लाहौल के किसान तोग चंद ठाकुर की मेहनत से देश में पहली बार सफल हुई हींग की खेती
लाहौल के किसान तोग चंद ठाकुर ने देश में पहली बार हींग की खेती में सफलता पाई, आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम।
लाहौल के किसान तोग चंद ठाकुर ने देश में पहली बार हींग की खेती में सफलता पाई, आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम।
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह (Union Cooperation Minister Amit Shah) ने ‘राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड’ (National Turmeric Board) का उद्घाटन किया। ये कदम दशकों से हल्दी किसानों की मांग को पूरा करने वाला साबित होगा।
हल्दी की खेती और मशरूम की खेती से उत्तराखंड के हरीश सजवान ने अच्छी आय अर्जित कर खेती को बनाया मुनाफ़े का ज़रिया।
मुहम्मद बुस्थानी ने अपनी निजी नौकरी छोड़कर केरल के कोझीकोड जिले में प्रतिभा हल्दी की खेती (Cultivation of Pratibha Turmeric) शुरू की, जिससे उनका जीवन बदल गया।
इलायची को मसालों की रानी भी कहा जाता है, क्योंकि इसकी खुशबू बहुत अच्छी होती है और बाज़ार में महंगी भी बिकती है। इसलिए इलायची की उन्नत खेती किसानों को अच्छा मुनाफ़ा दे सकती है। साथ ही इस लेख में जानिए कैसे इलायची का पौधा (Elaichi Plant) तैयार किया जाता है।
पूरी दुनिया भारतीय मसालों की खुशबू की दीवानी है। स्वाद और खुशबू बढ़ाने वाले इन मसालों में औषधीय गुण भी होते हैं। मसालों की मांग लगातार बढ़ रही है, इसलिए सरकार भी किसानों को मसालों की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
NECTAR ने राज्य सरकार विभागों के सहयोग से पूर्वोत्तर राज्यों अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिज़ोरम और सिक्किम में केसर की खेती के लिए उपयुक्त जगहों की पहचान की है। NECTAR की केसर खेती परियोजना के परिणामस्वरूप, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के कुल 64 किसान अब इस परियोजना से लाभान्वित हो रहे हैं।
रमेश गेरा ने अपनी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई 1980 में NIT कुरुक्षेत्र से की। इसके साथ ही रमेश ने कई मल्टीनेशनल कंपनियों में जॉब भी की। नौकरी के दौरान बाहर के देशों में उन्हें कृषि के नए-नए तरीके देखने को मिले। वहां से तकनीक देखकर भारत में केसर की खेती चालू की।
लखनवी कबाब और चिकनकारी के बारे में तो सुना ही होगा, जो बहुत लोकप्रिय है, लेकिन क्या आपको पता है कि इन सबकी तरह ही लखनवी सौंफ भी बहुत मशहूर है अपने स्वाद और सुगंध के लिए।
महाराष्ट्र के नागपुर के पुरुषोत्तम झामाजी भुडे ने किसान ऑफ़ इंडिया को बताया कि वो अक्सर देखते थे कि कैसे दूर-दराज के किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए मीलों दूर जाना पड़ता था। उसके बावजूद भी उन्हें सही दाम नहीं मिल पाता था। उन्होंने शुरुआत में मसालों की खेती (Spice Farming) कर रहे अपने क्षेत्र के किसानों से संपर्क किया और फिर कारवां बनता चला गया।
मिर्च एक प्रमुख नगदी फसल है। मिर्च की खेती किसानों को लखपति बना सकती है, अगर वो सही तरीके से इसकी खेती करें।
अगर कोई आपसे पूछे कि दालचीनी (Cinnamon) क्या है तो आप यही कहेंगे कि एक मसाला है। लेकिन क्या आपको
करी पत्ता एक सस्ता और स्वास्थ्यवर्धक मसाला है जो औषधीय गुणों से भरपूर है। इसीलिए करी पत्ते की खेती में हमेशा जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। इसकी माँग पूरे साल रहती है। इसके कच्चे और मुलायम पत्ते, पके हुए पत्तों की तुलना में ज़्यादा क़ीमती और उपयोगी होते हैं। इस पर रोग-कीट का प्रकोप भी बहुत कम पड़ता है।
धनिये की खेती सस्ती है। इसकी प्रति हेक्टेयर लागत क़रीब 15 हज़ार रुपये बैठती है और लागत निकालने के बाद किसान प्रति हेक्टेयर 50 से 60 हज़ार रुपये कमा लेते हैं। धनिया उत्पादक किसानों को ऐसी किस्म चुननी चाहिए जिससे पत्तियों और बीजों दोनों का ही अच्छा उत्पादन हो। बीज और पत्तियाँ, दोनों से सम्पन्न किस्मों की फसल अपेक्षाकृत ज़्यादा वक़्त में तैयार होती है। इस दौरान भी किसान को आमदनी देती रहती हैं।
अरुणाचल प्रदेश की रहने वाली पोकेन बोमजेन 2017 में स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं। कैसे उन्होंने हल्दी की खेती की बदौलत अपने घर की ज़िम्मेदारी संभाली, जानिए इस लेख में।
सौंफ़ की खेती को रबी और ख़रीफ़ दोनों मौसम में किया जा सकता है। सौंफ की खेती की ये भी विशेषता है कि रेतीली या बलुआ ज़मीन के अलावा अन्य सभी किस्म की भूमि में इसकी खेती की जा सकती है। मसाले के रूप में इस्तेमाल होने वाली सौंफ के मुकाबले लखनवी सौंफ महँगी होती है। क्योंकि चबाकर खाने वाली उत्तम किस्म की सौंफ के दानों का आकार और वजन इसकी पूर्ण विकसित अवस्था की तुलना में क़रीब आधा होता है।
देश के कई हिस्सों की मिट्टी बहुत उपचाऊ नहीं है। ऐसे में पारंपरिक तरीके से सिर्फ़ अनाज उगाने पर न तो उपत्पादकता बढ़ेगी और न ही मुनाफ़ा। जम्मू-कश्मीर के कठुआ ज़िले के किसान धुंडा सिंह ने वैज्ञानिकों की सलाह पर हल्दी की खेती की शुरुआत की थी और आज वो अपने इस व्यवसाय की बदौलत सफल किसानों में गिने जाते हैं।
जीरा मसाले की अहम फसल है, जिसके बिना रसोई अधूरी है। जीरे का इस्तेमाल सभी तरह की सब्जियों में किया जाता है, इसलिए इसकी मांग हमेशा रहती है। ऐसे में किसान जीरे की उन्नत किस्मों की खेती कर अपनी आमदनी में इज़ाफा कर सकते हैं।
काली हल्दी की खेती कैसे की जा सकती है? किन-किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है? इस पर किसान ऑफ़ इंडिया की सीनियर हॉर्टिकल्चर ऑफ़िसर (रिटायर्ड) राजेश कुमार मिश्रा से विशेष बातचीत।
काली मिर्च अन्य मसालों से महंगी मिलती है और इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में काली मिर्च की खेती करके किसान बहुत मुनाफा कमा सकते हैं। आइए, जानते हैं इसकी खेती से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातें।