बरसात में मवेशियों का आहार और प्रबंधन कैसे करें? किसानों के लिए पूरी जानकारी
बरसात में मवेशियों का आहार और प्रबंधन सही न हो तो दूध उत्पादन और स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। जानें देखभाल के असरदार तरीके।
बरसात में मवेशियों का आहार और प्रबंधन सही न हो तो दूध उत्पादन और स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। जानें देखभाल के असरदार तरीके।
उत्तर प्रदेश के अनुज कुमार सिंह ने डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) से न केवल खुद का व्यवसाय खड़ा किया, बल्कि 100 से अधिक किसानों को रोज़गार से जोड़ा।
बकरी पालन और जैविक खेती का एकीकृत मॉडल (Goat Husbandry And Organic Farming) भारतीय कृषि के लिए एक स्थायी और समृद्ध मार्ग प्रस्तुत करता है। ये मॉडल न केवल पर्यावरण की रक्षा करता है, बल्कि किसान की आय को भी बढ़ाता है। जलवायु परिवर्तन (Climate change) और मुनाफे की अनिश्चितताओं के इस दौर में, ये प्रणाली किसानों को आत्मनिर्भर, पर्यावरण के प्रति सजग और आर्थिक रूप से सशक्त बनने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
गर्मी के मौसम में पशुओं में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सरकार की ‘पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण योजना’ के तहत, पशुओं के रोगों की रोकथाम, नियंत्रण और निवारण के लिए पशुपालकों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। यह योजना पशुपालकों को अपने पशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल में मदद करती है।
स्वच्छ दुग्ध उत्पादन (Clean Milk Production) का सीधा संबंध कंज्यूमर्स के हेल्थ से है। खराब और प्रदूषित दूध कई तरह की बीमारियों की वजह बन सकता है। जैसे कि टाइफाइड, फूड पॉइजनिंग, टीबी, ब्रुसेलोसिस व अन्य दूसरी बीमारियां। इसके अलावा, स्वच्छ दूध का उत्पादन (Clean Milk Production) डेयरी उत्पादों की क्वालिटी और एक्सपोर्ट पावर को भी बढ़ाता है।
हरे चारे की खेती (Green Fodder Cultivation) ने कर्नाटक के डेयरी किसानों को चारे की कमी और उच्च लागत से निजात दिलाई, साथ ही उनकी आय और मवेशियों की सेहत में सुधार किया।
डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming) बिजनेस ने पिछले कुछ सालों में जबरदस्त बढ़ोत्तरी की है। डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming) आधुनिक तरीके से हजारों पशुपालकों को डेयरी प्रबंधन में मदद करता है। डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming) में डेयरी प्रबंधन के कारण बहुत सारी नौकरियां पैदा की हैं। लेकिन कई डेयरी फार्म अभी भी अधिकतर गांवों में डेयरी फार्मों (Dairy Farming) का मैनेजमेंट करते हैं और बड़ी कंपनियों को दूध की आपूर्ति करते हैं, साथ ही खुदरा दुकानों को भी बेचते हैं। लेकिन अपना डेयरी फार्म बनाकर उसे चलाना ज़्यादा मुनाफे का सौदा है।
बिहार के बरौनी में स्थापित अत्याधुनिक डेयरी उत्पाद यूनिट, दूध उत्पादकों को संगठित बाज़ार और हजारों रोज़गार अवसर प्रदान करेगा, किसानों की आय में वृद्धि होगी।
डेयरी उद्यमी खरीदे गए दूध के नमूनों की जांच (Adulteration in Milk) करके पता कर सकता है कि इसमें मिलावट है या नहीं, इसी तरह ग्राहकों के सामने दूध की शुद्धता की जांच करके दिखा सकता है, जिससे ग्राहकों का उनपर विश्वास बढ़ेगा, और जब विश्वास बढ़ेगा तो बिज़नेस भी अपने आप आगे बढ़ने लगेगा।
कोरापुट के आदिवासी किसान राम भत्रा ने खेती के साथ डेयरी फ़ार्म स्थापित कर अपनी आय बढ़ाई और ग्रामीणों की दूध की आवश्यकता को पूरा किया।
डेयरी फ़ार्मिंग एक लाभकारी व्यवसाय है जो किसानों के लिए आमदनी का अच्छा स्रोत बन सकता है। जानें इसके लाभ और इस व्यवसाय को शुरू करने से पहले आवश्यक बातें।
आमतौर पर देखा जाता है कि पशुओं को भोजन के तौर पर घास, भूसा या सूखा चारा दिया जाता है, लेकिन सिर्फ इसी के भरोसे रहने पर पशुओं को कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं, साथ ही वो कुपोषण के शिकार भी हो जाते हैं। जिस तरह से इंसानों को संपूर्ण आहार (balanced diet for livestock) की जरूरत होती है, ठीक वैसे ही आपके पशुधन को भी इसकी आवश्यकता होती है, जिससे गाय, भैंस स्वस्थ्य रहें और दूध का उत्पादन भी बेहतर हो सके। इसलिए पशुओं को भी आयरन, विटामिन और प्रोटीन दिया जाना अहम होता है।
पशुधन (Livestock) आज के वक़्त में अरबों डॉलर का कारोबार बना हुआ है। पूरे विश्व समेत भारत भी पशुधन प्रबंधन, GDP (सकल घरेलू उत्पाद) का एक बड़ा भाग रखता है। लोगों के खाने की आपूर्ति जो पशुधन उत्पादों के आधार पर है। जिसमें मीट, डेयरी प्रोडक्ट्स आते हैं, लोगों द्वारा इस्तेमाल में लाया जाता है। पशुधन उत्पादों को मैनेज (Livestock Management System) करने के लिए किसान कई बार पशुधन प्रबंधन नहीं कर पाते हैं, जिससे उनको नुकसान उठाना पड़ सकता है।
गाय आधारित अर्थव्यवस्था का मतलब है कि किसान गाय के हर उत्पाद जैसे गोबर, मूत्र और अपशिष्ट फ़ीड का इस्तेमाल करके अतिरिक्त आमदनी कमा सकते हैं। ये सिर्फ़ दूध पर निर्भर रहने की बजाय, गाय के सभी पहलुओं का फायदा उठाने की बात करता है। इसका मुख्य उद्देश्य सामान का समझदारी से उपयोग करना और उसे लाभदायक उत्पादों में बदलना है।
खेती के अलावा किसान मुर्गी पालन, सूअर पालन और डेयरी व्यवसाय से भी अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं, बशर्ते उन्हें पशुपालन की सही जानकारी होनी चाहिए। यानी पशुओं को दाना-पानी देने से लेकर उन्हें होने वाले रोग और बचाव का तरीका पता होना बहुत ज़रूरी है।
डेयरी फ़ार्म को अगर सही तरीके से चलाया जाए, तो इससे अच्छी कमाई हो सकती है और किसान खुद आत्मनिर्भर बनने के साथ ही दूसरों को भी रोज़गार दे सकते हैं, जैसा की सूरत का एक परिवार कर रहा है। जानिए कैसे शुरू कर सकते हैं खुद का डेयरी व्यवसाय।
ग्रामीण इलाकों में आज भी पशुपालन किसानों की आमदनी का एक अच्छा ज़रिया है, मगर इसके लिए नवजात बछड़ों की सही देखभाल ज़रूरी है। इसमें सबसे ज़्यादा ज़रूरी होता है नवजात बछड़े को खीस पिलाना।
जिस तरह से ऑफ़िस या घर में काम या डॉक्यूमेंट्स का रिकॉर्ड रखा जाता है, वैसे ही डेयरी उद्योग में पशुओं का रिकॉर्ड रखना बहुत ज़रूरी है।
डेयरी उद्योग में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशुओं की सेहत का ख्याल रखने के साथ ही उनके आहार का विशेष ध्यान रखना ज़रूरी है, क्योंकि ये न सिर्फ़ दूध की मात्रा, बल्कि दूध की गुणवत्ता भी निर्धारित करता है।
पंजाब के रूपनगर की रहने वाली गुरविंदर सिंह ने अपने बलबूते पर डेयरी व्यवसाय का कारोबार खड़ा किया है। वो हमेशा से कुछ अपना करना चाहती थीं। उन्होंने छोटे स्तर से ही डेयरी सेक्टर में कदम रखा।