ICAR-IIMR के हाइब्रिड मक्का के बीज से किसानों को मिला फ़ायदा, कम लागत में मिल रहा बेहतर उत्पादन
ICAR-IIMR के हाइब्रिड मक्का के बीज किसानों तक कम कीमत पर पहुंचाकर मक्का की खेती को नई ऊंचाई पर ले जा रहे हैं।
ICAR-IIMR के हाइब्रिड मक्का के बीज किसानों तक कम कीमत पर पहुंचाकर मक्का की खेती को नई ऊंचाई पर ले जा रहे हैं।
मक्के की फसल की खेती रबी, खरीफ़ और जायद सीज़न में आराम से की जा सकती है, लेकिन खरीफ़ के मौसम में मक्के की फसल बारिश पर निर्भर करती है। मक्के की फसल 3 महीने का वक्त लेती है।
दुधारू पशु से दूध ज्यादा पाने के लिए उन्हें हरा चारा देना बहुत ज़रूरी होता है, लेकिन आजकल पशुपालकों के लिए हरा चारा इकट्ठा करना काफी मुश्किल भरा काम हो गया है। पशुपालकों को लगातार हरे चारे की कमी से दो-चार होना पड़ता है। ऐसे में वो मक्के की खेती में इस परेशानी का हल देख सकते हैं।
मिजोरम के जनजातीय किसान पहले कम उपज देने वाली मक्का की खेती करते थे, जिससे उनका लाभ सीमित रहता था, मगर स्वीट कॉर्न की खेती शुरू करने के बाद उनका मुनाफ़ा कई गुना बढ़ गया और किसानों के जीवनस्तर में सुधार हुआ।
अगर खेती में सही तकनीक और अच्छी किस्म के बीजों का इस्तेमाल किया जाए तो किसान अच्छा मुनाफ़ा अर्जित कर सकते हैं। सिक्किम की महिला किसान यांगडेन लेप्चा मक्के की खेती से अच्छा लाभ अर्जित कर रही हैं।
अधिकांश मक्का सिर्फ़ पीले या सफेद रंग में आता है, लेकिन भारतीय मकई की बात ही अलग है। कुछ किस्में सफेद, लाल, नीले और काले रंगों में तो कुछ बहुरंगी होती हैं। रंगीन मक्के की खेती कैसे करें? जानिए इस लेख में।
जुलाई माह में बहुत से ज़िलों में बारिश नहीं होने के कारण धान की खेती काफ़ी प्रभावित हुई। किसानों को हो रहे इस नुकसान से बचाव के लिए ICAR के संस्थान एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन रिसर्च इंस्टीट्यूट कानपुर (अटारी) के डायरेक्टर डॉ. यूएस गौतम ने कुछ सुझाव दिए हैं। जानिए क्या हैं वो सुझाव।