पहाड़ी इलाके में मछलीपालन कर रही हैं हेमा डंगवाल: जानें उनकी सफलता की कहानी
उत्तराखंड की हेमा डंगवाल ने पहाड़ी इलाकों में मछलीपालन को एक सफल व्यवसाय में बदला, इस क्षेत्र में सफलता हासिल की और अन्य महिलाओं को भी जागरूक किया।
कृषि क्षेत्र में सक्सेस स्टोरीज का संग्रह। आपकी मोटिवेशन बढ़ाने वाली कहानियों को जानें और सफलता की ओर एक कदम बढ़ाएं। किसान ऑफ इंडिया पर हमारे साक्सेस स्टोरीज से प्रेरणा लें।
उत्तराखंड की हेमा डंगवाल ने पहाड़ी इलाकों में मछलीपालन को एक सफल व्यवसाय में बदला, इस क्षेत्र में सफलता हासिल की और अन्य महिलाओं को भी जागरूक किया।
दीपक मौर्या जैविक खेती में फसल चक्र के आधार पर सीजनल फसलें जैसे धनिया, मेथी और विभिन्न फूलों की खेती करते हैं, ताकि वो अधिकतम उत्पादकता प्राप्त कर सकें।
पंजाब के फ़िरोज़पुर जिले के छोटे से गांव में रहने वाले जगदीप सिंह ने पुलिस नौकरी छोड़कर डेयरी फ़ार्मिंग में सफलता हासिल कर एक नई पहचान बनाई है।
इंद्रसेन सिंह ने आधुनिक कृषि में सुपर सीडर, ड्रोन सीडर और रोटावेटर का उपयोग करके मक्का, गन्ना, और धान की फसलें उगाई हैं।
दिल्ली की वंदना जी ने खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) से पारंपरिक भारतीय स्वादों को नया रूप दिया और महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएं।
देवाराम ने डेयरी फार्मिंग की शुरुआत एक छोटे स्तर से की थी, लेकिन वैज्ञानिक और आधुनिक तरीकों को अपनाने के बाद उनकी डेयरी यूनिट का विस्तार हुआ।
बिहार की मीना कुशवाहा ने ऑयस्टर मशरूम की खेती से बनाई एक नई पहचान। उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भरता का मार्ग दिखाया, पढ़ें उनकी प्रेरणादायक कहानी।
सांबमूर्ति, वैदिक खेती के तरीके अपनाते हुए लगभग 15,000 किसानों को प्रशिक्षित कर चुके हैं। इसमें बीज संरक्षण और मृदा स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया गया।
अपने खेत पर जैविक कृषि उत्पाद का उत्पादन करने से लेकर शकरकंद की नई किस्म विकसित करने तक, रावलचंद खेती के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं।
मोहनदीप सिंह, जिन्होंने इंजीनियरिंग छोड़कर गाजर की खेती में नई पहचान बनाई। उनकी कहानी मेहनत और जुनून की मिसाल है, जो सपनों को सच करने की प्रेरणा देती है।
योगेश कुमार मुख्य रूप से गन्ने की खेती करते हैं। गन्ने की प्रोसेसिंग कर वो गुड़, खांड, सिरका, कुल्फी, कोल्ड कॉफी जैसे कई उत्पाद तैयार करते हैं।
योगेश जैन का फार्म प्राकृतिक खेती का एक सफल मॉडल है। उन्होंने रसायन मुक्त खेती को अपनाया है, जिससे प्राकृतिक खेती के लाभ के रूप में फसलों की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
नवीन मोहन राजवंशी की प्रेरक कहानी बताती है कि कैसे उन्होंने आधुनिक खेती अपनाकर उत्तर प्रदेश के गांव में बदलाव लाया है। उनका अनुभव किसानों के लिए प्रेरणा है।
प्रस्तावना गांव से आने वाले युवा किसानों का अब खेती-बाड़ी की पारंपरिक विधियों से आगे बढ़कर नवाचारों की ओर रुख
जयपुर के गोविन्दपुर में मांगीलाल ने जोखिमों को पार कर पॉलीहाउस की खेती से नई राह बनाई, जहां परंपरागत किसानों से अलग जाकर उन्होंने सफलता का नया आयाम छू लिया।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी ज़िले के हैदरगढ़ गांव के किसान मनोज कुमार सिंह ने जैविक खेती के लाभों को देखते हुए 2019 में जैविक खेती की शुरुआत की।
आशीष कुमार राय धान, गेहूं, चना, मटर, अरहर, तिल, और अलसी जैसी विविध फसलें उगाते हैं। वो अपनी फसलों के पोषण के लिए वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की खाद और धैचा (हरी खाद) का उपयोग करते हैं।
बरेली के आयुष गंगवार ने अपनी पारंपरिक खेती छोड़कर जैविक खेती की शुरुआत की। उन्होंने सरकारी योजनाओं और स्थानीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों का लाभ उठाया।
हिमालय के दिल में बसा है सिक्किम और यहां के द्ज़ोंगू क्षेत्र के देसी लेप्चा समुदाय जो काफी लंबे वक्त
BCT कृषि विज्ञान केंद्र, हरिपुरम के STRY Program द्वारा कालापूरेड्डी गणेश को दूधिया मशरूम की खेती को अपनी आमदनी का मुख्य तरीका बनाने का हौसला मिला।