सिर्फ़ एक साधारण मछली फ़ार्म नहीं, बल्कि नवाचार का केंद्र है। इसमें मैकेनिकल और बायोफिल्ट्रेशन सिस्टम, डीगैसिंग यूनिट, स्लज टैंक, प्रयोगशाला और मछली चारे के लिए स्टोररूम हैं। वो समय-समय पर मछलियों की ग्रेडिंग करती हैं ताकि फीड का उपयोग सही हो, स्ट्रेस कम हो और मछलियों की मृत्यु दर घटे। ये वैज्ञानिक और तकनीकी तरीका मछली पालन में महिला उद्यमी के रूप में उन्हें भीड़ से अलग पहचान दिलाता है।
अभी उनके फार्म में 11 लोग काम कर रहे हैं। उन्होंने अपनी टीम को अच्छी तरह से ट्रेनिंग दी है ताकि पानी की सफाई से लेकर मछलियों को सही समय पर खाना देने तक का सारा काम ठीक से हो सके।
हाई–वैल्यू फ़िश, प्रोसेसिंग और B2C ब्रांडिंग (High-Value Fish, Processing, and B2C Branding)
मछली पालन में महिला उद्यमी के रूप में सौम्या का सपना सिर्फ़ उत्पादन तक सीमित नहीं है। अब वो हाई-वैल्यू फ़िश पालन पर ध्यान केंद्रित करना चाहती हैं, जिससे मुनाफा बढ़ाया जा सके। इसके अलावा, वो फ़िश प्रोसेसिंग सेक्टर में कदम रखना चाहती हैं और अपने ख़ुद के ब्रांड ‘GROW’ के तहत बिज़नेस-टू-कंज़्यूमर (B2C) मॉडल में उतरने की योजना बना रही हैं।
उनका लक्ष्य है कि वो उपभोक्ताओं तक सीधे गुणवत्तापूर्ण, ब्रांडेड और प्रोसेस्ड प्रोडक्ट पहुंचाएं और प्रीमियम मार्केट में अपनी पहचान बनाएं। ये सिर्फ़ एक व्यवसाय नहीं, बल्कि टिकाऊ और अभिनव मछली पालन की मिसाल बनेगा।
तकनीक आधारित मछली पालन को नए क्षेत्रों तक ले जाना (Taking Tech-Driven Aquaculture to New Regions)
सौम्या सत्यनारायण के सफ़र की सबसे ख़ास बात ये है कि उन्होंने सिर्फ़ अपनी निजी सफलता तक खुद को सीमित नहीं रखा। एक प्रेरणादायक मछली पालन में महिला उद्यमी के रूप में, उन्होंने अपने अनुभवों और सीखी हुई तकनीकों को दूसरों तक पहुंचाने की ठानी। वो न सिर्फ़ अपनी फ़ार्मिंग तकनीकों का विस्तार कर रही हैं, बल्कि अन्य किसानों और व्यवसायिक संगठनों को कंसल्टेंसी भी दे रही हैं। उनके सेटअप अब बेंगलुरु, कूर्ग, पांडिचेरी और सिक्किम जैसे अलग-अलग राज्यों में पहुंच चुके हैं।
सौम्या का मानना है कि भारतीय कृषि का भविष्य तकनीकी उन्नति और पर्यावरण संतुलन में छुपा है। वो बताती हैं कि पारंपरिक फ़ार्मिंग में ज़रूर अपनी जगह है, लेकिन जलवायु परिवर्तन और बढ़ती जनसंख्या के दौर में नई तकनीकों को अपनाना बेहद ज़रूरी हो गया है। उनका RAS सिस्टम पानी की बचत करता है, उत्पादन क्षमता को कई गुना बढ़ाता है और मछलियों की गुणवत्ता को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले जाता है। वो कहती हैं-
“आज जो किसान या व्यवसायी प्रगति करना चाहता है, उसे खुले दिमाग से सोचना होगा। अगर हम तकनीक को अपनाते हैं और नई चीज़ों को सीखने के लिए तैयार रहते हैं, तो हम सिर्फ़ अपनी आमदनी नहीं बढ़ाते, बल्कि अपने समाज और देश की मदद भी करते हैं।”
टीम और रोज़गार सृजन (Team and Employment Generation)
सौम्या के फ़ार्म में काम करने वाली टीम सिर्फ़ कामगारों की एक टोली नहीं, बल्कि प्रशिक्षित और तकनीकी रूप से सक्षम लोग हैं। सौम्या ने ख़ुद उन्हें ट्रेनिंग दी है, जिससे अब वो मशीनें चला सकते हैं, पानी की गुणवत्ता जांच सकते हैं और पूरी उत्पादन प्रक्रिया को समझदारी से संभाल सकते हैं।
अब तक, उन्होंने लगभग 200 लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोज़गार दिया है। चाहे वो फ़ार्म के काम में हो, कंसल्टेंसी प्रोजेक्ट्स में या फिर नई जगहों पर यूनिट सेटअप में। ये एक महिला उद्यमी के लिए बड़ी उपलब्धि है, ख़ासकर उस क्षेत्र में जहां ज़्यादातर लोगों को लगता है कि मछली पालन केवल पुरुषों का क्षेत्र है।
भविष्य की और योजनाएं (Future Plans and Vision)
अब सौम्या सरकार के साथ मिलकर और बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम करने की सोच रही हैं। उन्होंने सिक्किम में एक डेमो यूनिट लगाई है और वहां की सरकार से बात कर रही हैं कि इसे कैसे और बढ़ाया जाए और स्थानीय लोगों को ट्रेनिंग दी जाए। इसके साथ ही, वो अपनी सेवाओं को दूसरे राज्यों तक फैलाने की भी योजना बना रही हैं, ताकि देश के अलग-अलग हिस्सों में किसान नई तकनीकों से जुड़ सकें।
सौम्या अपने ब्रांड ‘GROW’ को एक राष्ट्रीय पहचान दिलाना चाहती हैं, ताकि शहरों के उपभोक्ता भी इस टिकाऊ और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन से सीधे जुड़ सकें। प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, ब्रांडिंग- ये सभी उनके अगले लक्ष्यों का हिस्सा हैं।
मछली पालन में महिला उद्यमी सौम्या का संदेश (Impact and Message)
सौम्या सत्यनारायण की कहानी हमें बताती है कि अगर हम पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़कर तकनीक और नवाचार को अपनाएं, तो नई संभावनाओं के दरवाज़े खुल सकते हैं। उन्होंने न केवल अपने लिए, बल्कि दूसरों के लिए भी रोज़गार और सीखने के अवसर बनाए हैं। वो दूसरों को प्रेरित करते हुए कहती हैं-
“पुरानी व्यवस्थाओं में अटके मत रहिए। खुली सोच रखिए, तकनीक को अपनाइए, असली तरक़्क़ी वहीं छिपी है।”
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।