Integrated Farming System: मछली पालन आधारित समेकित कृषि प्रणाली अपनाकर रुपेश कुमार चौधरी ने पाई सफलता

समेकित कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) अपनाकर रुपेश कुमार चौधरी ने मछली पालन, पोल्ट्री और बागवानी से अपनी आय बढ़ाई। यह प्रणाली किसानों को स्थिर आय और पर्यावरणीय लाभ प्रदान करती है।

Integrated Farming System समेकित कृषि प्रणाली

आज के समय में किसानों के लिए कृषि के क्षेत्र में समेकित खेती (Integrated Farming System) को अपनाना एक बेहतरीन विकल्प साबित हो रहा है। किसानों की आय को बढ़ाने, पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और स्थिर आय सुनिश्चित करने के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) को बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है।

एकीकृत कृषि प्रणाली के तहत विभिन्न कृषि गतिविधियां जैसे मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन और बागवानी जैसी गतिविधियां एक साथ की जाती हैं। इस सफलता की कहानी हम जानेंगे, रुपेश कुमार चौधरी की, जो एक किसान हैं और जिन्होंने मछली पालन आधारित समेकित कृषि प्रणाली (Integrated Fish Farming) को अपनाकर न केवल अपनी आमदनी बढ़ाई, बल्कि आसपास के कई किसानों को भी लाभकारी खेती की दिशा दिखाई।

रुपेश कुमार चौधरी का कृषि में नवाचार (Rupesh Kumar Choudhary’s innovation in agriculture)

रुपेश कुमार चौधरी, जो बिहार राज्य के बांका जिले के ग्राम पोस्ट-उपरामा, प्रखंड-रजौन के निवासी हैं, उनके पास कुल 6 हेक्टेयर सिंचित भूमि है। इस भूमि पर वे पारंपरिक तरीके से धान, गेहूं, मूँग और सरसों जैसी फ़सलें उगाते थे, लेकिन पारंपरिक विधियों से पर्याप्त लाभ नहीं मिल रहा था। एक दिन उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र, बांका का दौरा किया और विशेषज्ञों से कृषि के क्षेत्र में लाभकारी उपायों पर सलाह ली। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने उन्हें समेकित कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) अपनाने की सलाह दी, जिसके बाद रुपेश कुमार चौधरी ने इसे अपनी कृषि पद्धति में लागू किया।

समेकित कृषि प्रणाली का महत्व (Importance of Integrated Farming System)

समेकित कृषि प्रणाली के अंतर्गत, रुपेश कुमार चौधरी ने मछली पालन, मुर्गी पालन और खेती के अवशेषों का बेहतर उपयोग करना शुरू किया। उन्होंने मछली पालन के लिए 0.4 हेक्टेयर तालाब का निर्माण किया और खेतों के बचे अवशेषों को अच्छे तरीके से प्रबंधित करने के उपायों को लागू किया। धान की फ़सल के अवशेषों से बेल बनाने का कार्य शुरू किया, जिसे पशुपालकों को सूखा चारा के रूप में बेचते थे। इस दौरान खेतों में बचे हुए अवशेषों पर वेस्ट डिकम्पोजर का छिड़काव कर उन्हें जैविक खाद में परिवर्तित किया, जिससे उनकी मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि हुई।

मछली पालन आधारित समेकित कृषि प्रणाली से लाभ (Benefits of Integrated farming system based on fish farming)

रुपेश कुमार चौधरी के लिए मछली पालन आधारित समेकित कृषि प्रणाली एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। इसके बाद, उन्होंने अपने गांव के 90 परिवारों को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग दी और उनके माध्यम से मशरूम उत्पादन शुरू कराया। इसके चलते सैकड़ों परिवार उन्नत कृषि पद्धतियों से जुड़ने में सफल हुए और अपनी आमदनी में इज़ाफा किया।

मछली पालन के जरिए हर साल रुपेश कुमार चौधरी को लगभग 6 लाख रुपये की आय हो रही है। इसके अलावा, उनका अनुभव और कृषि क्षेत्र में किए गए नवाचारों के लिए उन्हें वर्ष 2024 में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर द्वारा “उत्कृष्ट किसान” सम्मान से नवाजा गया। यह एकीकृत कृषि प्रणाली के लाभों को दर्शाता है, जिससे न केवल रुपेश कुमार चौधरी की आय बढ़ी, बल्कि उनके आस-पास के कई किसानों ने भी इससे लाभ उठाया।

एकीकृत कृषि प्रणाली का भविष्य (The Future of Integrated Farming Systems)

आज के समय में जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं के कारण पारंपरिक कृषि पद्धतियां लगातार चुनौतीपूर्ण हो रही हैं। ऐसे में एकीकृत कृषि प्रणाली का महत्व और बढ़ गया है। इस प्रणाली के माध्यम से किसान न केवल अपनी फ़सलों की विविधता बढ़ा सकते हैं, बल्कि मवेशी पालन, पोल्ट्री पालन, मछली पालन, और बागवानी जैसी गतिविधियों को जोड़कर अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। इस प्रकार की एकीकृत कृषि प्रणाली किसानों को एक स्थिर और दीर्घकालिक आय स्रोत प्रदान करती है, जो प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को भी कम करती है।

एकीकृत कृषि प्रणाली की कार्यप्रणाली (Functioning of Integrated Farming System)

एकीकृत कृषि प्रणाली में किसान विभिन्न कृषि गतिविधियां एक साथ करते हैं, जिससे वे अधिक लाभ कमा सकते हैं और संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सकते हैं। इसमें चार प्रमुख घटक होते हैं:

  1. जलकृषि (Aquaculture): मछली पालन के लिए तालाबों का उपयोग किया जाता है, जहां महंगी मछलियों जैसे एशियाई सीबास, कैटफ़िश, सिल्वर कार्प, आदि का पालन किया जाता है।
  2. पोल्ट्री पालन (Poultry Farming): पोल्ट्री पालन से किसानों को अंडे और मांस दोनों की प्राप्ति होती है, और मुर्गी के खाद का उपयोग फ़सलों के लिए किया जाता है।
  3. बकरी पालन (Goat Farming): बकरियों से दूध और मांस दोनों मिलते हैं, और बकरियों की बीट को खेतों में जैविक खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  4. बागवानी (Horticulture): बागवानी में तालाब के किनारे सब्जियां उगाई जाती हैं, जिन्हें स्थानीय बाजार में बेचा जा सकता है।

इस प्रकार की प्रणाली में सभी घटक एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं, जिससे सभी संसाधनों का सही उपयोग होता है और किसानों को अधिक लाभ मिलता है।

एकीकृत कृषि प्रणाली के लाभ (Advantages of Integrated Farming System)

एकीकृत कृषि प्रणाली के कई फ़ायदे हैं, जो किसानों के लिए एक स्थिर आय का स्रोत बनाते हैं:

  1. सभी संसाधनों का उपयोग: इस प्रणाली में किसी भी संसाधन का अपव्यय नहीं होता, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिलता है।
  2. कम लागत में अधिक उत्पादन: इसमें किसान को बाहरी खाद्य सामग्री और चारा कम खरीदना पड़ता है, जिससे उनकी लागत कम होती है।
  3. स्थिर आय: एकीकृत कृषि प्रणाली में किसान के पास साल भर काम रहता है और हर महीने कुछ न कुछ बेचने को मिलता है, जिससे उनकी आय लगातार बनी रहती है।
  4. पर्यावरणीय लाभ: इस प्रणाली के माध्यम से खेतों और तालाबों का पर्यावरणीय रूप से बेहतर तरीके से उपयोग किया जाता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

रुपेश कुमार चौधरी की यह सफलता की कहानी यह साबित करती है कि एकीकृत कृषि प्रणाली न केवल किसानों के लिए लाभकारी है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी सहायक है। मछली पालन आधारित समेकित कृषि प्रणाली (Integrated Fish Farming) की तरह अन्य कृषि गतिविधियां भी किसानों की आय में वृद्धि कर सकती हैं और उन्हें सतत विकास की ओर अग्रसर कर सकती हैं। एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाकर छोटे और सीमांत किसान भी अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकते हैं, और इससे उन्हें बेहतर जीवनशैली प्राप्त हो सकती है।

Story credit: Bihar Agricultural University

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