Fish Farming: अंडमान निकोबार की रहने वाली जयलक्ष्मी आधुनिक तरीकों से कर रही हैं मछली पालन

अंडमान की जयलक्ष्मी ने आधुनिक तकनीकों से मछली पालन (Fish Farming) को लाभदायक व्यवसाय बनाया और कई किसानों को प्रेरित किया।

Fish Farming: अंडमान निकोबार की रहने वाली जयलक्ष्मी आधुनिक तरीकों से कर रही हैं मछली पालन

भारत में मछली पालन (Fish Farming) एक तेज़ी से बढ़ता हुआ व्यवसाय बन चुका है, ख़ासकर उन इलाकों में जहां पानी की उपलब्धता अच्छी होती है और जलवायु मछलियों के पालन के लिए अनुकूल रहती है। यह व्यवसाय आज न केवल किसानों की आमदनी का नया ज़रिया बन रहा है, बल्कि रोज़गार देने वाला भी साबित हो रहा है।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भी मीठे पानी की मछली पालन ने अब एक नई दिशा पकड़ ली है। यहां के किसान पहले पारंपरिक और “एक्सटेंसिव” तरीकों से मछली पालन करते थे, जिसमें उत्पादन कम और लागत ज़्यादा होती थी। लेकिन अब समय के साथ किसान आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक सलाह की मदद से मछली पालन को एक बेहतर और लाभदायक व्यवसाय में बदल रहे हैं।

इसी बदलाव की एक प्रेरणादायक मिसाल हैं साउथ अंडमान की जयलक्ष्मी जी, जिन्होंने न सिर्फ़ मछली पालन को अपनाया, बल्कि इसमें नवाचार कर के दूसरी महिलाओं और किसानों को भी प्रेरित किया।

अंडमान में मीठे पानी की मछली पालन की चुनौती (Challenges of freshwater fish farming in Andaman)

अंडमान की ज़मीन और यहां की जलवायु मछली पालन (Fish Farming) के लिए बहुत उपयुक्त मानी जाती है। यहां के लोगों की पसंद भी मीठे पानी की मछलियों की ओर ज्यादा होती है, जैसे रोहू, कतला आदि। इसलिए यहां मीठे पानी की मछली पालन की काफी संभावनाएं हैं। लेकिन फिर भी किसान इस क्षेत्र में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं पा रहे थे।

इसका सबसे बड़ा कारण था मछलियों के चारे पर आने वाला भारी खर्च। मछली पालन में कुल लागत का लगभग 60% हिस्सा केवल मछलियों को खिलाने (फीड) में खर्च हो जाता था। इसके अलावा, किसानों के पास पूरक आहार (Supplementary Feed) की पर्याप्त जानकारी नहीं थी। इससे मछलियों की ग्रोथ कम होती थी, जिससे उत्पादन भी घटता और आमदनी पर सीधा असर पड़ता था।

ICAR-CIARI की पहल ‘Dweep Carp Grower Feed’ 

इस समस्या को समझते हुए पोर्ट ब्लेयर स्थित ICAR-CIARI ने एक बड़ी पहल की। उन्होंने ‘Dweep Carp Grower Feed’ नाम से एक ख़ास तरह की फीड तैयार की, जो मछलियों की बेहतर ग्रोथ में मदद करती है और किसानों की लागत को भी कम करती है। इसके साथ ही ICAR-CIARI ने एक फिश फीड मिल भी स्थापित की, जिसकी उत्पादन क्षमता 80 से 100 किलोग्राम प्रति घंटे है। इस प्रोजेक्ट को NABARD से वित्तीय सहायता (फंडिंग) मिली और इसे “Farm Sector Promotion Fund” योजना के तहत लागू किया गया।

यह सुविधा ख़ासतौर पर स्टार्टअप्स, छोटे किसानों और उन लोगों के लिए तैयार की गई है जो मछली पालन (Fish Farming) को एक प्रोफेशनल व्यवसाय के रूप में अपनाना चाहते हैं। इसका उद्देश्य किसानों को आत्मनिर्भर बनाना और मछली पालन (Fish Farming) में आधुनिक तकनीक का उपयोग बढ़ाना है।

जयलक्ष्मी जी की सफलता की कहानी (Success story of Jayalakshmi)

साउथ अंडमान की रहने वाली जयलक्ष्मी जी, जो कि एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं, अब मछली पालन (Fish Farming) की दुनिया में एक सफल उद्यमी के रूप में जानी जाती हैं। उन्होंने अपने फ़ार्म “M/s Meyor Nature” पर पहले से ही कई तरह की गतिविधियां शुरू कर रखी थीं – जैसे कि पोल्ट्री फ़ार्मिंग, सब्जियों की खेती, पौधशाला (नर्सरी) और ऑर्गेनिक खाद तैयार करना।

इन सब कार्यों के बीच उन्होंने मछली पालन को भी अपनाने का फैसला किया और इसी ने उनके जीवन में एक नया मोड़ ला दिया। उन्होंने सबसे पहले अपने फ़ार्म के तालाबों में ICAR-CIARI द्वारा विकसित ‘Dweep Carp Grower Feed’ का इस्तेमाल शुरू किया। कुछ ही समय में उन्होंने देखा कि मछलियों की ग्रोथ तेज़ हो रही है और उनकी क्वालिटी भी बेहतर हो गई है। इससे उन्हें यह विश्वास हुआ कि अगर फीड सही हो, तो मछली पालन (Fish Farming) से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। यहीं से उन्होंने खुद मछली फीड बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया।

फिश फीड मिल की शुरुआत और कमाई (Starting and earning of fish feed mill)

फरवरी 2022 में जयलक्ष्मी जी और ICAR-CIARI के बीच एक MoU (समझौता ज्ञापन) साइन हुआ। इस MoU के तहत जयलक्ष्मी जी को तीन महीने की इनक्यूबेशन सुविधा प्रदान की गई। इसके साथ ही उन्हें और उनकी टीम को फिश फीड प्रोडक्शन से जुड़ा प्रैक्टिकल प्रशिक्षण भी दिया गया। इस ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने यह सीखा कि मछलियों के लिए किस तरह की फीड तैयार करनी चाहिए, कितनी मात्रा में देनी है, और कैसे उत्पादन किया जा सकता है।

इन तीन महीनों में जयलक्ष्मी जी और उनकी टीम ने कुल 1,025 किलोग्राम फिश फीड तैयार की, जिससे उन्होंने करीब ₹51,250 की कमाई की। यह सिर्फ़ एक शुरुआत थी, लेकिन इससे उन्हें यह साफ समझ आ गया कि मछली पालन (Fish Farming) में सिर्फ़ उत्पादन ही नहीं, बल्कि फीड उत्पादन से भी अच्छी आमदनी की जा सकती है।

भारत में बढ़ती मछली पालन की संभावनाएं (Possibilities of increasing fish farming in India) 

भारत में मछली पालन के दो प्रमुख प्रकार होते हैं:

1. मीठे पानी की मछली पालन

इसमें रोहू, कतला, झींगा, सजावटी मछलियां जैसे गप्पी और गोल्डफिश शामिल होती हैं। जयलक्ष्मी जी का फॉर्म भी इसी श्रेणी में आता है।

2. खारे पानी की मछली पालन

इसमें टाइगर प्रॉन, ग्रे मुलेट और समुद्री केकड़े पाले जाते हैं।

किसान अपनी ज़मीन, पानी की उपलब्धता और बाज़ार की मांग के अनुसार किसी भी प्रकार की मछली पालन चुन सकते हैं।

भारत में मछली पालन के लिए लोकप्रिय मछलियां (Popular fishes for fish farming in India) 

  • तिलापिया मछली – जल्दी बढ़ती है और प्रोटीन से भरपूर होती है।
  • कैटफ़िश मछली – गर्म जलवायु में जल्दी तैयार होती है।
  • ग्रास कार्प मछली – मीठे बहते पानी में अच्छा उत्पादन देती है।
  • सिल्वर कार्प मछली – कम लागत में पाली जा सकती है।
  • झींगा मछली – हाई मार्केट डिमांड के कारण किसान इसे ज़्यादा पालते हैं।

रोज़गार और महिला सशक्तिकरण की मिसाल (An example of employment and women empowerment) 

जयलक्ष्मी जी ने मछली पालन (Fish Farming) को सिर्फ़ अपनी आमदनी बढ़ाने का ज़रिया नहीं बनाया, बल्कि इसके माध्यम से उन्होंने समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश की। उन्होंने इस व्यवसाय के जरिए चार अन्य लोगों को रोज़गार दिया, जिससे उनके फ़ार्म पर एक छोटी सी टीम बन पाई जो फिश फीड प्रोडक्शन और मछली पालन से जुड़ी गतिविधियों को संभालती है।

उनकी इस पहल ने यह साबित कर दिया कि अगर सही दिशा और योजना हो, तो मछली पालन (Fish Farming) जैसे व्यवसाय से न केवल खुद की आमदनी बढ़ाई जा सकती है, बल्कि दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। जयलक्ष्मी जी का प्रयास महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर भारत अभियान का एक बेहतरीन उदाहरण बन गया है, ख़ासकर द्वीप क्षेत्र जैसी जगहों पर, जहां संसाधनों की सीमाएं होती हैं।

भविष्य की योजना (future plan) 

अब जब जयलक्ष्मी जी को मछली फीड उत्पादन में सफलता मिली है, तो उनकी टीम ने एक और कदम आगे बढ़ाने की योजना बनाई है। वे अपने फ़ार्म “M/s Meyor Nature” में जल्द ही खुद की फिश फीड मिल शुरू करने की तैयारी कर रही हैं। इसका उद्देश्य सिर्फ़ व्यापार बढ़ाना नहीं है, बल्कि और भी किसानों को मछली पालन (Fish Farming) के लिए प्रशिक्षित करना है, ताकि पूरे अंडमान क्षेत्र में रोज़गार के नए अवसर पैदा हो सकें और लोग गांव-घर में रहकर ही अच्छा जीवनयापन कर सकें।

जयलक्ष्मी जी का यह सपना है कि द्वीप क्षेत्र के अधिक से अधिक युवा और महिलाएं मछली पालन जैसे व्यवसाय से जुड़ें और खुद भी एक सफल उद्यमी बनें।

निष्कर्ष (Conclusion) 

जयलक्ष्मी जी की जर्नी इस बात का उदाहरण है कि अगर सही तकनीक और प्रशिक्षण मिले, तो मछली पालन (Fish Farming) से ग्रामीण क्षेत्र के किसान भी आत्मनिर्भर बन सकते हैं। अंडमान जैसे दूरदराज इलाकों में भी मछली पालन से आर्थिक सशक्तिकरण और रोज़गार की नई राहें खुल रही हैं। अगर आप भी मछली पालन शुरू करना चाहते हैं, तो इस कहानी से सीख लेकर आप अपने क्षेत्र में बदलाव ला सकते हैं।

ये भी पढ़ें : भारत में मछली पालन आर्थिक लाभ और टिकाऊ प्रबंधन की रणनीतियां

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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