Equipments For Hydroponic Farming: जानिए हाइड्रोपोनिक खेती के उपकरणों के बारे में
हाइड्रोपोनिक खेती के उपकरणों (Hydroponic Farming Equipments) में ग्रो लाइट्स, पंप, नली, पीएच मीटर, पोषक तत्व समाधान, ग्रो बेड्स, और कंटेनर शामिल होते हैं।
किसानों के लिए कृषि उपकरण से सम्बंधित जानकारी तथा उन पर लागू सरकारी स्कीमों के बारे में विस्तार से जानने के लिए आपको यहाँ समस्त लेख मिल जाएंगे।
हाइड्रोपोनिक खेती के उपकरणों (Hydroponic Farming Equipments) में ग्रो लाइट्स, पंप, नली, पीएच मीटर, पोषक तत्व समाधान, ग्रो बेड्स, और कंटेनर शामिल होते हैं।
खेती का काम आसान बनाने के लिए हर दिन वैज्ञानिक नए उपकरण बनाते रहते हैं, ऐसा ही एक उपकरण है
मल्टी पर्पस Bed Maker Machine किसानों के समय की बचत करने के साथ-साथ उनकी आमदनी बढ़ाने में मदद करती है।
Agriculture Drone की खरीद के लिए महिला समूह को ड्रोन की कीमत का 80 प्रतिशत या अधिकतम 8 लाख रुपये तक की मदद दी जा रही है। योजना के तहत SC-ST, छोटे व सीमांत, महिलाओं और पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को ड्रोन का 50 प्रतिशत या अधिकतम 5 लाख रुपये अनुदान दिया जा रहा है।
अगर आप इनोवेटिव है, तो कमाई का कोई न कोई ज़रिया आप निकाल ही लेंगे। इस बात की बेहतरीन मिसाल हैं पंजाब के पटियाला के रहने वाले इंजीनियर कार्तिक पाल, जिन्होंने गोबर का अनोखा इस्तेमाल करके पर्यावरण और किसानों की बेहतरी की दिशा में अच्छा प्रयास किया है। उन्होंने गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन बनाई और ख़ासतौर पर पशुपालकों की एक बड़ी समस्या हल करने की कोशिश की।
खाद, कीटनाशकों और बीजों की बढ़ती कीमतों की वजह से खेती की लागत दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में बुवाई के लिए किसी ख़ास विधि का इस्तेमाल करना बहुत ज़रूरी हो जाता है, जिसमें बीजों की बर्बादी कम से कम हो, साथ ही अंकुरण ज्य़ादा से ज़्यादा हो। बीजों की बुवाई में वी.एल. लाइन मेकर यंत्र किसानों के लिए फ़ायदेमंद साबित हो सकता है।
ऊर्जा की बढ़ती ज़रूरत को पूरा करने के लिए सोलर एनर्जी यानी सौर ऊर्जा सबसे अच्छा विकल्प है। वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक ईज़ाद की है, जिसमें बिजली और फसल उत्पादन साथ-साथ होगा। इस तकनीक का नाम है कृषि-वोल्टीय प्रणाली (सौर खेती)।
खेती के काम को सुविधाजनक बनाने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए मशीनों का इस्तेमाल बहुत ज़रूरी है, मगर छोटे व सीमांत किसान मशीनें खरीदने की स्थिति में नहीं होते। इसलिए इनके लिए विशेष कस्टम हायरिंग सेंटर बनाए गए हैं, जहां से वो ज़रूरत के अनुसार मशीनें किराए पर ले सकते हैं।
फसल न सिर्फ़ बातें करती हैं बल्कि वो आपकी बातों का जवाब भी देती हैं। वो बात अलग है कि हमें उनकी आवाज़ सुनाई नहीं देती। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है। दरअसल, पौधों की आवाज़ हमारी सुनने की शक्ति से कहीं ज़्यादा तेज़ होती है। इसलिए हम उनकी आवाज़ सुन नहीं पाते हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि हम पौधों की बातों को नज़रअंदाज़ कर दें।
उत्तराखंड में किसान और कंपनियां मिलकर जैविक खेती या नेचुरल खेती को प्रमोट कर रही हैं। ऐसे में कंपनियों की ओर से कई ऐसे Agri-Equipment बनाए जा रहे हैं, जो किसानों की मदद करेंगे और फसलों को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। ऐसा ही एक Agri-Equipment है ऑटोमैटिक सोलर लाइट ट्रैप।
गेस्ट ब्लॉग: TractorKarvan | ट्रैक्टर, विज्ञान और तकनीक की एक ऐसी देन है, जिसने अपने शुरुआत से आज तक कृषि कार्यों को आसान और उन्नत तरीके से करने में अपनी अहम भूमिका निभायी है। जानिए ऐसे 5 बेहतरीन ट्रैक्टर्स के बारे में, जिससे आप उन्नत तरीके से कृषि कार्यों को कर खरीफ़ फसलों की पैदावार बढ़ा सकते हैं।
धान की सीधी बुआई तकनीक से 20 प्रतिशत सिंचाई और श्रम की बचत होती है। यानी, कम लागत में धान की ज़्यादा पैदावार और अधिक कमाई। इस तकनीक से मिट्टी की सेहत में भी सुधार होता है, क्योंकि पिछली फसल का अवशेष वापस खेत में ही पहुँचकर उसमें मौजूद कार्बनिक तत्वों की मात्रा में इज़ाफ़ा करता है। इस तकनीक से धान की फसल भी 10 से 15 दिन पहले ही पककर तैयार हो जाती है। खरीफ मौसम में धान की सीधी बुआई को मॉनसून के दस्तक देने से 10-12 दिन पहले करना बहुत उपयोगी साबित होता है।
धान की बुवाई और कटाई के साथ ही इसकी थ्रेसिंग का काम भी बहुत मेहनत वाला होता है। पहाड़ी इलाकों और छोटे किसानों तक धान थ्रेसिंग मशीन पहुंचाने के लिए वैज्ञानिकों ने पैडल वाली और सोलर चालित थ्रेसिंग मशीनें विकसित की हैं, जो किफ़ायती और हल्की हैं।
उत्तर भारत में फ़सल अवशेषों या पराली जलाना एक गंभीर समस्या है, जिससे मिट्टी और पर्यावरण दोनों को नुकसान होता है। इस समस्या से निपटने के लिए ICAR ने रोटरी डिस्क ड्रिल (RDD) मशीन बनाई है। इसकी मदद से बिना पराली जलाए, फ़सलों की सीधी बुवाई की जा सकती है।
फसल अच्छी हो, इसके लिए खेती की सही तैयारी और जुताई बहुत ज़रूरी है। जुताई के लिए वैसे तो बाज़ार में कई तरह के उपकरण हैं जिसमें कल्टीवेटर भी शामिल है, मगर आज हम आपको जिस कृषि उपकरण के बारे में बताने जा रहे हैं वो बहुत खास है, क्योंकि ये दो मशीनों के जोड़ से बना है और इसका नाम है Cultirovator
पेट्रोल, डीजल और बिजली जैसे ऊर्जा स्रोतों पर बढ़ती निर्भरता से न सिर्फ़ इनके समय से पहले खत्म होने का डर है, बल्कि यह पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए कृषि वैज्ञानिक लगातार बैटरी व सोलर ऊर्जा से संचालित होने वाले कृषि उपकरण बना रहे हैं, इन्हीं में से एक है सोलर असिस्टेड ई-प्राइम मूवर मशीन।
पहले हाथ से ही आलू की बुवाई की जाती थी, जो किसानों के लिए एक धीमी और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया हुआ करती थी। अब एडवांस पोटैटो प्लांटर की मदद से आलू की बुवाई की प्रक्रिया सहज हो गई है।
केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी क्षेत्रीय केंद्र संस्थान ने बाजरा डाइहलर मशीन (Millet Dehuller Machine) विकसित की है। मोटे अनाज की खेती करने वाले किसानों के लिए ये मशीन कैसे उपयोगी हो सकती है, इस पर सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ़ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग रीज़नल सेंटर कोयंबटूर के हेड डॉ. एस. बालासुब्रमण्यम से विशेष बातचीत।
कुछ मसालें और सब्जियां ऐसी होती हैं जिन्हें ज़्यादा दिनों तक स्टोर करके नहीं रखा जा सकता। ऐसे में फसल बर्बाद होने से बचाने की एक तकनीक है सोलर डिहाइड्रेटर मशीन (Solar Dehydrator Machine)। जानिए इसके फ़ायदे।
अन्य क्षेत्रों की तरह कृषि में भी यंत्रों के इस्तेमाल से मेहनत, समय और पैसों की बचत करके अधिक मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। इसके लिए किसानों को कृषि उपकरणों की जानकारी होना ज़रूरी है।