हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों के लिए विकसित की गेहूं की नई क़िस्म WH 1309
गेहूं की नई क़िस्म WH 1309 पछेती बिजाई के लिए वरदान है, अधिक पैदावार और रोगरोधी गुणों के साथ किसानों को देगा स्थिर लाभ।
गेहूं की नई क़िस्म WH 1309 पछेती बिजाई के लिए वरदान है, अधिक पैदावार और रोगरोधी गुणों के साथ किसानों को देगा स्थिर लाभ।
सेहत के प्रति जागरूक लोगों के बीच कठिया गेहूँ की माँग तेज़ी से बढ़ रही है, क्योंकि इसमें ‘बीटा कैरोटीन’ पाया जाता है। बाज़ार में भी किसानों को कठिया गेहूँ का उचित दाम मिलता है। इस तरह, कठिया गेहूँ, अपने उत्पादक किसानों को भी आर्थिक रूप से मज़बूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है। इसीलिए ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को चाहिए कि यदि वो गेहूँ पैदा करें तो उन्हें कठिया किस्में को ही प्राथमिकता देनी चाहिए।
भारत में धान के बाद गेहूं ही लोगों का मुख्य भोजन है, इसलिए इसका अधिक उत्पादन किया जाता है। पूरे विश्व में गेहूं उत्पादन में भारत दूसरे नंबर पर है। देश के कृषि वैज्ञानिक गेहूं की उन्नत किस्मों पर काम करते रहते हैं। इन्हीं में से एक किस्म करण वंदना के बारे में हम आपको बताएंगे।
कृषि उपकरणों ने यकीनन खेती के कामों को आसान बनाया है। पहले जहां खेत को तैयार करने में, फिर उसकी जुताई करने और फिर बीज डालने और फसल की कटाई करने में कई घंटों का समय लग जाता था, जिससे लागत भी ज़्यादा पड़ती थी, अब समय की बचत के साथ-साथ पैसों की भी बचत हुई है। एक ऐसा ही कृषि उपकरण है सुपर सीडर (Super Seeder)।
छत्तीसगढ़ के वैज्ञानिकों ने कमाल कर दिखाया है। वैज्ञानिकों ने गेहूं की नई किस्म विकसित की है। ये किस्म पोष्टिक तत्वों से भरपूर है। इस किस्म से बनी रोटी 12 घंटे तक मुलायम बनी रहेगी। इसके साथ में अन्य कई खूबियां हैं।
पौधों को तेज़ी से उगाने की ‘स्पीड ब्रीडिंग’ तकनीक इतनी ज़बरदस्त पायी गयी कि किसान एक साल में गेहूँ, जौ, चना जैसी फसलों की 6 बार पैदावार ले सकते हैं। ये उपलब्धि गेहूँ, जौ जैसे अनाज और चना जैसे दलहन तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसने कैनोला यानी Rape Seed जैसी तिलहनी फसल में भी उत्साहजनक नतीज़े दिये हैं। तभी तो इसकी साल में 4 फसलें ली जा सकती हैं।
पूसा यशस्वी में प्रोटीन और ज़िंक की मात्रा बाक़ी किस्मों से कहीं ज़्यादा पायी जाती है। इस उन्नत किस्म पर गेहूँ की मुख्य बीमारियों जैसे रतुआ, करनाल बंट, पाउडरी मिल्ड्यू, फुट रॉट वग़ैरह के प्रति भी ज़बरदस्त प्रतिरोधकता है। इसीलिए इसे किसी रासायनिक नियंत्रण की ज़रूरत नहीं पड़ती। लेकिन सही पैदावार पाने के लिए खेतों का सिंचाई युक्त होना चाहिए और बुआई सही समय पर ही होनी चाहिए।
ज्यादा उपज देने वाली गेहूं की इन किस्मों को विकसित करने में IIWBR के कृषि वैज्ञानिकों को सात साल का समय लगा, जो रोग प्रतिरोधी और गुणवत्ता में बेहतर हैं।
बाज़ार में काठिया गेहूं का दाम दूसरी किस्मों की तुलना में ज़्यादा है। ऐसे में किसान इस किस्म की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं और मुनाफ़ा कमा रहे हैं।
गन्ना किसानों को गन्ने पर 290 रुपये प्रति क्विंटल FRP की केंद्र सरकार की घोषणा। पंजाब सरकार ने गन्ने के दाम में रिकॉर्डतोड़ 50 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि का ऐलान किया है।
फसलों में आजकल काले गेहूं की खेती की तरफ़ किसानों का रुझान बढ़ा है क्योंकि इससे बेहतर कमाई होती है। देश में गेहूं की कई किस्में हैं। इनमें कुछ किस्में रोग प्रतिरोधक हैं, तो कई का उत्पादन ज़्यादा होता है। एक ऐसी ही गेंहू की किस्म के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
बीज ग्राम योजना के तहत गेहूं और धान के बीज पर अतिरिक्त अनुदान को उत्तर प्रदेश सरकार की मंजूरी मिल गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में किसान हित की इस योजना पर मुहर लगी।
6 मई 2021 तक 323.67 लाख मीट्रिक टन गेहूँ खरीदा गया है जबकि पिछले साल इसकी मात्रा 216.01 लाख मीट्रिक टन थी। धान की सरकारी खरीद भी अब तक 727.41 लाख मीट्रिक टन से ज़्यादा रही है, जो गेहूँ से ढाई गुना यानी 125% अधिक है।
हरियाणा सरकार के मातहत काम करने वाले राज्य मंडी बोर्ड ने प्रदेश की 18 कृषि उपज मंडियों में गेहूँ की खरीदारी पर अस्थायी रोक लगा दी है। ये मंडियाँ हैं – रादौर, थानेसर, पिहोवा, इस्माइलाबाद, लाडवा, बबैन, निसिंग, तरावडी, असन्ध, इन्द्री, नीलोखेड़ी, अम्बाला, साहा, कैथल, कलायत, चीका, गोहाना और समालखा। इन मंडियों में गेहूँ की बम्पर आवक होने की वजह से सारी व्यवस्था चरमरा लगी तो सरकार ने ये कदम उठाया है। हालात ने निपटने के लिए सरकार ने ज़िला उपायुक्तों (DC) को त्वरित कदम उठाने को कहा है।