Indian Agriculture : CSIR का ई-ट्रैक्टर और ई-टिलर से भारतीय कृषि में आई एक सतत क्रांति

ई-ट्रैक्टर (CSIR PRIMA ET11) और ई-पावर टिलर (E-Power Tiller) को CSIR-केंद्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (CMERI), दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल में एक समर्पित टीम ने विकसित किया। इस टीम का नेतृत्व प्रो. (डॉ.) हरीश हिरानी, निदेशक, CSIR-CMERI ने किया।

Indian Agriculture : CSIR का ई-ट्रैक्टर और ई-टिलर से भारतीय कृषि में आई एक सतत क्रांति

भारतीय कृषि (Indian Agriculture) में अब बदलाव आ रहा है। डीजल की बढ़ती कीमत, पर्यावरण की चिंता और टिकाऊ मशीनों की जरूरत ने किसानों को बिजली से चलने वाले उपकरण अपनाने के लिए प्रेरित किया है। इस समस्या को हल करने के लिए वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद यानि Council of Scientific and Industrial Research (CSIR) ने दो नई मशीनें विकसित की हैं—ई-टिलर (e-Tiller) और PRIMA ET11 ई-ट्रैक्टर (e-Tractor)।  

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025 (National Science Day 2025) पर इन मशीनों को देशभर में परीक्षण के लिए भेजा गया, जिससे टिकाऊ खेती के एक नए युग की शुरुआत हुई। लेकिन ये मशीनें कैसे काम करती हैं और किसानों के लिए क्यों जरूरी हैं? आइए, इनके विज्ञान, तकनीक और किसान हितैषी सुविधाओं को समझें।  

मशीनों को बनाने वाली टीम  

ई-ट्रैक्टर (CSIR PRIMA ET11) और ई-पावर टिलर (E-Power Tiller) को CSIR-केंद्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (CMERI), दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल में एक समर्पित टीम ने विकसित किया। इस टीम का नेतृत्व प्रो. (डॉ.) हरीश हिरानी, निदेशक, CSIR-CMERI ने किया।  

हालांकि, व्यक्तिगत योगदानकर्ताओं के नाम उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन CSIR-CMERI टीम में रोबोटिक्स, मेक्ट्रॉनिक्स, एम्बेडेड सिस्टम और सटीक कृषि (Precision Agriculture) जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हैं। इनकी संयुक्त मेहनत से ये बिजली से चलने वाली कृषि मशीनें तैयार की गईं, जो छोटे और सीमांत किसानों की उत्पादकता और स्थिरता बढ़ाने में मदद करेंगी। 

CSIR ई-पावर टिलर: छोटे किसानों के लिए भविष्य की तकनीक  

 ई-टिलर के पीछे का वैज्ञानिक नवाचार  

CSIR ई-पावर टिलर एक बिजली से चलने वाला टिलर है, जिसे छोटे और सीमांत किसानों के लिए डिजाइन किया गया है। पारंपरिक पेट्रोल या डीजल इंजन वाले टिलर की तुलना में यह इलेक्ट्रिक ड्राइव सिस्टम पर काम करता है, जिससे यह अधिक कुशल और टिकाऊ बनता है।

 मुख्य वैज्ञानिक विशेषताएं  

1.उच्च दक्षता वाला इलेक्ट्रिक मोटर – इसमें ब्रशलेस डीसी मोटर (BLDC) का उपयोग किया गया है, जो तुरंत पावर देता है और ऊर्जा की बर्बादी को कम करता है। इससे बेहतर नियंत्रण और अधिक कुशल जुताई संभव होती है।   

2.कम कंपन और शोर – पारंपरिक पेट्रोल टिलर से कंपन (Vibration) होता है, जिससे ऑपरेटर को हाथ में दर्द और थकान हो सकती है। इलेक्ट्रिक टिलर में यह समस्या नहीं होती, जिससे इसे चलाना आसान और आरामदायक बनता है।   

3.स्मार्ट बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (BMS) – इसमें लिथियम-आयन बैटरी लगी है, जो चार्जिंग को कुशल बनाती है और अधिक समय तक चलती है।   

4.स्वैपेबल बैटरी तकनीक – किसान बैटरी को आसानी से बदल सकते हैं, जिससे चार्जिंग के लिए लंबे ब्रेक लेने की जरूरत नहीं पड़ती।   

5.पर्यावरण के अनुकूल – यह शून्य उत्सर्जन (Zero Emission) करता है, जिससे यह जैविक खेती और टिकाऊ कृषि के लिए उपयुक्त है।  

 किसान हितैषी सुविधाएं  

1.कम लागत में संचालन – पेट्रोल टिलर की तुलना में ई-टिलर से ईंधन लागत में 85% तक की बचत होती है।   

2.मल्टी-यूज़ फंक्शन – आयरन व्हील, कल्टीवेटर, रिजर और रोटावेटर के साथ प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, 2-इंच वाटर पंप चलाने के लिए भी उपयोगी है।   

3.अधिक भार उठाने की क्षमता – इसमें 500 किलोग्राम ट्रॉली अटैचमेंट जोड़ा जा सकता है, जिससे यह जुताई के साथ-साथ फसल परिवहन के लिए भी उपयोगी बन जाता है।   

4.कई चार्जिंग विकल्प – इसे साधारण AC आउटलेट या सौर ऊर्जा (Solar DC Power) से चार्ज किया जा सकता है, जिससे यह गाँवों में जहाँ बिजली की आपूर्ति अनियमित है, वहाँ भी उपयोगी बनता है।   

5.सभी के लिए आसान संचालन – इसका हल्का वजन और एर्गोनॉमिक डिज़ाइन इसे महिलाओं और बुजुर्ग किसानों के लिए भी आसान और सुविधाजनक बनाता है।   

CSIR PRIMA ET11 ई-ट्रैक्टर: कृषि का भविष्य

 ई-ट्रैक्टर में वैज्ञानिक प्रगति  

PRIMA ET11 ई-ट्रैक्टर एक कॉम्पैक्ट इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर है, जिसे छोटे किसानों और ग्रामीण परिवहन के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह स्वदेशी तकनीक से बना है और इसमें कई उन्नत वैज्ञानिक विशेषताएँ हैं।  

 मुख्य वैज्ञानिक विशेषताएं  

1.लिथियम-आयन बैटरी (प्रिज्मेटिक सेल कॉन्फ़िगरेशन के साथ) – यह गहरी डिस्चार्ज क्षमता प्रदान करती है और 3,000 से अधिक चार्ज साइकल तक चलती है, जिससे यह लंबी अवधि तक विश्वसनीय रहती है।   

2.ऊर्जा कुशल पावर ट्रांसमिशन – इसमें सेमी-सिंक्रोनाइज़्ड गियरबॉक्स है, जो ऊर्जा के नुकसान को कम करता है। पारंपरिक ट्रैक्टरों में ऊर्जा गर्मी के रूप में नष्ट हो जाती है, लेकिन ई-ट्रैक्टर टॉर्क को सीधे पहियों तक स्थानांतरित करता है, जिससे इसकी कार्यक्षमता बढ़ जाती है।   

3.रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम – ब्रेक लगाते समय उत्पन्न ऊर्जा को बैटरी में वापस स्टोर करता है, जिससे ट्रैक्टर ज्यादा समय तक चल सकता है।   

4.व्हीकल-टू-लोड (V2L) फीचर – ट्रैक्टर की बैटरी से सिंचाई पंप, लाइट या अन्य कृषि उपकरण चलाए जा सकते हैं, जब ट्रैक्टर उपयोग में न हो।   

5.उच्च टॉर्क आउटपुट – यह डीजल ट्रैक्टरों की तुलना में ज्यादा शुरुआती टॉर्क देता है, जिससे कठोर मिट्टी की जुताई भी आसानी से की जा सकती है।  

 किसान हितैषी लाभ  

1.कम लागत में संचालन – डीजल ट्रैक्टर ₹200-₹300 प्रति घंटा खर्च करता है, जबकि ई-ट्रैक्टर की बिजली लागत केवल ₹30-₹50 प्रति घंटा होती है।   

2.लंबे समय तक संचालन – एक बार चार्ज करने पर 4+ घंटे जुताई और 6+ घंटे भार ढोने का कार्य कर सकता है।   

3.महिलाओं के लिए अनुकूल डिज़ाइन – इसमें आसान कंट्रोल और इलेक्ट्रॉनिक स्विच हैं, जिससे इसे चलाना कम मेहनत वाला और अधिक सुविधाजनक हो जाता है।   

4.तेजी से चार्जिंग – सामान्य सॉकेट से 7-8 घंटे में फुल चार्ज किया जा सकता है, और हाई-स्पीड चार्जिंग स्टेशन से यह और भी तेज़ चार्ज होता है।   

5.उच्च टोइंग क्षमता – 1.8 टन तक का भार खींच सकता है और 25 किमी/घंटा की गति तक चल सकता है, जिससे फसल परिवहन के लिए उपयोगी बनता है।   

6.मजबूती और लंबी उम्र – इसकी बैटरी और मोटर सिस्टम में न्यूनतम मेंटेनेंस की जरूरत होती है, जबकि डीजल इंजन को बार-बार तेल बदलने और सर्विसिंग की आवश्यकता होती है।  

 कैसे ये मशीनें भारतीय किसानों को सशक्त बनाती हैं?  

 1. आर्थिक लाभ  

1. डीजल-पेट्रोल की लागत में भारी बचत – बिजली से चलने वाली मशीनों से किसान ईंधन पर निर्भरता कम कर सकते हैं।   

2. सरकारी सब्सिडी और प्रोत्साहन – इलेक्ट्रिक कृषि उपकरणों पर मिलने वाली सरकारी सहायता इन मशीनों को और सस्ता बना सकती है।
3. कम मेंटेनेंस लागत – डीजल ट्रैक्टर और टिलर की तुलना में कम चलते हिस्से और बिना बार-बार तेल बदलने की जरूरत।  

4. लंबी बैटरी लाइफ (3000+ चार्ज साइकल) – बार-बार बैटरी बदलने का खर्च कम होता है।  

5. अतिरिक्त आय का अवसर – व्हीकल-टू-लोड (V2L) फीचर के जरिए किसान ट्रैक्टर की बिजली पास के खेतों में सिंचाई या अन्य कामों के लिए किराए पर दे सकते हैं।  

 2. पर्यावरण से जुड़ी स्थिरता  

1.शून्य प्रदूषण – बिना धुएं के काम करने वाली मशीनें गाँवों में स्वच्छ हवा बनाए रखने में मदद करेंगी।  

2.मिट्टी और पानी की सुरक्षा – तेल रिसाव या ईंधन गिरने की समस्या नहीं होती, जिससे जल और मिट्टी प्रदूषित नहीं होते।  

3.कम शोर – पारंपरिक ट्रैक्टरों के मुकाबले कम ध्वनि प्रदूषण, जिससे पशुओं और ग्रामीण लोगों को तनाव नहीं होता।  

4.सौर ऊर्जा से चार्जिंग – बिजली संकट से जूझ रहे ग्रामीण इलाकों में सौर ऊर्जा से चार्जिंग की सुविधा किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी।  

5.जलवायु परिवर्तन से लड़ाई – भारत के नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य में योगदान देगा।

 3. भविष्य की तकनीक  

1.बेहतर बैटरी तकनीक – लिथियम-आयन और नई सोडियम-आयन बैटरियाँ चार्जिंग स्पीड और दक्षता को और बढ़ाएँगी।  

2.AI और IoT एकीकरण – बैटरी की सेहत की निगरानी, पूर्वानुमान मेंटेनेंस और स्वचालित अलर्ट जैसी सुविधाएँ संभव होंगी।  

3.स्मार्ट फार्मिंग तकनीक – GPS और ऑटोमेशन से जुड़कर सटीक खेती (Precision Farming) में मदद मिलेगी।  

4.मॉड्यूलर अपग्रेड की संभावना – भविष्य में अदला-बदली करने योग्य बैटरी के साथ लंबे समय तक काम करने का विकल्प मिलेगा।  

5.बिजली बेचने का अवसर – किसान अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में बेचकर ट्रैक्टर को छोटे स्तर का ऊर्जा व्यवसाय बना सकते हैं।  

 4. संचालन में आसानी और सुरक्षा  

1.महिलाओं और बुजुर्ग किसानों के लिए अनुकूल – हल्का और एर्गोनॉमिक डिज़ाइन।  

2.कम कंपन, कम थकान – डीजल ट्रैक्टरों की तुलना में कम वाइब्रेशन, जिससे लंबे समय तक आराम से काम किया जा सकता है।  

3.इंजन के अधिक गर्म होने की समस्या नहीं – बिना रुके लंबे समय तक काम करने की सुविधा।   

4.आसान स्टार्टिंग सिस्टम – पुश-बटन स्टार्ट, पारंपरिक भारी लीवर खींचने की जरूरत नहीं।   

5.कम यांत्रिक खराबी – कोई जटिल ईंधन-आधारित भाग नहीं, जैसे कार्बोरेटर, क्लच, गियर शाफ्ट।  

 5. ग्रामीण रोजगार और कौशल विकास  

1.स्थानीय निर्माण और मरम्मत के अवसर – ग्रामीण क्षेत्रों में नई नौकरियाँ पैदा होंगी।   

2.किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम – इलेक्ट्रिक वाहन तकनीक पर प्रशिक्षण देकर कृषि यांत्रिकी में नए करियर अवसर खुलेंगे।  

3.युवा पीढ़ी के लिए आकर्षक कृषि – स्मार्ट खेती तकनीकों को अपनाने से कृषि व्यवसाय में युवा रुचि लेंगे। 

 मार्केटिंग रणनीति  

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025 के अवसर पर, CSIR ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली से पूरे भारत में ई-ट्रैक्टर और ई-टिलर का प्रदर्शन शुरू किया। इस पहल का उद्देश्य किसानों को इन इलेक्ट्रिक मशीनों की क्षमताओं से अवगत कराना और कम लागत में, पर्यावरण के अनुकूल कृषि को बढ़ावा देना है।  

प्रचार और जागरूकता अभियान  

1.भारत ऊर्जा सप्ताह 2025 (India Energy Week 2025) जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में CSIR-CMERI ने ई-ट्रैक्टर और ई-टिलर को प्रमुख रूप से प्रदर्शित किया।   

2.नीतिनिर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं और किसानों के साथ चर्चा कर इन मशीनों को बड़े पैमाने पर अपनाने और संभावित सहयोग को बढ़ावा दिया गया।  

 किसानों के लिए उपलब्धता और खरीद प्रक्रिया   

1.ई-पावर टिलर की तकनीक को विनिर्माण भागीदारों (Manufacturing Partners) को हस्तांतरित किया जा रहा है, जिससे इसका व्यावसायीकरण (Commercialization) जल्द शुरू होगा।   

2.किसान अधिकृत कृषि मशीनरी डीलरों के माध्यम से ई-टिलर खरीद सकेंगे, जैसे ही इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन (Mass Production) शुरू होगा।   

3.ई-ट्रैक्टर (PRIMA ET11) के लिए भी इसी तरह के व्यावसायीकरण प्रयास चल रहे हैं, ताकि छोटे और सीमांत किसानों के लिए इसे सुलभ बनाया जा सके।  

 किसानों के लिए वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण  

1.सरकारी सब्सिडी और वित्तीय सहायता – CSIR विभिन्न सरकारी एजेंसियों और वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर किसानों को आर्थिक मदद और अनुदान दिलाने का प्रयास कर रहा है।  

2.प्रशिक्षण कार्यक्रम – किसानों को नई तकनीक अपनाने में आसानी हो, इसके लिए प्रशिक्षण (Training) और वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है।   

3.अधिक जानकारी के लिए – किसान स्थानीय कृषि कार्यालयों से संपर्क कर सकते हैं या CSIR-CMERI की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।  

 किसानों को इन मशीनों को क्यों अपनाना चाहिए?  

1.कम लागत, ज्यादा मुनाफा – डीजल ट्रैक्टरों की तुलना में संचालन लागत 85% तक कम होती है।  

2.पर्यावरण के अनुकूल – शून्य प्रदूषण और कम शोर, जिससे खेत और गाँव का पर्यावरण स्वच्छ रहता है।   

3.अधिक उत्पादकता – बेहतर टॉर्क, ज्यादा कार्यक्षमता और कम थकान से लंबे समय तक काम किया जा सकता है।  

4.महिलाओं और बुजुर्ग किसानों के लिए अनुकूल – हल्का वजन और आसान संचालन इसे सभी के लिए सुविधाजनक बनाता है।  

 भविष्य की भारतीय कृषि के लिए एक क्रांतिकारी कदम  

भारत हरित ऊर्जा समाधानों की ओर बढ़ रहा है, और इलेक्ट्रिक कृषि मशीनें इस परिवर्तन का हिस्सा हैं। ई-ट्रैक्टर और ई-टिलर जैसी मशीनें कृषि को अधिक लाभदायक, कुशल और टिकाऊ बनाएंगी।  

अगर आप एक किफायती, पर्यावरण-हितैषी और उच्च-प्रदर्शन वाली मशीनरी में निवेश करना चाहते हैं, तो CSIR ई-ट्रैक्टर और ई-टिलर भारतीय कृषि का भविष्य हैं।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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