डोंडुबाई हन्नू चव्हाण जिन्होंने अपनाई एकीकृत कृषि प्रणाली और बदल दी ज़िंदगी
एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाकर डोंडुबाई चव्हाण ने खेती की तस्वीर बदली, कम ज़मीन में हासिल की लाखों की कमाई और सम्मान।
जैविक और प्राकृतिक खेती के फायदे और तकनीकों का अन्वेषण करें। स्वस्थ जीवन के लिए जैविक खेती के लाभ जानें। किसान ऑफ इंडिया पर हमारे गाइड के साथ स्वास्थ्यपूर्ण खेती की दुनिया में कदम बढ़ाएं।
एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाकर डोंडुबाई चव्हाण ने खेती की तस्वीर बदली, कम ज़मीन में हासिल की लाखों की कमाई और सम्मान।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन से जुड़कर कृषि सखियां गांवों में प्राकृतिक खेती का ज्ञान फैला रही हैं और महिला किसानों को सशक्त बना रही हैं।
पर्माकल्चर (Permaculture) और टेरेस गार्डनिंग से अमनिंदर नागरा ने अपने खेत को बनाया हरियाली का प्रतीक और गांव को दिया आत्मनिर्भरता का रास्ता।
जैविक खेती अपनाकर विट्ठल गुरुजी ने कमाया करोड़ों का मुनाफ़ा और बन गए बुरहानपुर के किसानों के लिए प्रेरणा।
राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने मुख्यमंत्री बजट 2025-26 (Rajasthan Farmers who do farming with oxen will get 30 thousand rupees) में इस योजना की घोषणा की है। इसका मुख्य उद्देश्य परंपरागत खेती को बढ़ावा देना और छोटे किसानों की आय बढ़ाना है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (Chief Minister Naib Singh Saini) ने घोषणा की है कि हरियाणा में दो जैविक मंडियां (Organic Mandis and Branding in Haryana) बनाई जाएंगी, जहां किसान अपनी प्राकृतिक खेती की उपज आसानी से बेच सकेंगे।
मल्टीलेयर फ़ार्मिंग (Multilayer Farming) तकनीक से आकाश चौरसिया ने शुरू की क्रांतिकारी खेती, 10 डेसिमल से 28 एकड़ तक का सफर बना मिसाल।
सरकार जल्द ही प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के लिए स्वैच्छिक प्रमाणन प्रणाली (Voluntary Certification System) शुरू करने जा रही है। जिससे प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को फायदा मिलेगा।
रंगीन शिमला मिर्च की खेती से हिमाचल के शैलेन्द्र शर्मा ने प्राकृतिक खेती में नई मिसाल कायम की और कई किसानों को किया प्रेरित।
राजस्थान सरकार की Vermi Compost Unit Scheme के तहत किसानों को वर्मीकम्पोस्ट यूनिट स्थापित करने पर 50% तक की सब्सिडी मिलती है।
तिल का उपयोग और प्रोसेसिंग (Uses and Processing of Sesame) से बनाएं तेल, लड्डू, हेल्थ प्रोडक्ट्स और शुरू करें लघु उद्योग। जानिए पूरी प्रोसेस और कमाई के तरीके।
तिल (Sesame cultivation) एक प्रमुख नकदी फसल है। ये पोषक तत्वों से भरपूर होने के साथ-साथ तेल उत्पादन के लिए भी जानी जाती है। हालांकि, तिल की खेती में कई प्रकार के रोग और कीट लगने का खतरा रहता है, जो फसल की पैदावार और गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।
बफ़र ज़ोन (Importance Of Buffer Zone) वे सुरक्षित क्षेत्र होते हैं जो दो अलग-अलग भूमि उपयोगों को अलग करते हैं, ताकि संघर्षों को कम किया जा सके और पर्यावरणीय नुकसान को रोका जा सके। कृषि में, ये ज़ोन खेतों और आसपास के प्राकृतिक संसाधनों (जैसे नदियों, जंगलों या आवासीय क्षेत्रों) के बीच एक बफ़र का काम करते हैं।
कृषि सूक्ष्मजीव (Agricultural Microorganisms) जैसे बैक्टीरिया और कवक मिट्टी सुधारने, पैदावार बढ़ाने और टिकाऊ खेती को संभव बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
एयरफोर्स से रिटायर होने के बाद विजयपाल सिंह ने प्राकृतिक खेती (Natural Farming) को अपनाया, FPC बनाई और देसी गायों व गन्ना यूनिट से 7.5 करोड़ का कारोबार खड़ा किया।
औषधीय गुणों से भरपूर कंटोला की खेती (Kantola Ki Kheti) अब एक लाभदायक व्यवसाय बन रही है, जो कम लागत में अधिक मुनाफा और लंबी उपज की गारंटी देती है।
केरल की हरियाली से लेकर पंजाब के बड़े-बड़े खेतों तक, कृषि-पर्यटन (Agro-Tourism In India) ने खेतों को एक जीते-जागते प्रयोगशाला में बदल दिया है, जो पर्यावरण, विज्ञान और अर्थव्यवस्था का सुंदर संगम है। यह पर्यटकों के साथ-साथ किसानों के लिए भी सीखने का सुनहरा अवसर प्रदान कर रहा है।
हितेश कुमारी की सफलता की कहानी, जिन्होंने जैविक खेती (Organic Farming) को अपनाकर न सिर्फ़ अपनी पहचान बनाई, बल्कि गांव की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी।
कंटोला की फसल में रोग और कीट नियंत्रण (Disease and pest control in Kantola crop)के लिए सतत निगरानी, उचित कृषि पद्धतियां, जैविक और रासायनिक नियंत्रण का संतुलित उपयोग अत्यंत आवश्यक है। सरकारी संस्थानों द्वारा दी गई सिफारिशों का पालन कर किसान अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता प्राप्त कर सकते हैं।
बकरी पालन और जैविक खेती का एकीकृत मॉडल (Goat Husbandry And Organic Farming) भारतीय कृषि के लिए एक स्थायी और समृद्ध मार्ग प्रस्तुत करता है। ये मॉडल न केवल पर्यावरण की रक्षा करता है, बल्कि किसान की आय को भी बढ़ाता है। जलवायु परिवर्तन (Climate change) और मुनाफे की अनिश्चितताओं के इस दौर में, ये प्रणाली किसानों को आत्मनिर्भर, पर्यावरण के प्रति सजग और आर्थिक रूप से सशक्त बनने की दिशा में एक मजबूत कदम है।