जल कृषि

Pearl Farming: कैसे करें मोती की खेती? कहां से लें मुफ़्त ट्रेनिंग
एग्री बिजनेस, जल कृषि, ट्रेनिंग, पशुपालन

Pearl Farming: कैसे करें मोती की खेती? कहां से लें मुफ़्त ट्रेनिंग

मोती की खेती अगर रफ़्तार पकड़ ले, तो ये किसानों को लाखों का मुनाफ़ा दे सकती है। बस रखरखाव में कई बातों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है। इसमें कम लागत में किसानों को तगड़ा मुनाफ़ा हो सकता है, अगर वो सही तरीके से ट्रेनिंग के बाद ये काम शुरू करें तो।

मछली के साथ बत्तख पालन fish cum duck farming
पशुपालन, जल कृषि, मछली पालन, मछली पालन तकनीक, मुर्गी पालन

मछली के साथ बत्तख पालन यानी दोगुना लाभ, एक्सपर्ट एनएस रहमानी से जानिए कैसे शुरू करें Fish cum Duck farming

मछली के साथ बत्तख पालन व्यवसाय को लेकर किसान ऑफ़ इंडिया ने उत्तर प्रदेश स्थित मत्स्य विभाग, वाराणसी के उप निदेशक एनएस रहमानी से ख़ास बातचीत की।

मछली बीज उत्पादन
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बेहतर लाभ का ज़रिया है मछली बीज उत्पादन, कैसे शुरू करें? जानिए मत्स्य विशेषज्ञ डॉ. मुकेश सारंग से

मछली बीज उत्पादन का व्यवसाय भी युवकों के लिए अच्छी कमाई का ज़रिया बन सकता है। जुलाई से अगस्त प्रजनन का सबसे अच्छा समय होता है। इन महीनों में मछली बीजों की ज़बरदस्त मांग रहती है। कैसे करें फिश हैचरी तैयार, कैसा है इसका बिज़नेस? इसपर किसान ऑफ़ इंडिया की बिन्ध्याचल मंडल मिर्ज़ापुर उत्तर प्रदेश के मत्सय विभाग के उपनिदेशक डॉ.  मुकेश सारंग से ख़ास बातचीत।

Prawn farming: झींगा पालन की उन्नत तकनीक अपनाएँ, मछली के अलावा कार्बनिक खाद से भी पाएँ शानदार कमाई
जल कृषि, न्यूज़, पशुपालन

Prawn farming: झींगा पालन की उन्नत तकनीक अपनाएँ, मछली के अलावा कार्बनिक खाद से भी पाएँ शानदार कमाई

झींगा समुद्री जीव है। लेकिन व्यावसायिक माँग की वजह से इसे मीठे पानी में भी पालते हैं क्योंकि बाज़ार में ये 250 से 400 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिकता है। यदि उन्नत और वैज्ञानिक तरीके से झींगा पालन की जाए तो एक एकड़ के तालाब से 6 से 8 महीने में लागत निकालकर कम से कम 2 लाख रुपये की कमाई होती है। इसके अलावा हज़ारों रुपये के कार्बनिक खाद की पैदावार का बोनस भी मिलता है।

Aquaponics Farming in india ( एक्वापोनिक्स फ़ार्मिंग )
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Aquaponics Farming: जानिए क्या है एक्वापोनिक्स खेती, ऊपर सब्जी की खेती और नीचे मछली पालन

एक्वापोनिक्स खेती में खाद, कीटनाशक की ज़रूरत नहीं होती साथ ही सिंचाई का खर्च भी नहीं आता। इससे उत्पादन लागत कम आती है जबकि ऑर्गेनिक सब्जियों से कमाई अच्छी हो जाती है, साथ ही मछली पालन भी चलता रहता है।

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