Promotion Of Salt Water Aquaculture: उत्तर भारत में खारे पानी की जलीय कृषि को बढ़ावा, रोज़गार, आजीविका और निर्यात की नई संभावनाएं

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (Ministry of Fisheries, Animal Husbandry and Dairying) के अंतर्गत मत्स्य विभाग (DOF), ने हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में खारे पानी की जलीय कृषि को बढ़ावा (Promotion Of Salt Water Aquaculture) देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। ये पहल न केवल क्षेत्रीय संसाधनों के प्रभावी उपयोग की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि ये रोजगार और आजीविका के नए रास्तों को तैयार करेगा। 

Promotion Of Salt Water Aquaculture: उत्तर भारत में खारे पानी की जलीय कृषि को बढ़ावा, रोज़गार, आजीविका और निर्यात की नई संभावनाएं

भारत सरकार (Government of India), उत्तर भारत में खारे पानी की जलीय कृषि को बढ़ावा (Promotion Of Salt Water Aquaculture) देने का काम कर रही है। ख़ासकर मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (Ministry of Fisheries, Animal Husbandry and Dairying) के अंतर्गत मत्स्य विभाग (DOF), ने हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में खारे पानी की जलीय कृषि को बढ़ावा (Promotion Of Salt Water Aquaculture) देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। ये पहल न केवल क्षेत्रीय संसाधनों के प्रभावी उपयोग की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि ये रोजगार और आजीविका के नए रास्तों को तैयार करेगा। 

समीक्षा बैठक और मुख्य उद्देश्य (Review Meeting And Main Objectives)

हाल ही में केंद्रीय सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने मुंबई स्थित ICAR-केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (CIFE) में एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें इन चार राज्यों में खारे पानी के झींगा मत्स्य पालन की प्रगति, संभावनाओं और चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया गया। इस बैठक का मूल उद्देश्य था – अंतर्देशीय खारे भूमि संसाधनों की क्षमता का उपयोग करना और इसे आजीविका के साधन में परिवर्तित करना।

डॉ. लिखी ने राज्यों के किसानों से सीधे संवाद कर उनकी जमीनी समस्याओं को समझा। उन्होंने CIFE की मत्स्य पालन प्रयोगशालाओं और सजावटी मत्स्य इकाई का भी दौरा किया।

राज्यवार प्रगति और संभावनाएं (State-Wise Progress And Prospects)

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश ने मथुरा, आगरा, हाथरस और रायबरेली जैसे जिलों में 1.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अंतर्देशीय खारे पानी की जलीय कृषि की संभावना बताई है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के अंतर्गत यहां कई महत्वपूर्ण पहलें चल रही हैं।

राजस्थान

राजस्थान के चूरू और श्रीगंगानगर जैसे नमक प्रभावित जिलों में झींगा पालन की गति तेजी से बढ़ रही है। राज्य ने लगभग 500 हेक्टेयर में पेनियस वन्नामेई (झींगा), मिल्कफिश और पर्ल स्पॉट की खेती आरंभ की है। चूरू जिले में एक डायग्नोस्टिक लैब की स्थापना की गई है जो एक बड़ा कदम है।

पंजाब

पंजाब के दक्षिण-पश्चिमी जिलों – श्री मुक्तसर साहिब और फाजिल्का में झींगा पालन को बढ़ावा मिला है। राज्य ने 30 टन क्षमता वाला कोल्ड स्टोरेज, आइस प्लांट और एक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित कर इस क्षेत्र को मजबूत किया है।

हरियाणा

हरियाणा ने ₹57.09 करोड़ के निवेश से 13,914 टन उत्पादन कर उल्लेखनीय प्रगति की है। ICAR-CIFE ने राज्य में तकनीकी सहायता और सर्वोत्तम प्रथाएं साझा की हैं जिससे उत्पादन की गुणवत्ता और स्थिरता में वृद्धि हुई है।

क्षेत्रीय संसाधनों की स्थिति (Status Of Regional Resources)

इन चार राज्यों में करीब 58,000 हेक्टेयर खारे पानी से प्रभावित भूमि है, लेकिन वर्तमान में केवल 2,608 हेक्टेयर क्षेत्र का ही उपयोग किया जा रहा है। इसका सीधा अर्थ है कि लगभग 95% संसाधनों का अभी तक सही उपयोग नहीं हो रहा है। यह भूमि पारंपरिक कृषि के लिए उपयुक्त नहीं होती, लेकिन इसे जलीय कृषि केंद्र में परिवर्तित कर “बंजर से सोना” बनाने की असीम संभावना है।

भारत पहले से ही झींगा उत्पादन में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है और इसका 65% समुद्री खाद्य निर्यात मूल्य अकेले झींगा से आता है। इसके बावजूद, खारे पानी की जलीय कृषि विशेषकर उत्तर भारत में बहुत कम उपयोग में है।

मुख्य चुनौतियां (Main Challenges)

बैठक के दौरान किसानों ने निम्नलिखित प्रमुख समस्याएं सामने रखीं:

-खारे पानी की जलीय कृषि के लिए केवल 2 हेक्टेयर की सीमा, जो व्यावसायिक स्तर पर विकास के लिए अपर्याप्त है।

-उच्च स्थापना लागत और सब्सिडी की सीमाएं।

-भूमि पट्टे की ऊंची दरें और लवणता के उतार-चढ़ाव की समस्याएं।

-उच्च गुणवत्ता वाले बीज की कमी और स्थानीय उपलब्धता का अभाव।

-विपणन बुनियादी ढांचे की कमी (कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग यूनिट आदि)।

-इनपुट लागत में वृद्धि और बाजार में उचित मूल्य की अनुपलब्धता।

राज्यों के प्रस्ताव और समाधान (States’ Proposals And Solutions)

राज्यों ने इन समस्याओं के समाधान के लिए केंद्र से निम्नलिखित प्रमुख मांगें की हैं:

1.क्षेत्र सीमा को 2 हेक्टेयर से बढ़ाकर 5 हेक्टेयर किया जाए।

2.इकाई लागत को ₹25 लाख तक बढ़ाया जाए।

3.पॉलीथीन लाइनिंग जैसी सुविधाओं पर अधिक सब्सिडी मिले।

4.सिरसा (हरियाणा) में एक एकीकृत एक्वा पार्क की स्थापना की जाए।

5.विपणन चैनल और मूल्य शृंखला को मजबूत किया जाए।

राष्ट्रीय समिति और सहयोगात्मक रणनीति की  ज़रूरत (Need For A National Committee And Collaborative Strategy)

बैठक में एक राष्ट्रीय स्तर की समिति बनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया जो खारे पानी की जलीय कृषि के लिए दिशानिर्देशों की समीक्षा करे और उत्तर भारत के लिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करे। राज्यों से आग्रह किया गया कि वे लाभार्थी-उन्मुख कार्य योजनाएं बनाएं और अपनी समस्याओं को केंद्र सरकार को साझा करें ताकि लक्षित सहायता प्रदान की जा सके।

तकनीकी सहयोग और जागरूकता अभियान (Technical Support And Awareness Campaigns)

ICAR और कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) की मदद से नए क्षेत्रों की पहचान, किसानों को प्रशिक्षण और अनुसंधान गतिविधियां बढ़ाने पर भी बल दिया गया। साथ ही, उत्तर भारत में झींगा की खपत को बढ़ावा देने और संभावित क्लस्टरों के विकास की दिशा में रणनीतियाँ बनाई जाएंगी।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें: Makhana Cultivation: मखाने की खेती में नवाचार और विकास की दिशा में राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top