Ornamental Fish Farming In India: भारत में सजावटी मछली पालन व्यवसाय क्यों फल-फूल रहा है?

ऑर्नामेंटल फिश यानि सजावटी मछली (Ornamental Fish) आमदनी का अच्छा ज़रिया बन सकता है, यही नहीं इसे अगर सही तरीके […]

Ornamental Fish Farming In India भारत में सजावटी मछली पालन व्यवसाय

ऑर्नामेंटल फिश यानि सजावटी मछली (Ornamental Fish) आमदनी का अच्छा ज़रिया बन सकता है, यही नहीं इसे अगर सही तरीके से किया जाए तो ये मुनाफ़े वाला व्यवसाय बन सकता है, क्योंकि सजावटी मछलियों की मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है। घर के ड्राइंग रूम से लेकर ऑफ़िस तक की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए लोग सजावटी फ़िश एक्वेरियम (Decorative Fish Aquarium) रखते हैं, जिसमें रंगनी मछलियां होती हैं। इन्हें ही ऑर्नामेंटल फिश या सजावटी मछलियां कहां जाता है। इन मछलियों को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।

पहले तो ये शौक बड़े शहरों तक ही सीमित था, लेकिन अब छोटे शहर से लेकर गांव तक, सजावटी मछलियों को रखने का ट्रेंड शुरू हो गया है, जिससे इसस क्षेत्र में रोज़गार की संभावनाएं बढ़ी हैं। आप चाहें तो छोटी सी जगह से भी सजावटी मछली पालन का बिज़नेस (Ornamental Fish Farming Business) शुरू कर सकते हैं। अच्छी बात ये है कि इस काम में मेहनत ज़्यादा नहीं है और मुनाफ़ा अच्छा होता है। सजावटी मछली पालन से जुड़ी कई अहम बातों पर रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ नीलेश कुमार से चर्चा की किसान ऑफ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुंदेली ने।

सजावटी मछली की ज़रूरतें

रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ नीलेश कुमार सजावटी मछली पालन को एक अच्छा व्यवसाय मानते हैं। उनका कहना है कि सजावटी मछलियों की मांग देश ही नहीं, विदेशों में भी बढ़ती जा रही है। इस क्षेत्र में रोज़गार की बहुत संभावनाए हैं। वो कहते हैं कि मछलियां दो तरह की होती हैं। एक तो वो जिनका उत्पादन खाने या दूसरे इंडस्ट्रियल उपयोग के लिए होता है और दूसरी मछली होती है सजावटी यानी ऑर्नामेंटल फ़िश, जिसे सिर्फ़ सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है, इन्हें खाते नहीं है।

वो बताते हैं कि ताज़े मीठे पानी में सजावटी मछली पालन अच्छा होता है। जिस टैंक में मछली पालन कर रहे हैं उसके पानी में ऑक्सीजन 4-6 mg प्रति लीटर होनी चाहिए। 28-30 डिग्री तक का तापमान सजावटी मछली पालन के लिए अच्छा माना जाता है। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पानी में अमोनिया की मात्रा जितनी कम हो मछलियों के लिए ये उतना ही अच्छा होता है। अगर कोई इन पैरामीटर्स को ध्यान में रखकर मछली पालन करता है, तो उसे और ज़्यादा कुछ करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है।

सजावटी मछलियों का प्रजनन

सजावटी मछली के प्रजनन के बारे में प्रोफ़ेसर डॉ नीलेश कुमार बताते हैं कि सजावटी मछलियों में 3 तरह का प्रजनन होता है। कुछ मछलियां सीधे बच्चे को जन्म देती हैं, कुछ मछलियां अंडे देती हैं, जबकि कुछ मछलियां अंडों को मुंह में रखती हैं और जब वो फर्टिलाइज़ हो जाते हैं तो बाहर निकालती हैं। गोल्ड मछली अंडा देती है। गोल्ड फिश उत्तर भारत में 50-60 रंग की होती हैं। वहीं कुछ मछलियां साधारण वातावरण में भी अच्छी तरह ब्रीड करती हैं। एक मछली है शार्क टेल, जिसे साधारण टैंक में रख दीजिए और उसे ठीक से खाना खिलाते रहिए तो उसका प्रजनन बहुत अच्छा होता है। इन मछलियों को आसानी से पाला जा सकता है।

सिर्फ़ मछली पालन न करें

प्रोफ़ेसर डॉ. नीलेश कुमार किसानों को सलाह देते हैं कि वो सिर्फ़ सजावटी मछलियों का ही व्यवसाय न करें, बल्कि मछलियों के साथ ही एक्वेरियम और इसकी एक्सेसरीज़ जैसे फिल्टर, सजावटी चीज़ों का भी बिज़नेस करें। इससे मुनाफ़ा बढ़ेगा क्योंकि लोग रंगीन मछलियों के साथ ही ये सारी चीज़ें भी खरीदते हैं। अगर कोई इन मछलियों का व्यवसाय करना चाहता है, तो बहुत ही आसानी से इन्हें पाल सकता है।

पानी का पीएच, अमोनिया, ऑक्सीजन आदि का ध्यान रखना ज़रूरी है।  इन्हें मेंटेन करके कोई भी अच्छा व्यवसाय कर सकता है। रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में सजावटी मछली पालन, ब्रीडिंग, फिश कल्चर, मछलियों की बीमारी आदि से जुड़ी जानकारी भी दी जाती है। प्रोफ़ेसर निलश कहते हैं कि इस व्यवसाय में भी थोड़ा जोखिम तो है, लेकिन कोई भी बिज़नेस करना है तो रिस्क तो लेना ही पड़ेगा।

 सजावटी मछलियों का आहार

प्रोफ़ेसर डॉ. नीलेश कुमार कहते हैं कि जैसा कि इन मछलियों का नाम ही है सजावटी मछलियां, तो इन्हें कुछ भी ऐसा खाना नहीं डाला जाता है जो टैंक में गंदा दिखे। इनके लिए बाज़ार में अलग से दाना उपलब्ध है, वही इन्हें खिलाना चाहिए। मछलियों का ये दाना सरसों के दाने की तरह दिखता है और ये पानी में डालने पर तैरता है जिससे पानी गंदा नहीं होता है और मछलियां अपने हिसाब से इन्हें खा लेती हैं।

किन बातों का रखें ध्यान

  • साधारण मछलियों की तुलना में रंगीन मछलियां सॉफ्ट होती हैं, इसलिए इन्हें सीमेंट टैंक में पाला जाना चाहिए।
  • सजावटी मछली पालन करने के लिए एक नर और एक मादा का सही अनुपात रखना चाहिए। इसके लिए एक नर और पांच मादा का अनुपात भी रख सकते हैं, मगर उन्हें नियमित आहार देना न भूलें।
  • मछलियो के भोजन में 35 फ़ीसदी प्रोटीन की मात्रा रखने से उनका विकास जल्दी और अच्छा होता है।
  • 4 महीने बाद ये सजावटी मछलियां बिक्री के लिए तैयार हो जाती हैं।

सजावटी मछली पालन से कमाई

सजावटी मछली पालन छोटे स्तर से लेकर बड़े स्तर तक पर किया जा सकता है। अगर कोई छोटी इकाई स्थापित करना चाहता है तो शेड, मछलियों के आहार और ज़रूरी सामान पर 50 से 60 हज़ार रुपये का खर्च होता है। ऐसे में वो हर महीने 3-5 हज़ार रुपये की कमाई कर सकता है। अगर किसान एक लाख 20 हज़ार निवेश करता है, तो हर महीने 8-9 हज़ार रुपये कमा सकता है। बड़े स्तर पर किसान अगर 25 लाख रुपये का निवेश करता है, तो हर महीने 1.2-1.5 लाख तक की कमाई कर सकता है। सजावटी मछली पालन को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana Scheme) के तहत सब्सिडी दी जा रही है। इस योजना के तहत महिला लाभार्थियों को 60 प्रतिशत और पुरुष लाभार्थियों को 40 प्रतिशत सब्सिडी देने का प्रावधान है।

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