कैसे रिंग पिट विधि ने कौशल मिश्रा की गन्ने की खेती को बना दिया मिसाल जानिए
रिंग पिट विधि से गन्ने की खेती में नई क्रांति लाए शाहजहांपुर के किसान कौशल मिश्रा, जानिए उनकी सफलता की पूरी कहानी।
रिंग पिट विधि से गन्ने की खेती में नई क्रांति लाए शाहजहांपुर के किसान कौशल मिश्रा, जानिए उनकी सफलता की पूरी कहानी।
गन्ने की प्राकृतिक खेती के साथ ही प्रोसेसिंग कर इनोवेटिव किसान योगेश कुमार बना रहे हैं नए उत्पाद और कमा रहे हैं बेहतर मुनाफ़ा।
सरकार ने चीनी सीज़न 2025-26 के लिए उचित और लाभकारी मूल्य यानि Fair and Remunerative Price (FRP) 355 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। ये मूल्य 10.25 फीसदी बेसिक रिकवरी रेट (Basic Recovery Rate) के आधार पर रखा गया है।
मार्च-अप्रैल में गन्ना (sugercane) लगाने के लिए सही किस्मों का चयन, मिट्टी की अच्छी तैयारी, उर्वरकों का संतुलित उपयोग, उचित सिंचाई और रोग नियंत्रण आवश्यक होता है।
गन्ना देश की प्रमुख नगदी फसल है और चीनी उद्योग के लिए प्रमुख कच्चा माल। इसलिए गन्ने की खेती किसानों के लिए फायदेमंद होती है, मगर रस चूसक कीटों के प्रकोप से फसल को काफी हानि होती है। ऐसे में इनका प्रबंधन बहुत ज़रूरी हो जाता है।
यदि गन्ना किसान गन्ने के साथ कुछ दूसरी फसलें लगाएँ तो उन्हें अच्छी कमाई हो जाती है। पपीते की फसल जल्दी तैयार हो सकती है और ये गन्ने के खेत में जगह भी ज़्यादा नहीं लेती। इसीलिए गन्ने के साथ पपीता उगाने से दोहरा लाभ मिलता है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में दोमट और बलुई मिट्टी की बहुतायत है। ऐसी मिट्टी न सिर्फ़ गन्ने के लिए बढ़िया है बल्कि पपीते के लिए भी बेहद मुफ़ीद होती है।
इथ्रेल और जिबरैलिक एसिड जैसे पादप वृद्धि हार्मोन्स के इस्तेमाल से सिंचाई और अन्य पोषक तत्वों की ज़रूरत भी कम पड़ती है। हालाँकि, यदि सिंचाई और पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मिले तो पैदावार अवश्य ज़्यादा होता है, लेकिन इससे खेती की लागत बेहद बढ़ जाती है। गन्ने की पैदावार कम होने का दूसरा प्रमुख कारण कल्लों का अलग-अलग समय पर बनना भी है। यदि कल्लों का विकास एक साथ हो तो वो परिपक्व भी एक साथ होंगे तथा उनका वजन भी ज़्यादा होगा, उसमें रस की मात्रा और मिठास भी अधिर होगी। लिहाज़ा, गन्ने की खेती में यदि कल्ले बेमौत मरने से बचा जाएँ तभी किसान को फ़ायदा होगा।
गन्ने की खडी फसल का प्रबंधन कैसे करें? इस पर किसान ऑफ़ इंडिया ने उत्तर प्रदेश के कृषि विज्ञान केन्द्र बहराइच के कृषि विशेषज्ञ डॉ. बी.पी. शाही और डॉ. पी.के. सिंह से ख़ास बातचीत की।
देश में उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में सबसे ज़्यादा गन्ने का उत्पादन होता है। यहां बड़ी संख्या में गन्ना किसान हैं। किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में प्रतीक भीमराव ने बताया कि कैसे उन्होंने गन्ने की खेती से मुनाफ़ा लेने के लिए काम किया।
गन्ने की बुवाई के बाद सिंचाई करने का सही समय क्या होना चाहिए, कितने अंतराल के बाद दोबारा सिंचाई करनी चाहिए, इससे जुड़ी सारी जानकारी एक ऐप के ज़रिए गन्ना किसान पा सकते हैं।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि गन्ना आधारित एथनॉल उत्पादन इकाइयों की क्षमता बढ़ती रही तो सिंचाई से जुड़ी चुनौतियाँ पेंचीदा हो जाएँगी, क्योंकि जितने गन्ने से एक लीटर एथनॉल पैदा होता है, उसके उत्पादन के लिए 2,750 लीटर पानी की ज़रूरत पड़ती है।
जैविक तरीके से गन्ने की खेती कर रहे नरेन्द्र सिंह मेहरा के प्रयासों को सराहते हुए उत्तराखंड गन्ना विकास विभाग ने उन्हें अपना रोल मॉडल किसान बनाया है। उनके प्रयासों से अब पिथौरागढ़ के गन्ने को पहचान मिलेगी।
उत्तराखंड के पंतनगर किसान मेल 2022 में हरिद्वार के किसान दीपक मलिक को गन्ने की खेती के लिए पुरस्कार मिला। किसान ऑफ इंडिया की टीम के साथ उन्होंने खास बातचीत की।
कृषि विज्ञान केंन्द्र, पश्चिम चम्पारण के हेड डॉ आर.पी. सिंह का कहना है कि गन्ना एक लम्बे अवधि की फसल है। इसकी उपजों के बीच के समय में इंटर क्रॉपिंग एक अच्छा विकल्प है।
गन्ना विकास विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश के 36 गन्ना बहुल जिलों में स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं। बडचिप तकनीक से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए रोज़गार के अवसर बड़े हैं।
शुगरकेन कटर प्लांटर के इस्तेमाल से रोपण की लागत को लगभग 53 फ़ीसदी तक कम किया जा सकता है। इससे मज़दूरी पर खर्च होने वाले पैसों की बचत तो होगी ही साथ ही गन्ना उत्पादन क्षमता में भी सुधार होगा।
चीनी के साथ-साथ इथेनॉल की बिक्री से मिली राशि से गन्ना किसानों को सही समय पर भुगतान करने में चीनी मिलों को मदद मिलेगी। 2020-21 सत्र में इथेनॉल की बिक्री से चीनी मिलों को 15000 करोड़ रुपये की आय हो चुकी है।