मशरूम की खेती से महिलाओं को मिला सशक्त भविष्य और किसानों को नई राह
मशरूम की खेती ने गांव की महिलाओं को सशक्त बनाया है और कम लागत में आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया है।
मशरूम की खेती ने गांव की महिलाओं को सशक्त बनाया है और कम लागत में आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया है।
हल्दी की खेती और मशरूम की खेती से उत्तराखंड के हरीश सजवान ने अच्छी आय अर्जित कर खेती को बनाया मुनाफ़े का ज़रिया।
मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) से आत्मनिर्भर बनीं रिंकुराज मीना की सच्ची कहानी जानिए जो खेती को बना रही हैं युवाओं के लिए प्रेरणा।
नैनीताल के ललितपुर जिले के किसान खेम सिंह ने नए उद्यम के रूप में मशरूम उत्पादन (Mushroom Production) शुरू किया और अब वह एक सफल मशरूम उत्पादक बन गए हैं। मशरूम उत्पादन से न सिर्फ उनकी आमदनी में इज़ाफा हुआ, बल्कि परिवार की पोषण संबंधी ज़रूरत भी पूरी हुई।
बटन मशरूम की खेती से किसान अजय कुमार यादव ने नया व्यवसाय शुरू किया और युवा किसानों को इस खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं, जिससे तगड़ा मुनाफा मिल रहा है।
अगर आप मशरूम की खेती के लिए एक बिज़नेस प्लान के साथ काम करें तो आप इस मार्केट में अपनी पकड़ रख सकते हैं। इस लेख में हम मशरूम उगाने के बिजनेस प्लान मॉडल (Mushroom Farming Business Plan) की ज़रूरी डीटेल्स शेयर कर रहे हैं।
मशरूम की खेती के लिए पहाड़ी इलाकों का मौसम उपयुक्त होता है, मगर कई जगहों पर किसानों को मशरूम उत्पादन की तकनीक नहीं पता है। ऐसे में उत्तराखंड का उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, जागरुकता फैलाने के साथ ही किसानों को प्रशिक्षण भी दे रहा है।
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले की रहने वाली प्रियंका पांडे ने 2019 में मशरूम की खेती शुरू की। वैज्ञानिक तरीके से की गई मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) ने आज उन्हें एक सफल महिला उद्यमी बना दिया है।
किसानों के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले फसल के उत्पादन से ज़्यादा चुनौतीपूर्ण काम है अपनी फसल की उचित कीमत पाना। इसकी वजह होते हैं बिचौलिए, जो किसानों के मुनाफ़े में हिस्सेदार बन जाते हैं। ऐसे में FPO आधारित एक्सटेंशन डिलीवरी मॉडल किसानों के लिए फायदेमंद है।
गैनोडर्मा मशरूम का उत्पादन निजर्मीकृत (sterilized) माध्यम पर कार्बनिक या जैविक विधि से किया जाता है। इससे फ़सल को बीमारियाँ और कीड़े-मकोड़े से सुरक्षित रखना आसान होता है।
गैनोडर्मा मशरूम के पनपने के लिए देवदार और चीड़ जैसे उन पेड़ों की लट्ठे या बुरादा उपयुक्त नहीं होते जिनमें तैलीय तत्व पाये जाते हैं। इसके लिए चौड़ी पत्तियों वाले पेड़ जैसे आम, जामुन, पीपल, पापलर शीशम आदि की लकड़ी और इसका बुरादा बेहतरीन होता है। चीन-जापान में इसके लिए ओक, चेस्टनट और एप्रीकाट जैसे पेड़ों के लट्ठे और बुरादा का इस्तेमाल होता है।
औषधीय गुणों वाले मशरूमों में से गैनोडर्मा की विश्व व्यापार में हिस्सेदारी क़रीब 70 फ़ीसदी की है और ये राशि क़रीब 3 अरब डॉलर की है। लेकिन भारत में गैनोडर्मा की पैदावार ख़ासी कम है और माँग बहुत ज़्यादा। तभी तो देश में इसका 200 करोड़ रुपये से ज़्यादा का आयात होता है। कृषि वैज्ञानिक और संस्थान अब गैनोडर्मा मशरूम की खेती को बढ़ावा देने पर काम कर रहे हैं।
पानीपत के किसान जितेंद्र मलिक ने किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में बताया कि मशरूम की खेती से किस तरह मुनाफ़ा कमाया जा सकता है और कैसे लागत कम की जा सकती है।
पौष्टिक गुणों से भरपूर होने के कारण मशरूम की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इससे किसानों को कम लागत में अतिरिक्त आमदनी का एक अच्छा ज़रिया मिल गया है। मशरूम की एक नई किस्म हैं ब्लू ऑयस्टर मशरूम जिसे बहुत ही कम लागत के साथ आसानी से उगाकर अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है।
Oyster Farming: ऑयस्टर मशरुम की खेती से 2 साल में लागत से तीन गुना ज़्यादा कमाया मुनाफ़ा।
जब इन नई तकनीकों से मशरूम उगाए गए तो उत्पादन ज़्यादा देखा गया। साथ ही पौष्टिकता के लिहाज़ से ये ज़्यादा अच्छी हैं और इनका आकार भी ज़्यादा है।
मध्य प्रदेश का एक स्वयं सहायता समूह सफलतापूर्वक मशरूम उत्पादन करके कईयों के लिए प्रेरणा बना है। कैसे इस स्वयं सहायता समूह का गठन हुआ और कैसे इन महिलाओं के लिए स्वरोजगार के रास्ते खुले, जानिए इस लेख में।
बिहार की रहने वालीं सुषमा गुप्ता अपनी सटीक Marketing Strategy से मशरूम की खेती से अच्छा मुनाफ़ा कमा रही हैं। जानिए हमेशा से कुछ नया करने की ललक रखने वालीं सुषमा ने कैसे शुरू की मशरूम की खेती।
यदि मौसम के अनुसार ढींगरी की प्रजातियाँ चुनी जाएँ तो पूरे साल इसकी उपज मिल सकती है। ढींगरी की विभिन्न प्रजातियाँ जहाँ देखने में अलग-अलग हैं, वहीं इनका स्वाद भी भिन्न होता है और इन्हें उगाने के लिए तापमान भी अलग-अलग रखना पड़ता है।
मशरूम उत्पादन की ख़ासियत है कि इसमें खर्च बहुत कम होता है और इसे गेहूं, धान, सोयाबीन आदि के भूसे में आसानी से उगाया जा सकता है। छोटे किसानों के पास अपनी आमदनी बढ़ाने का यह एक बेहतरीन ज़रिया है। आप छोटे स्तर पर शुरू करके इसे बड़ा बिज़नेस बना सकते हैं।