Balanced Diet For Livestock: मवेशियों को संतुलित आहार की क्यों होती है ज़रूरत? पशु शरीर में खनिज तत्व का महत्व

आमतौर पर देखा जाता है कि पशुओं को भोजन के तौर पर घास, भूसा या सूखा चारा दिया जाता है, लेकिन सिर्फ इसी के भरोसे रहने पर पशुओं को कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं, साथ ही वो कुपोषण के शिकार भी हो जाते हैं। जिस तरह से इंसानों को संपूर्ण आहार (balanced diet for livestock) की जरूरत होती है, ठीक वैसे ही आपके पशुधन को भी इसकी आवश्यकता होती है, जिससे गाय, भैंस स्वस्थ्य रहें और दूध का उत्पादन भी बेहतर हो सके। इसलिए पशुओं को भी आयरन, विटामिन और प्रोटीन दिया जाना अहम होता है।

Balanced Diet For Livestock: मवेशियों को संतुलित आहार की क्यों होती है ज़रूरत? पशु शरीर में खनिज तत्व का महत्व

आमतौर पर देखा जाता है कि पशुओं को भोजन के तौर पर घास, भूसा या सूखा चारा दिया जाता है, लेकिन सिर्फ इसी के भरोसे रहने पर पशुओं को कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं, साथ ही वो कुपोषण के शिकार भी हो जाते हैं। जिस तरह से इंसानों को संपूर्ण आहार (balanced diet for livestock) की जरूरत होती है, ठीक वैसे ही आपके पशुधन को भी इसकी आवश्यकता होती है, जिससे गाय, भैंस स्वस्थ्य रहें और दूध का उत्पादन भी बेहतर हो सके। इसलिए पशुओं को भी आयरन, विटामिन और प्रोटीन दिया जाना अहम होता है।

पशुओं के शरीर के कुल वजन के हिसाब से पोषक तत्व

पशुओं को पानी, कार्बोहाईड्रेड, प्रोटीन, लिपिड्स, विटामिन्स, खनिज लवण जैसे पोषक तत्व (Nutritious Food) ज़रूर देने चाहिए। ये बताना ज़रूरी है कि पशुओं के शरीर के कुल वजन के हिसाब से भी उनको पोषक तत्व (balanced diet for livestock)  देने चाहिए, कम या अधिक हो जाने पर भी दुधारू पशुओं में समस्या होने लगती है।

पशुओं के कुल वजन के अनुसार, लगभग 55 से 75 फीसदी प्रोटीन, 3 से 23 प्रतिशत तक वसा और 2 से 5 फीसदी तक खनिज लवण पाया जाता है, अगर पशुओं में ऊर्जा और प्रोटीन की कमी होगी तो पशु उत्पादन के साथ ही उनके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ने लगता है।

जुगाली और गैरजुगाली वाले पशुओं के लिए अलग-अलग भोजन 

राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (National Dairy Development Board) के अनुसार, पशुओं को उनके मालिक पोषक तत्वों (Nutritious Food) से भरपूर भोजन प्रदान करते रहें। जिसमें गैर जुगाली वाले पशुओं में फोलिक एसिड के साथ ही विटामिन B6,विटामिन C, विटामिन A, विटामिन B12, विटामिन E और लोहा, जस्ता, सेलेनियम, और तांबे की भी ज़रूरत होती है।

वहीं जुगाली करने वाले पशुओं में तांबा, सेलेनियम, कोबाल्ट, क्रोमियम, विटामिन E और विटामिन A ने जुगाली करने वालों में प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित किया है।

हरे चारे में विटामिन की अहमियत 

हरे चारे में विटामिन भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं, इसलिए उसको और अधिक पौष्टिक आहार  (balanced diet for livestock) बनाने के लिए उसमें मक्का, गेहूं, जौ, ज्वार खल्ली मिला देने से पौष्टिकता बढ़ जाती है।

वहीं विटामिन ए और डी, ई साइटोकिन्स के निर्माण करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली पर सीधा प्रभाव डालते हैं। विटामिन सी पशुओं में सूजन की समस्या और टी सेल व मैक्रोफेज प्रोस्टाग्लैंडीन प्रोडक्शन पर प्रभाव डालते हैं।

पोषक तत्व जो पशुओं के स्वास्थ्य के लिए हैं काफी जरूरी

जिंक
जिंक (Zn) संक्रमण को रोकता है साथ ही एंटीबॉडी बनाता है। Zn की कमी होने से कोशिकाओं में प्रसार की क्षमता रूकने लगती है। शरीर की कोशिकाओं जैसे, टी- और बी-लिम्फोसाइट्स के तेजी से बढ़ने के लिए Zn की ज़रूरत होती है।

विटामिन सी
विटामिन सी एक एंटीऑक्सीडेंट है। विटामिन सी लीवर के इन्फेक्शन को रोकता है। पर्यावरण प्रदूषकों के विषाक्त को शरीर में कमी करता है। साथ ही विटामिन सी कोशिकाओं की रेडॉक्स अखंडता को बनाए रखने में मददगार होता है।

कोबाल्ट और विटामिन-B12
कोबाल्ट और विटामिन-B12 उन पशुओं के लिए काफी जरूरी है जो जुगाली करते हैं। Co में कमी वाले बछड़ों और बछड़ियों से बी B12 प्रतिरक्षा प्रक्रियाओं में एक केंद्रीय भूमिका निभाते हैं, क्योंकि ये कोशिका की वृद्धि करता है, साथ ही नियंत्रित भी करता है। पर्याप्त B12 के बिना,WBC परिपक्व होती हैं।

आयोडिन
आयोडीन जिस तरह से इंसानों के शरीर के लिए अहमियत रखता है वैसे ही पशुओं के शरीर के लिए आयोडिन जरूरी है। आयोडिन ‘थायराइड’ ग्रन्थि थायरोक्सीन नामक हार्मोन में मौजूद होता है। शरीर में थायरोक्सीन हार्मोन का मुख्य काम उपापचय दर को बढ़ाना, वृद्धि दर को बढ़ाना और ऑक्सीजन का शरीर में अच्छी तरह से पोषण बढ़ाना है।

इसकी कमी से पशु में ‘गौइटर’नामक रोग हो जाता है। जिससे उनके अंदर थायराइड ग्रन्थि का आकार बढ़ जाता है। थायरोक्सीन कम करना बंद कर देते हैं। दुधारू पशुओं में दूध कमी होने के साथ ही पैदा होने वाले बच्चें के शरीर पर बाल या ऊन नहीं बन पाते, कई बार बच्चे मृत पैदा होते हैं।

कॉपर
कॉपर (Cu) की कमी से जुगाली करने वाले पशुओं में रोग की संभावना बढ़ती है। पशुओं मे श्वेत रक्त कणों के निर्माण समेत इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करता है। कॉपर की कमी से रोगों के लड़ने की ताकत कम होने लगती है, जिससे पशु बार-बार बीमार होता जाता है। कॉपर एंजाइम Cu-Zn सुपरऑक्साइड डिसम्यूटेज (SOD) के माध्यम से एंटीऑक्सीडेंट सिस्टम में शामिल होता है और ये ऑक्सीडेटिव टेंशन से बचाव में एसओडी की बड़ी भूमिका बनाता है।

पशुओं को संतुलित आहार ना खिलाने से होने वाली समस्याएं 

  • पशुओं की वृद्धि दर धीमी हो जाती है साथ ही उनकी परिपक्वता देर से होती है।
  • पशुओं की काम करने की क्षमता कम होने लगती है।
  • संतुलित आहार (Nutritious Food) ना मिलने से पशुओं का शरीर कमजोर होने लग जाता है साथ ही इम्युनिटी कम हो जाती है।
  • सांडों में शुक्राणुओं का ना बनना, गायों में गर्भधारण में देरी होना शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है।
  • गायों के गर्भधारण के बाद पैदा हुए बछड़े अस्वस्थ और कमजोर हो जाते हैं।
  • गायों, भैसों में पोषक तत्वों की कमी से गर्भपात की संभावना भी बढ़ जाती है।
  • पशुओं में दुग्ध उत्पादन भी कम होने लग जाता है।
  • हड्डी के अलग-अलग तरह के रोग जैसे हड्डियों का टेढ़ा-मेढ़ा होना, उनका जल्दी टूटना, मांसपेशी कमजोर होना जैसे रोग लग जाते हैं।
  • पशुओं में लकड़ी, चमड़ा, प्लास्टिक, जैसी चीजों खाने का रुझान होने लग जाता है।

पशुओं के लिए आहार तैयार करते वक्त ध्यान देने वाली बातें 

  • पशु की उम्र और भार के अनुसार, प्रोटीन, विटामिन, जिंक और पाचनशक्ति से भरपूर तत्वों को ध्यान में रखकर उनका आहार तैयार करें।
  • सूखे पदार्थों में दाना, हरा चारा, सूखा चारा वगैरह मात्रा के अनुसार तय करें।
  • सूखे पदार्थों में प्रोटीन समेत अन्य पोषक तत्व मिलाएं।
  • गाय और भैसों के पाचन तंत्र के सही तरह से काम करने के लिए चारे की न्यूनतम मात्रा बहुत ज़रूरी है।

पशु शरीर में खनिज तत्व का महत्व 

संतुलित आहार (Nutritious Food) पशुओं को खिलाने से उनके शरीर में पौष्टिक तत्व जैसे प्रोटीन, वसा, शर्करा, विटामिन्स की सही मात्रा देने से पशु स्वस्थ रहते है। संतुलित आहार देने से दूध, ऊन, मांस में भी बढ़ोत्तरी होती है।

पशु आहार में खनिज तत्व भरपूर मात्रा में होने से उनको बीमारियां कम लगती हैं, जिसकी वजह से दुधारू पशु दूध अधिक देते हैं, साथ ही उनका वजन, लंबाई में भी बढ़ोत्तरी होती है।

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