वर्मीकंपोस्ट का व्यवसाय(Vermicomposting Business): कभी घर चलाना था मुश्किल, वर्मीकंपोस्ट बनाकर असम की कनिका ने बदला अपना जीवनस्तर, बेटी को मिल रही अच्छी शिक्षा

वर्मीकंपोस्ट बनाने में कृषि विज्ञान केंद्र, नलबाड़ी ने कनिका के क्षेत्र में 'वर्मीकम्पोस्ट प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी' पर एक फ्रंट लाइन डेमॉन्स्ट्रेशन (एफएलडी) आयोजित करके तकनीकी सहायता प्रदान की और उन्हें 1 किलो केंचुआ (ईसेनिया फोएटिडा प्रजाति) प्रदान करके खाद बनाने के लिए प्रेरित किया।

वर्मीकंपोस्टिंग व्यवसाय (Vermicomposting Business): कभी घर चलाना था मुश्किल आज वर्मीकंपोस्ट बनाकर लाखों कमा रहीं हैं कनिका

रसायनिक खाद की तुलना में वर्मीकंपोस्ट कहीं बेहतर विकल्प है। इससे न सिर्फ अच्छी फसल होती है, बल्कि मिट्टी की पौष्टिकता भी खत्म नहीं होती और वह लंबे समय तक उपजाऊ बनी रहती है। प्राकृतिक खेती की तरफ लोगों के बढ़ते रुझान के कारण ही वर्मीकंपोस्ट की मांग भी लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में इसे बनाना फायदे का काम है।

खासतौर पर उन लोगों के लिए जिनके पास पैसे और संसाधन दोनों की कमी है। क्योंकि इसे बनाने की लागत बहुत कम है और बहुत अधिक तकनीकी जानकारी की भी ज़रूरत नहीं पड़ती। यही वजह है कि असम के बोरजार गांव की सुश्री कनिका तालुकदार ने आजीविका के लिए वर्मीकंपोस्ट बनाने का काम शुरू किया। इससे वह कुछ ही सालों में सफल उद्यमी बनकर लाखों रुपए कमा रही हैं।

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वर्मीकंपोस्ट को उद्यम के रूप मे अपनाया

पति की मौत के बाद असम के नलबाड़ी जिले के बोरजार गांव की रहने वाली कनिका  के लिए घर और एक बच्चे का खर्च उठाना बहुत मुश्किल हो गया था। ऐसे में 2014 में वह कृषि विज्ञान केंद्र नलबाड़ी के संपर्क में आई। वहीं पर वर्मीकंपोस्ट उत्पदान संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा बनी। इसे बनाने की तकनीक समझने के बाद उन्होंने इसे उद्यम के रूप में अपनाने की सोची। वह इस बात को समझती थीं कि ऑर्गेनिक खेती आज के समय की ज़रूरत है और बिना वर्मीकंपोस्ट और जैविक कीटनाशकों के इसे करना मुश्किल है। इसलिए वर्मीकंपोस्ट की मांग भविष्य में और बढ़ेगी ही।

कृषि विज्ञान केंद्र से मिली मदद

शुरुआत में उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। इसलिए उन्होंने वर्मीकंपोस्ट को ही उद्यम के रूप में चुना क्योंकि इसमें बहुत कम निवेश की ज़रूरत होती है और जैविक कचरे और गाय के गोबर का आसानी से इसमें इस्तेमाल किया जा सकता है। क्योंकि  कनिका तालुकदार के पास पैसे नहीं थे इसलिए शुरुआत में विशेषज्ञों की सलाह पर उन्होंने बांस की मदद से सस्ते टैंक तैयार किए।

इतना ही नहीं कृषि विज्ञान केंद्र, नलबाड़ी ने उनके क्षेत्र में ‘वर्मीकम्पोस्ट प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी’ पर एक फ्रंट लाइन डेमॉन्स्ट्रेशन (एफएलडी) आयोजित करके तकनीकी सहायता प्रदान की। उन्हें 1 किलो केंचुआ (ईसेनिया फोएटिडा प्रजाति) प्रदान करके खाद बनाने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा उन्हें 4 वर्मी बेड भी दिए गए। हालांकि पहले साल सिर्फ 14 क्विंटल वर्मीकंपोस्ट का उत्पादन हुआ जिससे उन्हें मात्र 16,300 रुपए की कमाई हुई।

वर्मीकंपोस्ट का व्यवसाय(Vermicomposting Business): कभी घर चलाना था मुश्किल, वर्मीकंपोस्ट बनाकर असम की कनिका ने बदला अपना जीवनस्तर, बेटी को मिल रही अच्छी शिक्षा
तस्वीर साभार: Ministry of Agriculture and Farmers Welfare

वर्मीकंपोस्ट का व्यवसाय(Vermicomposting Business): कभी घर चलाना था मुश्किल, वर्मीकंपोस्ट बनाकर असम की कनिका ने बदला अपना जीवनस्तर, बेटी को मिल रही अच्छी शिक्षा

हर साल बढ़ने लगा मुनाफा

2017 में 200 क्विंटल वर्मीकंपोस्ट बेचकर उन्हें 1,25,000 रुपए का मुनाफा हुआ। इस तरह से साल दर साल उत्पादन और मुनाफा दोनों बढ़ने लगें। 2018 में 500 क्विंटल उत्पादन के साथ 3,25,000 रुपए का लाभ हुआ और 2019 में 1000 क्विंटल खाद बनाने पर 6,00,000 रुपए का शुद्ध लाभ हुआ।

उत्पाद की ब्रांडिंग

अब उन्होंने अपने खाद की ब्रांडिग भी कर ली है और ‘जय वर्मीकंपोस्ट’ नाम से उसे बाज़ार में बेचती हैं। नलबाड़ी जिल के साथ ही असम के अन्य कई जिलों में अब उनके खाद की मांग है। हाल ही में उन्होंने वर्मीवॉश जैविक कीटनाशक का उत्पादन भी शुरू कर दिया है। कनिका तालुकदार के लिए कभी अपना खर्च चलाना भी मुश्किल था, लेकिन आज वह असम की सफल महिला किसान उद्यमियों में से एक हैं।

कनिका अपने व्यवसाय को और विस्तार देना चाहती हैं और अगले दो साल में उनकी योजना 20 और वर्मीकंपोस्ट इकाईयां  खोलने की है। वह असम की एकमात्र महिला वर्मीकंपोस्ट उद्यमी हैं, जिन्हें राज्य के कृषि विभाग, गोवा से वर्मीकंपोस्ट की आपूर्ति के लिए लाइसेंस प्राप्त है।

जीवनस्तर में सुधार

वर्मीकंपोस्ट का उत्पादन शुरू करने के बाद से उनके जीवन स्तर में काफी बदलाव आया। अब वह अपनी बेटी को अच्छे स्कूल में पढ़ा रही हैं, जिसके बारे में पहले सोचना भी उनके लिए मुश्किल था। इतना ही नहीं कई मंच पर भाषण देने के लिए उन्हें आमंत्रित किया जा चुका है और कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है।

दूसरों को मिली प्रेरणा

कनिका तालुकदार की सफलता को देखकर दूसरी महिलाएं और बेरोज़गार लोग भी वर्मीकंपोस्ट का उत्पादन करने के लिए प्रेरित हुए हैं। जो लोग वर्मीकंपोस्ट का उत्पदान करना चाहते हैं कनिका उनके लिए इसे बनाने की तकनीक का प्रदर्शन करके उनकी मदद करती हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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