Tuber Crops Cultivation: जानिए कंद फसलों की खेती से जुड़ी जानकारी और कमाएं मुनाफ़ा
कंद फसलों की खेती (Tuber Crops Cultivation), जैसे आलू और शकरकंद, किसानों के लिए लाभकारी है। ये पौष्टिक, उच्च मूल्य वाली और कम पानी की आवश्यकता वाली होती हैं।
कंद फसलों की खेती (Tuber Crops Cultivation), जैसे आलू और शकरकंद, किसानों के लिए लाभकारी है। ये पौष्टिक, उच्च मूल्य वाली और कम पानी की आवश्यकता वाली होती हैं।
भारतीय गेहूं और जौ अनुसन्धान संस्थान ने जौ की उपज की DWRB-219 किस्म ईज़ाद की है, जिसकी पैदावार परम्परागत किस्मों के मुक़ाबले दोगुनी है।
कपास की फ़सल को खरपतवार से सुरक्षित रखने में अंतरवर्तीय फसल प्रणाली (Intercropping System) की तकनीक बेहद उपयोगी और किफ़ायती साबित होती है।
खरीफ़ मौसम के दौरान कृषि में फ़सल चक्र (Crop rotation in agriculture) अपनाकर किसान अपने खेत को कई तरह की परेशानियों से बचाते हैं।
मक्के की फ़सल में पोषक तत्वों (Maize Crop Nutrients) की कमी कई समस्याओं का कारण बन सकती है, जिससे उत्पादन में गिरावट आ सकती है।
नारियल की खेती (Coconut Cultivation) गर्म तापमान में अच्छी होती है, क्योंकि इस मौसम में फल अच्छी तरह पक जाते हैं। ये 10 डिग्री से लेकर 40 डिग्री तक के तापमान को सहन कर सकते हैं।
अब गर्मियों में भी ग्रीष्मकालीन गन्ने की खेती की जा रही है, हालांकि शरद और बसंद ऋतु के मुकाबले गर्मियों में गन्ने की पैदावर कम होती है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर गर्मियों में भी अच्छी फसल प्राप्त की जा सकती है।
Suran Ki Kheti: सूरन (Suran) को ओल और जिमीकंद के नाम से देश के अलग-अलग हिस्सों में सब्जी के तौर
भारतीय अनुसंधान परिषद ( Indian council of agricultural research) के अलग-अलग संस्थानों (Institutions) ने श्री अन्न की उन्नत किस्में तैयार की हैं। इन उन्नत हाइब्रिड किस्मों में बाजरा की 4, कुटकी की 6, रागी की 5, चीना या प्रोसो मिलेट की 3, कोदो की 2, कंगनी की 2, ब्राउन टॉप की 1, सांवां की 1 किस्म शामिल है। कुल मिलाकर 24 किस्में है जो ICAR ने तैयार की गई हैं।
जो लोग कृषि से जुड़ा व्यवसाय करने की सोच रहे हैं, उनके लिए मशरूम उत्पादन व्यवसाय बेहतरीन विकल्प है, क्योंकि
चिकोरी, जिसे कासनी भी कहा जाता है, भारत में खेती के लिए नगदी फसल के रूप उगाया जाता है। इसको पशुओं के लिए हरे चारे की फ़सल के रूप में उगाया जाता है। इसमें कच्चे प्रोटीन का स्तर 10 से 32 फ़ीसदी तक होता है। भारत में चिकोरी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और कश्मीर में पाया जाता है।
Mung Ki Kheti | देश के कई हिस्सों में मूंग दाल की बुवाई हो चुकी है। मूंग दाल दलहनीय फसलों
राइस ब्रान ऑयल को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार नेफेड के फोर्टिफाइड ब्रैन राइस ऑयल को ई-लॉन्च किया है।राइस ब्रैन ऑयल की मार्केटिंग सभी नेफेड स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफार्म पर हो रही है।वहीं साल 2024-2032 के दौरान इंडियन सनफ्लावर ऑयल मार्केट 7 फीसदी की CAGR प्रदर्शित करेगा।
बुंदेलखंड जैसे इलाके में जहां पानी की समस्या है और बड़ी मात्रा में ज़मीन बंजर पड़ी रहती है, लेमनग्रास की खेती यहां के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इसकी खेती कम पानी में भी आसानी से की जा सकती है।
आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि नींव मज़बूत होगी, तभी तो मज़ूबत इमारत बनेगी। ठीक इसी तरह मिट्टी
खेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसानों को इसकी कुछ बुनियादी नियमों के बारे में पता होना चाहिए। जैसे कि फसल चक्र। ये मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार और उत्पादन बढ़ाने के लिए बहुत ज़रूरी है, मगर बहुत से किसान इस नियम को भूलकर लगातार एक ही फसल उगा रहे हैं जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।
मक्के की फसल की खेती रबी, खरीफ़ और जायद सीज़न में आराम से की जा सकती है, लेकिन खरीफ़ के मौसम में मक्के की फसल बारिश पर निर्भर करती है। मक्के की फसल 3 महीने का वक्त लेती है।
भारत में ज्वार की फसल प्रमुख उपज है और ये खरीफ़ सीजन में उगाई जाती है। ये फसल वर्षा आधारित होती है। ज्वार में पौष्टिक तत्व कूट-कूट कर भरे होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं।
कोदो की उन्नत खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। कोदो को चावल की तरह खाया जा सकता है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, खनिज, आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होता है। कोदो मिलेट (Kodo Millet In Hindi) और इसकी उन्नत खेती में बारे में जानिए।
ब्राउन टॉप बाजरा बहुत कम पानी के साथ और ख़राब मिट्टी में भी उगता है। हाई प्रोटीन होने की वजह से ये कई बीमारियों से लड़ने की ताकत रखता है। ब्राउन टॉप मिलेट की खेती (Brown Top Millet Farming) गर्म जलवायु वाले स्थान पर होती है। जिन जगहों पर सूखा हो, वहां ये फसल आसानी से उगाई जा सकती है।