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मधुमक्खी पालन 2
न्यूज़, एग्री बिजनेस, फ़ूड प्रोसेसिंग, विविध

Apiculture: कैसे कृषि और मधुमक्खी पालन के बीच है दिलचल्प संबंध? किसानों-युवाओं को भा रही Beekeeping

शहद और मधुमक्खियों के बिना, कई फसलें प्रजनन करने में सक्षम नहीं होंगी। मधुमक्खियां फसलों को मजबूत और कीटों और बीमारियों को लेकर ज़्यादा प्रतिरोधी बनाने में भी मदद करती हैं। जानिए खेती और मधुमक्खी पालन से जुड़ी अहम बातें।

पशु उपचार में कारगर औषधीय पौधे
पशुपालन, औषधि, न्यूज़, विविध

पशु उपचार में कारगर औषधीय पौधे? किन रोगों से मवेशियों को मिल सकता है आराम?

खेती के साथ ही ज़्यादातर किसान पशुपालन भी करते हैं, क्योंकि इससे उन्हें कई फ़ायदे होते हैं। दूध, दही, घी के साथ ही खेती के लिए जैविक खाद मिलती है। लेकिन पशुओं के बीमार होने पर पशुपालकों को दवाओं पर काफ़ी खर्च करना पड़ जाता है, जिससे लाभ कम हो जाता है। ऐसे में औषधीय पौधे बहुत मददगार साबित हो सकते हैं।

कृषि अवशेष 3
टेक्नोलॉजी, जलवायु परिवर्तन, न्यूज़, फसल प्रबंधन, विविध

कृषि अवशेष जलाने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में बढ़ोतरी पर IISER का अनुसंधान

वैज्ञानिकों ने एक क्रांतिकारी उपग्रह-आधारित तकनीक विकसित की है, जो भारत में कृषि अवशेष जलाने से होने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर प्रकाश डालता है।

जल ब्राह्मी (Bramhi Jalneem)
विविध, औषधि, न्यूज़

न्यूट्रास्यूटिकल के रूप में जल ब्राह्मी का इस्तेमाल, किसानों के लिए फ़ायदेमंद हो सकती है इसकी खेती

जल ब्राह्मी औषधीय गुणों वाला पौधा है, जो महत्वपूर्ण हर्बल न्यूट्रास्यूटिकल भी है। ब्राह्मी की फसल रोपाई के 5-6 महीने बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है। एक साल में 2-3 कटाई की जा सकती है। ये एक हर्बल न्यूट्रास्यूटिक है, जो न सिर्फ़ शरीर को पोषण देता है, बल्कि बीमारियों की रोकथाम और मानसिक रोगों के इलाज में भी मददगार है।

ट्री सर्जरी 2
न्यूज़, विविध

ट्री सर्जरी से पेड़ों को मिल रहा जीवनदान, जानिए कैसे की जाती है शल्य चिकित्सा यानि सर्जरी?

सर्जरी के बारे में तो आप सभी ने सुना ही होगा, लेकिन क्या कभी ट्री सर्जरी यानी पेड़ों की सर्जरी के बारे में सुना है? जी हां, इंसानों की तरह ही पेड़ों की भी सर्जरी करके उसे जीवनदान दिया जा सकता है।

कासनी की खेती 3
औषधि, न्यूज़, विविध

कैसे करें औषधीय गुणों से भरपूर कासनी की खेती? क्यों कहा जाता है इसे प्रकृति का वरदान?

हमारे देश में औषधीय गुणों से भरपूर वनस्पतियों की भरमार है, इन्हीं में से एक वनस्पति है कासनी, जो हरे चारे के साथ ही औषधि बनाने में भी इस्तेमाल की जाती है। किसानों के लिए कासनी की खेती फ़ायदेमंद साबित हो सकती है।

मेंथा की खेती peppermint cultivation mentha
औषधि, न्यूज़, विविध

मेंथा की खेती: कौनसी हैं उन्नत किस्में, फसल प्रबंधन से लेकर कीटों से कैसे करें बचाव?

किसान नगदी फसलों को अधिक आमदनी के लिए उगाते हैं। ऐसी ही एक नगदी फसल है मेंथा। मेंथा की खेती किसानों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है। कम समय और लागत में ये अच्छा रिटर्न देती है।

महोगनी की खेती (Mahogany Farming) Mahogany ki kheti kaise karein महोगनी की खेती
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Mahogany Farming: महोगनी की खेती दलहन के किसानों का शानदार ‘कमाऊ पूत’ बन सकता है

अपने अनमोल गुणों की वजह से महोगनी की पत्तियों और बीजों के तेल का इस्तेमाल मच्छर भगाने वाली दवाईयों और कीटनाशकों के अलावा साबुन और पेंट-वार्निस जैसे उत्पादों में भी किया जाता है। ज़ाहिर है, महोगनी की खेती उत्तर भारत के मैदानी इलाके के किसानों के लिए कमाई बढ़ाने का शानदार ज़रिया बन सकते हैं।

दालचीनी
औषधि, मसालों की खेती, लाईफस्टाइल, स्वास्थ्य

हर रोग को दूर करती है दालचीनी, जानिए इसके सभी फ़ायदों के बारे में

अगर कोई आपसे पूछे कि दालचीनी (Cinnamon) क्या है तो आप यही कहेंगे कि एक मसाला है। लेकिन क्या आपको

रोशा घास की खेती
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रोशा घास (Palmarosa farming): बंजर और कम उपयोगी ज़मीन पर रोशा घास की खेती से पाएँ शानदार कमाई

भारत में सुगन्धित तेलों के उत्पादन में रोशा घास तेल का एक महत्वपूर्ण स्थान है। देश में बड़े पैमाने पर इसकी इसकी व्यावसायिक खेती होती है। भारत ही इसका सबसे बड़ा उत्पादक है। इससे प्रथम वर्ष में प्रति हेक्टेयर डेढ़ लाख रुपये से ज़्यादा का शुद्ध लाभ मिल सकता है। इससे आगामी वर्षों में मुनाफ़ा और बढ़ता है। रोशा घास की खेती करने के लिए सीमैप, लखनऊ और इससे जुड़े केन्द्रों की ओर से किसानों की भरपूर मदद की जाती है। उन्हें बीज के अलावा ज़रूरी मार्गदर्शन भी उपलब्ध करवाया जाता है।

अश्वगन्धा की खेती
एग्री बिजनेस, औषधि

Ashwagandha Cultivation: बंजर ज़मीन पर अश्वगन्धा की खेती से बढ़िया कमाई, कमाएँ 6-7 गुना मुनाफ़ा

देश में अश्वगन्धा की खेती करीब 5000 हेक्टेयर में होती है। इसकी सालाना पैदावार करीब 1600 टन है, जबकि माँग 7000 टन है। इसीलिए किसानों को बाज़ार में अश्वगन्धा का बढ़िया दाम पाने में दिक्कत नहीं होती। यह पौधा ठंडे प्रदेशों को छोड़कर अन्य सभी भागों में पाया जाता है। लेकिन पश्चिमी मध्यप्रदेश के मन्दसौर, नीमच, मनासा, जावद, भानपुरा और निकटवर्ती राजस्थान के नागौर ज़िले में इसकी खेती खूब होती है। नागौरी अश्वगन्धा की तो बाज़ार में अलग पहचान भी है।

विश्व पर्यावरण दिवस 2023
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World Environment Day 2023: क्या है विश्व पर्यावरण दिवस 2023 की थीम और कहां बना रिकॉर्ड?

पर्यावरण को सुरक्षा प्रदान करने का संकल्प लेने के उद्देश्य से ही हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। आइए जानते हैं पर्यावरण दिवस मनाने का उद्देश्य, क्या है इतिहास और क्या है इस साल की थीम।

मोटे अनाज की खेती 1 millets farming
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Millets Farming: मोटे अनाज की खेती के ज़रिये करें जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का मुक़ाबला

हरित क्रान्ति के तहत जैसे-जैसे गेहूँ और धान की पैदावार बढ़ी वैसे-वैसे भारतीय थालियों से पौष्टिक मोटे अनाजों से बने व्यंजन और इसकी प्रति व्यक्ति खपत घटती चली गयी। आम तौर पर धान के मुक़ाबले मोटे अनाजों की पैदावार कम है। लेकिन देश के कुछ ज़िलों में वर्षा आधारित मोटे अनाजों की खेती की उपज धान से बेहतर है। इसीलिए जलवायु अनुकूलन और अनाज उत्पादन बढ़ाने के लिए मोटे अनाज की खेती आज के वक़्त की मांग है।

चिकोरी की खेती
औषधि, न्यूज़, हेल्थ फ़ूड

चिकोरी की खेती: पशुओं के साथ ही मानव स्वास्थ्य के लिए भी फ़ायदेमंद, जानिए कैसे करें इसकी खेती

आमतौर पर सड़क किनारे जंगली पौधे के रूप में उगने वाला चिकोरी या कासनी पशुओं के लिए सस्ता और पूरे साल उपलब्ध होने वाला बेहतरीन चारा है। पशुपालन से जुड़े किसानों के लिए इसकी खेती बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है।

मालाबार नीम
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मालाबार नीम की खेती: किसानों को कर सकती है मालामाल

पारंपरिक उपज वाली फसलों के साथ ही किसान आमदनी बढ़ाने के लिए कुछ खास औषधीय गुणों वाले पौधों की भी खेती कर सकते हैं। ऐसा ही एक पौधा है मालाबार नीम जिसे मिलिया दुबिया भी कहा जाता है।

Poplar Tree Farming: पोपलर के पेड़
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Poplar Tree Farming: पोपलर के पेड़ लगाकर पाएँ शानदार और अतिरिक्त आमदनी

पोपलर, सीधा तथा तेज़ी से बढ़ने वाला वृक्ष है। सर्दियों में इसकी पत्तियों के झड़ जाने से रबी की फ़सलों को मिलने वाली धूप की मात्रा में कोई ख़ास कमी नहीं होती। इसी तरह, पोपलर की छाया से ख़रीफ़ फ़सलों को भी कोई ख़ास नुकसान नहीं पहुँचता है।

ओलावृष्टि hailstorm in madhya pradesh
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बेमौसम बारिश और बदलते मौसम से फसलों पर पड़ता असर, ओलावृष्टि से नुकसान पहुंचने की खबरें

मध्य प्रदेश अपने समृद्ध कृषि उद्योग के लिए जाना जाता है। हालांकि, हाल के वर्षों में बार-बार होने वाली ओलावृष्टि से किसानों की फसलों पर असर पड़ा है।

जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन, जैविक खेती, जैविक/प्राकृतिक खेती, टेक्नोलॉजी, फसल प्रबंधन, विविध

Climate change: जलवायु परिवर्तन क्यों है खेती की सबसे विकट समस्या और क्या है इससे उबरने के उपाय?

जलवायु परिवर्तन (Climate change) की वजह से जैविक और अजैविक तत्वों के बीच प्राकृतिक आदान-प्रदान से जुड़ा ‘इकोलॉजिकल सिस्टम’ भी प्रभावित हुआ है। इससे मिट्टी के उपजाऊपन में ख़ासी कमी आयी है। सिंचाई की चुनौतियाँ बढ़ी हैं। इसीलिए किसानों को जल्दी से जल्दी पर्यावरण अनुकूल खेती को अपनाना चाहिए।

कैर की खेती
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कैर की खेती: बंजर भूमि में भी उग जाए, जानिए कैर की खेती के बारे में सब कुछ

राजस्थान के अधिकांश शुष्क इलाके जहां सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है और ज़मीन बंजर है, ऐसी जगहों के लिए कैर की खेती किसी वरदान से कम नहीं है। कैर की सब्ज़ी, अचार बनाने से लेकर औषधी के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।

सहजन
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Drumstick Cultivation: साल में दो बार फल देने वाले सहजन की वैज्ञानिक खेती से होगी अच्छी कमाई

सहजन औषधीय गुणों वाल पौधा है। इसके फल, फूल से लेकर पत्तियों और छाल तक का उपयोग खाने से लेकर दवाई बनाने तक में किया जाता है। पौष्टिक तत्वों से भरपूर सहजन की मांग बाज़ार में बढ़ने लगी है। ऐसे में इसकी वैज्ञानिक खेती करके किसान अच्छी आमदनी पा सकते हैं।

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