शोधकर्ता आकृति गुप्ता ने खोजा रोहू मछली को बीमारियों से बचाने का नया तरीक़ा
शोधार्थी आकृति गुप्ता ने रोहू मछली पालन के लिए बीमारियों से बचाने का नया तरीक़ा खोजा, जिससे मछली पालन और सुरक्षित होगा।
शोधार्थी आकृति गुप्ता ने रोहू मछली पालन के लिए बीमारियों से बचाने का नया तरीक़ा खोजा, जिससे मछली पालन और सुरक्षित होगा।
किसानों और मछुआरों के लिए केंद्र सरकार ने एक गेम-चेंजिंग पायलट योजना (Game-changing pilot scheme) की घोषणा की है। इस योजना का मूल मंत्र है – ‘एक मछली, एक धान’(One Fish, One Paddy)। ये न सिर्फ आय बढ़ाने का एक मॉडल है, बल्कि टिकाऊ कृषि (Sustainable Agriculture) और इंटिग्रेटेड कृषि (Integrated Farming) की ओर एक बड़ा कदम है।
CETA Agreement (Comprehensive Economic and Trade Agreement) पर सिग्नेचर हुए। ये समझौता भारत के मछुआरों, निर्यातकों और समुद्री उत्पादों से जुड़े लाखों लोगों के लिए ‘गेम-चेंजर’ साबित होने वाला है।
सजावटी मछली पालन (Ornamental Fish Rearing) न सिर्फ एक अच्छा शौक है, बल्कि एक फ़ायदेमंद बिज़नेस (Fish Farming) भी बन सकता है। अगर आपको मछलियों से प्यार है और आप कुछ अलग करना चाहते हैं, तो ये आर्टिकल आपके लिए ही है।
10 जुलाई, 2025 को राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस (National Fish Farmers Day 2025) के मौके पर नए मत्स्य क्लस्टर्स (Fisheries Clusters), प्रशिक्षण कार्यक्रम (Training Programs) और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (Infrastructure Projects) की घोषणा होने जा रही है, जो इस क्षेत्र को और आगे बढ़ाएगी।
भारत के केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (Central Marine Fisheries Research Institute) यानि CMFRI ने हाल ही में क्लाउनफिश (Clownfish) के बंदी प्रजनन (Captive breeding) में सफलता हासिल की है। इससे न सिर्फ़ समुद्री सजावटी मछलियों (marine ornamental fishes) के व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव भी कम होगा।
राष्ट्रीय मत्स्य डिजिटल प्लेटफॉर्म (NFDP) एक ऑनलाइन पोर्टल है, जिसका उद्देश्य मछुआरों और मत्स्य किसानों को औपचारिक बैंकिंग और सरकारी योजनाओं से जोड़ना है। इस प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन करके वे बैंक लोन,, मत्स्य बीमा, प्रदर्शन अनुदान और अन्य वित्तीय सहायता पा सकते हैं।
प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (Pradhan Mantri Matsya Kisan Samridhi Co-scheme) के तहत अब मछुआरे और मत्स्य पालकों को बेहतर सुविधाएं, वित्तीय सहायता, बीमा कवर और गुणवत्ता सुरक्षा मिलेगी।
‘सी केज फार्मिंग’ (Sea Cage Farming) यानी समुद्र में पिंजरों के ज़रिए मछली पालन की। ये न सिर्फ परंपरागत मछली पालन से बेहतर है, बल्कि इससे उच्च गुणवत्ता वाली मछलियां पैदा होती हैं, जिनकी मांग देश-विदेश में बहुत ज्यादा है।
हेमा डंगवाल ने नैनीताल के पहाड़ों में मछली पालन (Fish farming) को सफल व्यवसाय बनाकर कई महिलाओं को आत्मनिर्भर और रोजगार से जोड़ा।
अंडमान की जयलक्ष्मी ने आधुनिक तकनीकों से मछली पालन (Fish Farming) को लाभदायक व्यवसाय बनाया और कई किसानों को प्रेरित किया।
समेकित कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) अपनाकर रुपेश कुमार चौधरी ने मछली पालन, पोल्ट्री और बागवानी से अपनी आय बढ़ाई। यह प्रणाली किसानों को स्थिर आय और पर्यावरणीय लाभ प्रदान करती है।
मत्स्य क्षेत्र (Government Schemes for Fisheries Sector) भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सरकार द्वारा चलाई जा रही इन योजनाओं से न केवल मछुआरों को आर्थिक सहायता मिल रही है, बल्कि यह क्षेत्र तेजी से विकसित भी हो रहा है। इन योजनाओं का लाभ उठाकर मछुआरों की आय में वृद्धि हो सकती है और देश की खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकती है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana) का उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र (Fisheries) को और अधिक विकसित करना और इसे आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना के अंतर्गत मछुआरों और मत्स्य पालकों को वित्तीय सहायता दी जाती है, जिससे वे अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर सकें और अपनी उत्पादकता बढ़ा सकें। इस योजना से लाखों मछुआरों और किसानों को लाभ मिला है।
मछली बीज उत्पादन (Fish Hatchery) से किसानों को उच्च लाभ मिलता है। बंगाल की कैटफ़िश प्रजाति ‘मिस्तस गुलियो’ से सुंदरबन के निवासियों की आजीविका में सुधार हुआ है।
कोरापुट के आदिवासी किसान रत्ना रेड्डी ने मछली पालन में सफलता हासिल की, जो किसानों के लिए प्रेरणा और सरकारी योजनाओं के महत्व को दर्शाता है।
मछली पालन (Fish Farming) के व्यवसाय में उन्नत हैचरी तैयार करने और प्रजनन तकनीक के बारे में जानें, डॉ. अनूप सचान से।
रेनबो ट्राउट (Rainbow Trout Fish) एक विदेशी मछली है जिसका उत्पादन देश के पहाड़ी इलाकों में खूब किया जा रहा है और रेनबो ट्राउट मछली पालन यहां के लोगों के लिए स्वरोज़गार का अच्छा ज़रिया बन गया है। उत्तराखंड के टिहरी ज़िले के पंचम सिंह भी करीब 5 सालों से सफलतापूवर्क रेनबो ट्राउट मछली का उत्पादन कर रहे हैं।
खेती-किसानी के साथ ही मछली पालन भी ग्रामीण अंचल में किसानों की कमाई का अच्छा ज़रिया है। ट्राउट मछली पालन कर किसान अच्छी-खासी कमाई कर सकते हैं, खासतौर पर पहाड़ी इलाके के किसान।
अवतार सिंह कहते हैं कि झींगा पालन शुरू करने से पहले इसकी ट्रेनिंग लेनी ज़रूरी है। झींगा पालन व्यवसाय शुरू करने से पहले तालाब, हैचरी और बीज की सही जानकारी होनी चाहिए। अवतार सिंह कहते हैं कि सरकार की तरफ़ से इस व्यवसाय को करने के लिए ढाई एकड़ पर सब्सिडी मिलती है। हर राज्य की अलग-अलग सब्सिडी होती है।