Vermi Compost Unit Scheme: राजस्थान सरकार की वर्मीखाद योजना किसानों के लिए सुनहरा अवसर, मिल रही 50 हज़ार की सब्सिडी
राजस्थान सरकार की Vermi Compost Unit Scheme के तहत किसानों को वर्मीकम्पोस्ट यूनिट स्थापित करने पर 50% तक की सब्सिडी मिलती है।
वर्मीकम्पोस्ट प्रदूषणहीन खेती तकनीक है जो आपको उच्च गुणवत्ता वाली मिट्टी प्रदान करने में मदद कर सकती है। हमारे गाइड के साथ, वर्मीकम्पोस्ट बनाने के सरल और प्रभावी तरीकों को जानें। किसान ऑफ इंडिया पर हमारे साथ जुड़ें और उर्वरक से सस्ते और स्वास्थ्यपूर्ण खेती के लाभ को अनुभव करें।
राजस्थान सरकार की Vermi Compost Unit Scheme के तहत किसानों को वर्मीकम्पोस्ट यूनिट स्थापित करने पर 50% तक की सब्सिडी मिलती है।
देहरादून के युवा ताहिर हसन सिर्फ़ एक साल से ही ऑर्गेनिक खेती और वर्मीकम्पोस्ट बनाने का काम कर रहे हैं और इससे उन्हें लाखों का मुनाफ़ा भी हो रहा है। कैसे वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय से युवा अच्छी कमाई कर सकते हैं? आइए, जानते हैं।
वर्मीकम्पोस्ट जिसे केंचुआ खाद भी कहा जाता है, पोषक तत्वों से भरपूर जैविक खाद होती है। जिसे गोबर और केंचुए की मदद से तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया में केंचुए बहुत अहम होते हैं। इसलिए केंचुए की सही देखभाल करके बिज़नेस से अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है।
ऑर्गेनिक फार्मिंग यानी जैविक खेती मिट्टी और पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के साथ गुणवत्तापूर्ण पौष्टिक फसल उत्पादन के लिए ज़रूरी है और जैविक खेती में सबसे बड़ी ज़रूरत है वर्मीकम्पोस्ट। जानिए कैसे डॉ. श्रवण कुमार वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय को लेकर ट्रेनिंग दे रहे हैं।
ऑर्गेनिक फूड प्रॉडक्ट्स की मांग बढ़ने के साथ ही इसके लिए ज़रूरी वर्मीकंपोस्ट (Vermicompost) की मांग भी बढ़ गई है। महिला किसानों और स्वयं सहायता समूहों (Self-Help Groups) के साथ ATMA ग्रुप पंचकव्य, अमृता करैसल और पांच पत्ती के अर्क के उत्पादन में भी महिलाओं की ज़्यादा भागीदारी को बढ़ावा दे रहा है।
कम भूमि वाले छोटे किसानों के पास मुनाफ़ा कमाने का एक अच्छा ज़रिया है एकीकृत कृषि प्रणाली। इस प्रणाली को अपनाकर बेगुसराय के रहने वाले प्रगतिशील किसान जय शंकर कुमार ने न सिर्फ़ अपनी आजीविका को बेहतर बनाया, बल्कि साथी किसानों के लिए एक प्रेरणा के रूप में भी खड़े हुए।
केंचुआ खाद में 50-75% प्रोटीन और 7-10% वसा के अलावा कैल्शियम, फास्फोरस जैसे खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। क़ीमत के लिहाज़ से भी केंचुआ खाद से मिलने वाले ये पोषक तत्व अन्य किसी भी स्रोत की तुलना में बेहद किफ़ायती होते हैं। केंचुआ खाद के लगातार इस्तेमाल से मिट्टी के भौतक, रासायनिक एवं जैविक गुणों में भी सुधार होता है और उसमें मौजूद सूक्ष्म जीवाणुओं के अनुपात बेहतर बनता है।
हरियाणा के रहने वाले कृष्ण कुमार ने 2016 में वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय में कदम रखा था। उस वक़्त कई लोगों ने उन्हें इसके लिए मना किया था, लेकिन प्रकृति के प्रति उनके लगाव ने उन्हें खेती-किसानी से जोड़ा। जानिए इस व्यवसाय का पूरा गणित।
वर्मीकंपोस्ट बनाने में कृषि विज्ञान केंद्र, नलबाड़ी ने कनिका के क्षेत्र में ‘वर्मीकम्पोस्ट प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी’ पर एक फ्रंट लाइन डेमॉन्स्ट्रेशन (एफएलडी) आयोजित करके तकनीकी सहायता प्रदान की और उन्हें 1 किलो केंचुआ (ईसेनिया फोएटिडा प्रजाति) प्रदान करके खाद बनाने के लिए प्रेरित किया।
वर्मीकम्पोस्ट बिज़नेस पर ख़ास सीरीज़ में आपकी मुलाकात हो रही है उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले अमित त्यागी से, जो इस व्यवसाय के गुरु बन गए हैं। आप हमारी इस सीरीज़ में इस व्यवसाय से जुड़ी हर जानकारी के बारे में जानेंगे।
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