धान और गेहूं के भूसे जो कचरे में फेंके जाते हैं, उसका इस्तेमाल करके किसान मशरूम की खेती कर सकते हैं। आजकल मशरूम की काफ़ी डिमांड है, क्योंकि मशरूम सेहत के लिए बहुत पौष्टिक होता है, इसलिए इसकी मांग दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। ओडिशा के जाजपुर ज़िले के भुसंदापुर गाँव की किसान संध्या रानी मशरूम उत्पादन से ही सफल महिला उद्यमी बन चुकी हैं। अब अन्य महिलाओं को मशरूम की खेती और इसके मूल्य संवर्धन उत्पादों के ज़रिए लाभ प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
मशरूम और स्पॉन का उत्पादन
संध्या रानी पहले धान की खेती के साथ ही छोटी सी डेयरी चलाती थीं, जिससे वह मुश्किल से परिवार की ज़रूरतों को पूरा कर पाती थीं। बेहतर ज़िंदगी के लिए वह नए विकल्प की तलाश में थीं और उनकी तलाश पूरी हुई कृषि विज्ञान केन्द्र, जाजपुर के प्रशिक्षण शिविर में। जहां पूरे साल मशरूम और स्पॉन उत्पादन के बारे में जानकारी दी गई। इस प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लेने के बाद संध्या मशरूम उत्पादन के लिए प्रेरित हुई, क्योंकि इसमें बहुत कम निवेश की ज़रूरत थी। स्पॉन उत्पादन के लिए वह अपनी बंजर ज़मीन का भी इस्तेमाल कर सकती थीं।

वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल
संध्या ने प्रशिक्षण में दी गई जानकारी के आधार पर वैज्ञानिक तरीके से मशरूम का उत्पादन शुरू किया। उन्होंने गुणवत्तापूर्ण स्पॉन (भूसे) का इस्तेमाल किया, मशरूम बेड बनाने, ग्रेडिंग और पैकेजिंग, कटाई आदि के लिए वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल किया। मशरूम से मूल्य संवर्धन उत्पाद बनाएं।
कृषि विज्ञान केन्द्र से मदद
कृषि विज्ञान केन्द्र, जाजपुर ने प्रशिक्षण के अलावा, वैज्ञानिकों द्वारा विधि प्रदर्शन, छोटे पैमाने पर मशरूम और स्पॉन उत्पादन, निगरानी और फीड बैक, मार्केट लिंकेज (बागवानी विभाग, ORMAS), एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट, क्रेडिट लिंकेज (NABRD, ATMA, BANK) आदि के द्वारा भी मदद प्रदान की गई।

मशरूम उत्पादन में कितनी लागत और मुनाफ़ा?
वह पैडी स्ट्रॉ मशरूम, ढिंगरी मशरूम उगाने के अलावा, मशरूम के बीज उत्पादन का काम भी करती हैं। प्रति साल करीबन 50 क्विंटल पैडी स्ट्रॉ मशरूम और 18 क्विंटल ढिंगरी मशरूम का उत्पादन होता है। हर साल करीब 36 हज़ार बोतल मशरूम के बीज तैयार करती हैं। इन सब में उनकी कुल लागत तकरीबन 6 लाख 73 हज़ार पड़ती है। कुल आमदनी 10 लाख 40 हज़ार के आसपास होती है। इस तरह से उनका सालाना मुनाफ़ा करीबन 3 लाख 66 हज़ार होता है।
अब हैं सफल महिला मशरूम उत्पादक
संध्या रानी अब सफल मशरूम उद्यमी बन चुकी हैं और अपने इलाके की अन्य महिलाओं के लिए वह एक रोल मॉडल हैं। वह जाजपुर की महिला किसानों की मास्टर ट्रेनर बन चुकी हैं। उन्होंने बड़ाचना और धर्मशाला ब्लॉक की 36 महिला स्वयं सहायता समहू को प्रेरित किया और उन्हें मशरूम से जुड़े उद्यमी गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित किया है। इतना ही नहीं, उन्होंने कई महिलाओं को रोज़गार भी दिया है। उन्हें कई सम्मान भी मिल चुके हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र, जाजपुर में आयोजित किसान मेले में उन्हें सम्मानित किया गया। इसके अलावा, ओडिशा मशरूम प्रोड्यूसर्स फेडरेशन द्वारा ओडिशा में सफल मशरूम उद्यमी का पुरस्कार भी उन्हें मिल चुका है। 2016 में उन्हें विश्वविद्यालय स्थापना दिवस पर ओडिशा की महिला राज्यपाल द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है।

मशरूम की खेती के साथ ही इसके मूल्य संर्वधन उत्पाद जैसे मशरूम पापड़, आटा आदि बनाकर भी किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। मशरूम जल्दी खराब हो जाते हैं, इसलिए मशरूम को प्रोसेस कर मूल्य संवर्धन उत्पाद बनाना एक अच्छा विकल्प है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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