Permaculture: सिंगापुर से लौटकर अमनिंदर नागरा ने भारत में शुरू की प्राकृतिक खेती

पर्माकल्चर (Permaculture) और टेरेस गार्डनिंग से अमनिंदर नागरा ने अपने खेत को बनाया हरियाली का प्रतीक और गांव को दिया आत्मनिर्भरता का रास्ता।

Permaculture Terrace Gardening

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पर्यावरण के साथ तालमेल बैठाकर खेती करना, संसाधनों का सही उपयोग करना और स्थानीय समुदाय को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना—इन तीनों लक्ष्यों को एक साथ पूरा कर रही हैं अमनिंदर नागरा। यह कहानी है पंजाब की एक महिला किसान की, जिन्होंने Permaculture और Terrace Gardening जैसे टिकाऊ तरीकों से न सिर्फ़ अपने खेत को हरियाली में बदला, बल्कि गांव की महिलाओं को भी स्वरोज़गार की राह दिखाई।

बचपन से ही खेती का सपना, लेकिन रास्ता सिंगापुर से होकर (Farming is a dream since childhood, but the way is through Singapore)

अमनिंदर नागरा मूल रूप से पंजाब से हैं, लेकिन शादी के बाद वह सिंगापुर में बस गईं। खेती से उनका कोई पारिवारिक जुड़ाव नहीं था, फिर भी उनके मन में हमेशा यह इच्छा थी कि एक दिन अपनी ज़मीन पर खुद के लिए खाना उगाएं। यह सपना एक लंबे समय तक थमा रहा, लेकिन कोविड लॉकडाउन ने उन्हें एक अवसर दे दिया। जब वह भारत में थीं, उन्होंने Permaculture पर एक ऑनलाइन कोर्स किया। यहीं से उनके जीवन की दिशा बदलने लगी।

पर्माकल्चर क्या है और क्यों बना बदलाव का ज़रिया? (What is Permaculture and why has it become a means of change?)

Permaculture एक ऐसी खेती प्रणाली है जो प्रकृति के साथ तालमेल बैठाकर काम करती है। इसमें मिट्टी, पानी, पौधे, जानवर और इंसानों के बीच सामंजस्य होता है। यहां कचरे का दोबारा उपयोग होता है, सिंचाई प्राकृतिक तरीकों से होती है, और उत्पादन में रसायनों की जगह जैविक विधियों का उपयोग किया जाता है।

Terrace Gardening को भी अमनिंदर ने इसी सोच से अपनाया। गुरुग्राम में अपने घर की छत पर उन्होंने किचन वेस्ट, सूखे पत्तों और पार्क से लाई गई जैविक सामग्री से उपजाऊ मिट्टी बनाई। उन्होंने बताया, “Permaculture ने मुझे सिखाया कि छत भी एक खेत बन सकती है अगर हम समझदारी से योजना बनाएं।”

3 एकड़ ज़मीन पर खड़ा किया पर्माकल्चर फ़ार्म (Permaculture farm set up on 3 acres of land)

2020-21 में अमनिंदर ने पंजाब के होशियारपुर जिले के दसूया गांव में 3 एकड़ ज़मीन खरीदी। शुरुआत में यह ज़मीन एक छोटे से जंगल जैसी थी। 2023 में जब वह स्थायी रूप से भारत लौटीं, तब उन्होंने Agroforestry मॉडल पर काम शुरू किया। उन्होंने अपने खेत में लगभग 1000 पेड़ लगाए, जिनमें 32 किस्मों के फलदार और 2 किस्मों के लकड़ी के पेड़ शामिल हैं। 25 पंक्तियों में 36 फीट की दूरी पर ये पेड़ लगाए गए हैं, ताकि बीच में अनाज और सब्जियों की मिश्रित खेती हो सके।

Spacing से बढ़ी फ़सल की गुणवत्ता और जैव विविधता (Spacing increases crop quality and biodiversity)

Agroforestry में spacing (बीच का अंतराल) का खास महत्व है। इससे पेड़ और फ़सल दोनों को पर्याप्त धूप, पानी और पोषक तत्व मिलते हैं। इसके अलावा, इस तकनीक से:

  • मिट्टी का कटाव कम होता है।
  • फ़सल पर कीट और रोगों का असर घटता है।
  • मित्र कीटों और परागण करने वाले कीड़ों को बढ़ावा मिलता है।
  • जल चक्र बेहतर होता है।

अमनिंदर बताती हैं, “मैं खरपतवार नियंत्रण को लेकर चिंतित थी। रसायनों का उपयोग न करने का मेरा संकल्प और पंजाब में मजदूरी की अधिक लागत मेरे लिए चुनौती बन गई थी। लेकिन Permaculture की जानकारी से मुझे मल्चिंग जैसी तकनीक अपनाने का रास्ता मिला।”

जल प्रबंधन में भी प्रकृति के साथ कदम से कदम (In water management too, we are in step with nature)

Permaculture सिर्फ़ मिट्टी ही नहीं, पानी के प्रबंधन में भी प्राकृतिक दृष्टिकोण अपनाता है। अमनिंदर ने अपने खेत में Trenches (नालियाँ) बनाई हैं, जो गुरुत्वाकर्षण के आधार पर वर्षा जल को खेत में फैला देती हैं। इससे भूजल का दोहन नहीं होता और पौधों को प्राकृतिक रूप से सिंचाई मिलती है। इस तकनीक ने न सिर्फ़ सिंचाई की लागत कम की, बल्कि जल संरक्षण में भी मदद की।

टेरेस गार्डनिंग से शुरू हुआ सफर, अब खाद्य सुरक्षा की मिसाल (The journey started with Terrace Gardening, now an example of food security)

अमनिंदर और उनका परिवार अब लगभग 98% सब्जियों की पूर्ति अपने खेत से करते हैं। वह Sona Moti गेहूं, बासमती चावल, मक्का, मसूर, सफेद और काले चने, लोबिया जैसी फ़सलें उगाती हैं। इसके अलावा हल्दी, सौंफ, अजवाइन, जीरा और धनिया जैसे मसाले भी उनके खेत में उगते हैं। वह बताती हैं, “हमारे फार्म की उपज अभी मुख्य रूप से परिवार के लिए होती है, लेकिन पड़ोस की 5-6 परिवार हमसे हल्दी और आटा खरीदते हैं।”

Local Community के लिए बना Food Enterprise का ज़रिया (A source of food enterprise for the local community)

2024 की दिवाली पर अमनिंदर ने एक अनोखी पहल की। उन्होंने गांव की महिलाओं को प्रेरित किया कि वे अपने पाक-कौशल से अतिरिक्त आमदनी कर सकती हैं। उन्होंने फ्लैक्ससीड (अलसी) से बने पिन्नी, देसी घी और घर की उगाई चीज़ों से गिफ्ट हैंपर तैयार किए। इससे उन्हें ₹2 लाख की कमाई हुई। इस पूरी प्रक्रिया में उन्होंने स्थानीय किसानों और दुग्ध उत्पादकों से सामग्री जुटाई, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला।

पर्माकल्चर मॉडल को बनाना चाहती हैं छोटे किसानों के लिए प्रेरणा (She wants to make the permaculture model an inspiration for small farmers)

अमनिंदर का सपना है कि उनका Permaculture आधारित मॉडल छोटे किसानों के लिए प्रेरणा बने। वह कहती हैं, “जो किसान 1 से 3 एकड़ ज़मीन रखते हैं, वे भी कम लागत में पर्यावरण के अनुकूल खेती कर सकते हैं और अपने समुदाय के लिए कुछ कर सकते हैं।”

भविष्य की दिशा (Future Direction)

अमनिंदर अब इस मॉडल को और बड़े पैमाने पर ले जाना चाहती हैं। उनका मानना है कि बिना रासायनिक खाद या कीटनाशक के भी उपजाऊ, स्वस्थ और स्वादिष्ट फ़सलें उगाई जा सकती हैं। वह चाहती हैं कि अन्य किसान भी इस मॉडल को अपनाएं और अपने जीवन में स्थायित्व और आत्मनिर्भरता लाएं।

निष्कर्ष (Conclusion)

अमनिंदर नागरा की कहानी बताती है कि Permaculture सिर्फ़ एक खेती की तकनीक नहीं है, बल्कि यह एक जीवनदृष्टि है। Terrace Gardening से शुरुआत कर 3 एकड़ की ज़मीन को हरियाली से भर देने वाली यह किसान सिर्फ़ अपने लिए नहीं, बल्कि पूरे समुदाय के लिए प्रेरणा बन गई हैं। खेती को आत्मनिर्भरता, पर्यावरण संतुलन और सामाजिक भागीदारी से जोड़ने की उनकी यह यात्रा वाकई काबिल-ए-तारीफ है। अगर आप भी Permaculture के बारे में जानने या Terrace Gardening से शुरुआत करने की सोच रहे हैं, तो अमनिंदर की यह कहानी आपके लिए एक मजबूत प्रेरणा बन सकती है।

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