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पशुधन (Livestock) आज के वक़्त में अरबों डॉलर का कारोबार बना हुआ है। पूरे विश्व में भारत पशुधन प्रबंधन में GDP (सकल घरेलू उत्पाद) का एक बड़ा भाग रखता है। लोगों के खाने की आपूर्ति जो पशुधन उत्पादों के आधार पर है। जिसमें मीट, डेयरी प्रोडक्ट्स आते हैं, लोगों द्वारा इस्तेमाल में लाया जाता है। पशुधन उत्पादों को मैनेज (Livestock Management System) करने के लिए किसान कई बार पशुधन प्रबंधन नहीं कर पाते हैं, जिससे उनको नुकसान उठाना पड़ सकता है।
पशुधन प्रबंधन प्रणाली (Livestock Management System) एक व्यवस्थित तरीका
पशुधन और पशुपालन को सही तरह से व्यवस्थित करने का एक तरीका पशुधन प्रबंधन प्रणाली (Livestock Management System) है। इसके तहत पशुधन प्रबंधन को बेहतर तरीके से साथ ही टेक्नोलॉजिकल बनाया जा सकता है। पशुधन प्रबंधन प्रणाली में अच्छे मैनेजमेंट की मदद से दुधारू पशुओं और पशुधन के प्रबंधन में मदद होती हैं।
पशुधन प्रबंधन प्रणाली से किसानों की मदद होती है। इसमें पशु चिकित्सा जांच के साथ ही उनका उचित पोषण, स्वच्छता, रहने की व्यवस्था बनाए रखने के सही तरीकों का पता चलता है।
पशुधन प्रबंधन प्रणाली का इस्तेमाल
भारत में खेती और कृषि काफ़ी बड़ा उद्योग है। मवेशी, भैंस, सूअर, बकरी, गाय जैसे हर एक जानवर जिसे खेत में पाला जा सकता है, वो पशुधन जानवर माना जाता है। ‘पशुधन’ को पशुधन प्रबंधन प्रणाली के तहत सही तरीके से इस्तेमाल और उनकी देखभाल करने की समझ विकसित होती है।
इसमें कोई शक नहीं है कि पशुधन के प्रबंधन के लिए पशु मालिकों को अतिरिक्त समय, संसाधन और पूंजी निवेश की ज़रूरत होती है। इन चुनौतियों को ध्यान में रखकर पशुधन प्रबंधन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल स्मार्ट किसानों के बीच काफ़ी लोकप्रिय हो रहा है। पशुधन प्रबंधन प्रणाली का बाज़ार लगभग 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। पारंपरिक किसानों के लिए, पशुधन पालन उनकी दूसरी आय का महत्वपूर्ण स्रोत है। पशुओं को पालने वाले ज़्यादातर किसान पारंपरिक तरीकों से मैनेजमेंट करते हैं, जहां पर अक्सर वैज्ञानिक तौर से समस्या का समाधान नहीं हो पाता है।
पशुधन पालन में सही तरह से मैनेजमेंट नहीं होने से पशुओं में बीमारियों का खतरा बढ़ता है, क्योंकि वो बीमार जानवर के संपर्क में होते हैं। किसानों को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि पशुधन पालन प्रणाली को सुचारु तरीके से लागू करें।
पशुधन की नियमित चिकित्सा जांच
पशुधन के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए नियमित पशु चिकित्सा जांच ज़रूरी है। किसानों को एक योग्य पशुचिकित्सक के साथ साझेदारी बनानी चाहिए जो नियमित रूप से जांच करना, टीकाकरण और ट्रीटमेंट कर सके। बीमारियों की वक़्त से पहचान और उपचार से मृत्यु दर में काफ़ी कमी आ सकती है। पशुधन की पूरी तरह से उत्पादकता में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
पशुधन के संपूर्ण पोषण की व्यवस्था
पशुधन को पूरा पोषण प्रदान करने के साथ ही उनकी ग्रोथ और प्रोडक्शन भी काफ़ी अहम है। भारतीय किसानों को संतुलित आहार पर ध्यान देना चाहिए, जो हर एक तरह के पशुधन की विशिष्ट पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करता हो। इसमें रूघेज, खनिज और विटामिन का मिक्सचर शामिल है। उचित भोजन पद्धतियों का भी पालन करना चाहिए।
तापमान में बदलाव और पशुधन प्रबंधन प्रणाली
जलवायु परिवर्तन भी पशुधन को काफ़ी प्रभावित करता है। तापमान में बदलाव ने पशुधन को गंभीरता से प्रभावित किया है। इसलिए पशुधन प्रबंधन प्रणाली ज़रूरी है, क्योंकि मौसम में असमय बदलाव के कारण जानवरों के स्वास्थ्य, प्रजनन क्षमता बहुत प्रभावित होती है। जिससे पशु उत्पाद की गुणवत्ता में भी गिरावट दिखती है।
मौसम में असमय बदलाव से डेयरी पशुओं की प्रजनन क्षमता कम हो रही है। परिणामस्वरूप गर्भधारण दर में भी काफी गिरावट हो रही है। थनैला रोग, गर्भाशय की सूजन व दूसरी तरह की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।
पशुधन आवास में स्वच्छता और सफ़ाई
बीमारियों को बढ़ने से रोकने के लिए पशुधन आवास और भोजन के क्षेत्र में अच्छी तरह से साफ-सफाई बहुत ही ज़रूरी है। खलिहानों, शेडों और इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की नियमित सफाई करने से काफी हद तक पशुधन को रोगों से बचाया जा सकता है।
वहीं कीटाणुशोधन से संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। जिस स्थान पर आपके पशुधन की रहने की वयवस्था हो वहां पर पर्याप्त वेंटिलेशन होना चाहिए, साथ ही अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली का उपयोग करना चाहिए।
पशुधन के लिए आवास तैयार करना
पशुओं के लिए उनके आवास बनाना बहुत ज़रूरी है। आवास होने से आपका पशुधन गर्मी, सर्दी और बारिश से बच जाता है। आवास के लिए सबसे अहम है कि बनाते वक्त पशुओं के आराम और सेहत को लेकर पूरा फोकस करना चाहिए। पशुशाला हवादार और अच्छे प्रकाश की व्यवस्था होनी चाहिए।
अगर आप पशुओं का आवास खेत के आसापास बना रहे हैं तो छायादार पेड़ के पास या उसके नीचे बनाएं, जिससे वो ठंड और गर्म हवाओं दोनों से बच सकें। पशुशाला बनाने में इस बात का ध्यान ज़रूर दें कि फर्श सीमेंट और कंक्रीट से ना बना हो, क्योंकि इसके पशुओं को चोंट यहां तक की मौत भी हो सकती है।
पशुधन प्रबंधन प्रणाली में इन बातों पर दें ध्यान
- पशुधन प्रबंधन प्रणाली में सबसे पहले आता है पशुओं को पर्याप्त और उचित मात्रा में भोजन देना। पशुओं का भोजन संतुलित आहार होना चाहिए।
- पशुओं के लिए पर्याप्त रूप से स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता होनी चाहिए।
- अपने पशुधन को धूप में ज़रूर बैठाएं, ये उनके स्वास्थ्य के बहुत अहम है।
- समय समय पर पशु चिकित्सक से परामर्श लेते रहें।
- अपने पशुओं के लिए आवास की सही व्यवस्था ज़रूर करें ।
- दूध देने वाले पशुओं में दुहने के लिए एक टाइम सेट करें।
पशुधन प्रबंधन प्रणाली के लिए उपयोगी टिप्स
1. संतुलित आहार सुनिश्चित करें
पशुओं के स्वास्थ्य और उत्पादकता के लिए उचित पोषण महत्वपूर्ण है। आहार में ऊर्जा, प्रोटीन, खनिज और विटामिन का सही संतुलन रखें।
2. स्वच्छता बनाए रखें
पशुओं के रहने का स्थान साफ़-सुथरा और कीटाणु रहित होना चाहिए। इससे बीमारियों की संभावना कम होती है।
3. जल प्रबंधन पर ध्यान दें
पशुओं को साफ़ और ताज़ा पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराएं। पानी की कमी से उनकी उत्पादकता और स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
4. प्रजनन प्रबंधन
उच्च गुणवत्ता वाले प्रजनन के लिए स्वस्थ नर और मादा का चयन करें। प्रजनन चक्र की निगरानी करें और समय पर कृत्रिम गर्भाधान जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करें।
5. तनाव कम करें
पशुओं को तनाव मुक्त रखने के लिए उन्हें आरामदायक और सुरक्षित माहौल प्रदान करें। उनके आसपास तेज आवाज़ या अनावश्यक भीड़ से बचें।
6. बीमारी के लक्षणों पर ध्यान दें
बीमार पशुओं की पहचान के लिए उनकी गतिविधियों, भूख और व्यवहार पर नजर रखें। जल्दी इलाज से बड़ी समस्याओं से बचा जा सकता है।
7. सही नस्ल का चयन करें
आपके क्षेत्र की जलवायु और पर्यावरण के अनुकूल नस्लों का चयन करें, जो अधिक उत्पादन देने के साथ कम जोखिम वाली हों।
8. तकनीकी उपकरणों का उपयोग
पशुधन प्रबंधन के लिए GPS ट्रैकिंग, RFID टैग और अन्य आधुनिक उपकरणों का उपयोग करें ताकि पशुओं की निगरानी और रिकॉर्डिंग आसान हो।
9. जैव सुरक्षा उपाय अपनाएं
पशुधन के फार्म में बाहरी संक्रमण रोकने के लिए बाहर से आने वाले व्यक्तियों और वाहनों की स्वच्छता का ध्यान रखें।
10. चारा प्रबंधन
गुणवत्तापूर्ण हरा और सूखा चारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराएं। फसल अवशेष और साइलो का उपयोग करके चारा संरक्षित करें।
11. कचरे का सही प्रबंधन
पशुओं के कचरे को खाद के रूप में पुनः उपयोग करें। इससे पर्यावरण सुरक्षित रहेगा और मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी।
12. जलवायु के अनुसार देखभाल
गर्मियों में पशुओं को छाया और ठंडे पानी की व्यवस्था करें। सर्दियों में उन्हें गर्म और सूखा रखने के लिए कंबल या अन्य उपाय अपनाएं।
13.पशु बीमा करवाएं
पशुओं के किसी भी अप्रत्याशित नुकसान से बचने के लिए बीमा पॉलिसी जरूर लें।
पशुधन प्रबंधन सॉफ्टवेयर
पशुधन प्रबंधन प्रणाली के लिए आज के वक्त में सॉफ्टवेयर इस्तेमाल हो रहे हैं। इन सॉफ्टवेयर्स की मदद से मवेशियों को रियल टाइम में ट्रैक करना,फार्म मैपिंग, चराई एनालिसिस को कनेक्ट करती है। फार्म संचालन को आसान करती है।