Beekeeping: कैसे सफल व्यवसाय बन सकता है मधुमक्खी पालन? जानिए, प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार जाट से
मधुमक्खी पालन (Beekeeping) को सफल व्यवसाय में बदलने की जानकारी दे रहे हैं डॉ. मनोज कुमार जाट, जानिए शहद उत्पादन और वैज्ञानिक तकनीकें।
मधुमक्खी पालन (Beekeeping) को सफल व्यवसाय में बदलने की जानकारी दे रहे हैं डॉ. मनोज कुमार जाट, जानिए शहद उत्पादन और वैज्ञानिक तकनीकें।
रेशम कीट पालन (Sericulture) कश्मीर में तेजी से बढ़ता उद्योग बन चुका है, जो किसानों को अच्छा मुनाफ़ा दे रहा है। शबनम जावेद ने इस क्षेत्र से जुड़ी अहम जानकारी साझा की है।
गरीब किसानों के लिए भेड़ व बकरी पालन आजीविका का मुख्य साधन होता है, क्योंकि इसमें लागत भी कम आती है और मुनाफ़ा जल्दी मिलने लगता है। सुंदरबन के आदिवासी किसान भी भेड़ और बकरी पालन से अपने जीवन स्तर को सुधार रहे हैं। भेड़ पालन की वैज्ञानिक तकनीक अपनाकर आरती ने अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार किया।
खेत में मुख्य फसलों के साथ उगने वाले खरपतवार पौधों के विकास को प्रभावित करते हैं, जबकि चारा फसलों के साथ उगने वाले खरपतवार पशुओं की सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए हरे चारे की खेती में भी खरपतवार नियंत्रण पर ध्यान देने की ज़रूरत है।
शुष्क, पहाड़ी और रेगिस्तानी इलाकों में जहां लोगों के पास खेती योग्य ज़मीन नहीं है या बहुत कम है, वो भेड़ पालन से अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन भेड़ पालन से मुनाफ़ा कमाने के लिए भेड़ों के आहार पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है।
कर्नाटक के वडेराहल्ली गांव की रहने वाली सत्याकुमारी के लिए बुनियादी ज़रूरतों को भी पूरा करने में मशक्कत करनी पड़ती थी। जानिए कैसे रेशम कीट पालन और सब्जियों की अंतर-वर्ती खेती ने उन्हें कामयाब महिला उद्यमी बनाया।
पशुपालन में भेड़ पालन की भी विशेष अहमयित है। हालांकि, अधिकांश किसान गाय, भैंस व बकरी पालन ही करते हैं, मगर देश के कुछ हिस्सों में आज भी भेड़ पालन आजीविका का मुख्य ज़रिया है। इन पर अधिक खर्च भी नहीं आता है।
सितंबर 2017 में किसानों ने नई तकनीक की बदौलत रेशम कीट पालन की शुरुआत की। गरीबी और जल संसाधनों की कमी के कारण टमाटर, हरी मिर्च, मूंगफली और आम की फसल अच्छी गुणवत्ता वाली नहीं होती थी। इस कारण फसल की कीमत भी अच्छी नहीं मिलती थी, जिससे किसानों की माली हालत बेहद खराब हो गई। कुछ किसान आजीविका के लिए आसपास के शहर जाकर मज़दूरी करने लगे।
आज की तारीख में जसवंत सिंह तिवाना कई युवकों और किसानों को मधुमक्खी पालन के गुर भी सीखाते हैं। मधुमक्खी पालन व्यवसाय में कई बातों का ध्यान रखना भी बहुत ज़रूरी है। क्या हैं वो मुख्य बातें? कैसा रहा उनका सफर? इन सब बिंदुओं पर जसवंत सिंह तिवाना से किसान ऑफ़ इंडिया की ख़ास बातचीत।
पशु अधिक दूध दें, इसके लिए उन्हें पौष्टिक हरा चारा देना ज़रूरी है। हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करना पशुपालकों के लिए काफी मुश्किल होता है। ऐसे मे हेज-लूर्सन उनकी मुश्किल कम कर सकता है जो पशुओं के लिए एक प्रोटीन युक्त चारा है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि भारतीय नस्ल वाली मधुमक्खी ‘एपिस सेराना’ और डंक रहित मधुमक्खी ‘टेट्रागोनुला इरिडिपेनिस’ को यदि पॉलीहाउस में पाला जाए तो वहाँ के insect proof माहौल में भी खुले खेतों जैसी कीट-पतंगों वाली पॉलीनेशन की ख़ूबियाँ और फ़ायदे हासिल हो सकते हैं। इस नयी तकनीक से पॉलीहाउस की खेती की लागत घटती है और कमाई बढ़ती है।
किसान ऑफ़ इंडिया से ख़ास बातचीत में निमित सिंह ने मधुमक्खी पालन व्यवसाय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। साथ ही कॉम्ब हनी क्या है, इसके फ़ायदे क्या हैं, बाज़ार में इसको दाम कितना मिलता है, इन सबके बारे में बताया।
मधुमक्खी पालन आय का ऐसा सुविधाजनक जरिया है, जिसमें न तो बहुत ज़्यादा जानकारी की ज़रूरत है और न ही ज्यादा निवेश चाहिए। दूसरे काम को करते हुए भी इसे आसानी से कर सकते हैं, क्योंकि यहां काम मधुमक्खियां करती हैं और फायदा मधुमक्खी पालन करने वाले को होता है।