पेड़ों को जीवनदाता कहना गलत नहीं होगा, मगर इस जीवनदाता को भी इंसानों की तरह सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है। दीमक तो कभी किसी संक्रमण की वजह से पेड़ों के तने अंदर ही अंदर खोखले हो जाते हैं, जिससे पेड़ कमज़ोर पड़ जाता है। इस समस्या को सर्जरी के ज़रिए ठीक किया जा सकता है और कई शहरों में ट्री एंबुलेंस की मदद से ये काम चल भी रहा है। आज के दौर में जहां ग्लोबल वार्मिंग का असर धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है, पेड़ों को बचाना बहुत ज़रूरी है।
क्यों खोखले हो जाते हैं पेड़?
कीट, रोग, दीमक या पोषक तत्वों की कमी की वजह से विशालकाय पेड़ों की शाखाएं भी खोखली हो जाती हैं। इस वजह से पानी और पोषक तत्व जड़ से ऊपर तक नहीं पहुंच पाते, नतीजतन पेड़ उम्र से पहले ही सूखने लगते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए ही पेड़ों की सर्जरी की जा रही है ताकि वो जीवित रह सकें।
कैसे की जाती है पेड़ों की सर्जरी?
जिस तरह बीमार लोगों के लिए एंबुलेंस सेवा होती है वैसे ही बीमार पेड़ो के लिए ट्री एंबुलेंस होता है, जो पेड़ों में ज़रूरी कटाई-छंटाई करने के साथ ही उसकी सर्जरी भी करता है। दिल्ली, जयपुर, चेन्नई, इंदौर समेत कई शहरों में ऐसी ट्री एम्बुलेंस हैं, जो संक्रमित पेड़ों के पास जाकर ऑन-द-स्पॉट उसकी सर्जरी का काम करते हैं। दीमक, कीड़े या किसी इंफेक्शन की वजह से जिन पेड़ों की छाल अंदर से खोखली हो जाती है, उन्हें सर्जरी की मदद से ठीक किया जाता है।
इसके लिए सबसे पहले पेड़ पर अतिरिक्त भार डालने वाली शाखाओं को काटा जाता है। उसके बाद कीड़े लगी शाखा/तना को ब्रश से साफ किया जाता है। फिर पेड़ के आसपास जमा कचरे को भी हटाया जाता है, क्योंकि यहां की़ड़े पनपते हैं। फिर पेड़ों को धोकर प्रभावित जगह पर कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है। इसके अलावा, कीटों को हटाने के लिए आग का भी प्रयोग किया जाता है। एक लोहे के सरिया पर कपड़ा लपेटकर उसमें आग लगाकर पेड़ों के कीड़े या दीमक लगे हिस्से को जलाया जाता है ताकि वहां मौजूद सारे फंगस और कीड़ों के अंडे खत्म हो जाएं।
पेड़ों की सफाई के बाद खोखली शाखाओं में थर्माकोल और मुर्गा जाली भरकर उसे कील से सुरक्षित किया जाता है। फिर उसमें प्लास्टर ऑफ पेरिस की एक परत लगाकर ऊपर से व्हाइट सीमेंट से ढंक दिया जाता है ताकि प्लास्टर ऑफ पेरिस बारिश में बहे न।
ट्री-एंबुलेंस की शुरुआत किसने की?
भारत के ‘ग्रीन मैन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से मशहूर डॉक्टर अब्दुल गनी ने पर्यावरण को बचाने की अनोखी पहल के तहत पेड़ों के लिए खास ग्रीन एंबुलेंस की शुरुआत की। डॉ अब्दुल चेन्नई के लोकप्रिय पर्यारणविद् हैं। एंबुलेंस लॉन्च करने के पीछे मकसद पेड़ों की देखभाल करना है।
दरअसल, पर्यावरण बचाने के लिए नए पेड़ लगाने के साथ ही मौजूदा पेड़ों का सरंक्षण बेहद ज़रूरी है और ट्री एंबुलेंस पेड़ों के सरंक्षक के रूप में काम कर रही हैं। आज भारत के कई शहरों में ट्री एंबुलेंस पेड़ों की सर्जरी से लेकर, दूसरे उपचार, पानी आदि उपलब्ध कराकर उन्हें जीवनदान दे रही है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- पहाड़ी इलाके में मछलीपालन कर रही हैं हेमा डंगवाल: जानें उनकी सफलता की कहानीउत्तराखंड की हेमा डंगवाल ने पहाड़ी इलाकों में मछलीपालन को एक सफल व्यवसाय में बदला, इस क्षेत्र में सफलता हासिल की और अन्य महिलाओं को भी जागरूक किया।
- किसान दीपक मौर्या ने जैविक खेती में फसल चक्र अपनाया, चुनौतियों का सामना और समाधानदीपक मौर्या जैविक खेती में फसल चक्र के आधार पर सीजनल फसलें जैसे धनिया, मेथी और विभिन्न फूलों की खेती करते हैं, ताकि वो अधिकतम उत्पादकता प्राप्त कर सकें।
- पुलिस की नौकरी छोड़ शुरू किया डेयरी फ़ार्मिंग का सफल बिज़नेस, पढ़ें जगदीप सिंह की कहानीपंजाब के फ़िरोज़पुर जिले के छोटे से गांव में रहने वाले जगदीप सिंह ने पुलिस नौकरी छोड़कर डेयरी फ़ार्मिंग में सफलता हासिल कर एक नई पहचान बनाई है।
- जानिए कैसे इंद्रसेन सिंह ने आधुनिक कृषि तकनीकों से खेती को नई दिशा दीइंद्रसेन सिंह ने आधुनिक कृषि में सुपर सीडर, ड्रोन सीडर और रोटावेटर का उपयोग करके मक्का, गन्ना, और धान की फसलें उगाई हैं।
- Food Processing से वंदना ने बनाया सफल बिज़नेस: दिल्ली की प्रेरणादायक कहानीदिल्ली की वंदना जी ने खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) से पारंपरिक भारतीय स्वादों को नया रूप दिया और महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएं।
- देवाराम के पास 525+ बकरियां, बकरी पालन में आधुनिक तकनीक अपनाईदेवाराम ने डेयरी फार्मिंग की शुरुआत एक छोटे स्तर से की थी, लेकिन वैज्ञानिक और आधुनिक तरीकों को अपनाने के बाद उनकी डेयरी यूनिट का विस्तार हुआ।
- मीना कुशवाहा ने ऑयस्टर मशरूम की खेती से बनाई अपनी पहचान: मशरूम मैडम की सफलता की कहानीबिहार की मीना कुशवाहा ने ऑयस्टर मशरूम की खेती से बनाई एक नई पहचान। उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भरता का मार्ग दिखाया, पढ़ें उनकी प्रेरणादायक कहानी।
- वैदिक खेती के तरीके: इस किसान ने कैसे बढ़ाई फसल और मिट्टी की सेहत?सांबमूर्ति, वैदिक खेती के तरीके अपनाते हुए लगभग 15,000 किसानों को प्रशिक्षित कर चुके हैं। इसमें बीज संरक्षण और मृदा स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया गया।
- जैविक कृषि उत्पाद: शकरकंद की उन्नत क़िस्म के जनक रावलचंद हैं किसानों के लिए मिसालअपने खेत पर जैविक कृषि उत्पाद का उत्पादन करने से लेकर शकरकंद की नई किस्म विकसित करने तक, रावलचंद खेती के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं।
- गाजर की खेती कर रहे, सफल किसान मोहनदीप सिंह की प्रेरणादायक कहानी पढ़ें मोहनदीप सिंह, जिन्होंने इंजीनियरिंग छोड़कर गाजर की खेती में नई पहचान बनाई। उनकी कहानी मेहनत और जुनून की मिसाल है, जो सपनों को सच करने की प्रेरणा देती है।
- प्राकृतिक खेती कर रहे योगेश कुमार ने गन्ने की प्रोसेसिंग से खड़ा किया एग्री-बिज़नेसयोगेश कुमार मुख्य रूप से गन्ने की खेती करते हैं। गन्ने की प्रोसेसिंग कर वो गुड़, खांड, सिरका, कुल्फी, कोल्ड कॉफी जैसे कई उत्पाद तैयार करते हैं।
- प्राकृतिक खेती के लाभ और नवाचार: जल संरक्षण से सोलर ऊर्जा तक की कहानीयोगेश जैन का फार्म प्राकृतिक खेती का एक सफल मॉडल है। उन्होंने रसायन मुक्त खेती को अपनाया है, जिससे प्राकृतिक खेती के लाभ के रूप में फसलों की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
- विदेश की नौकरी छोड़ अपनाई आधुनिक खेती: पढ़ें नवीन मोहन राजवंशी की सफलता की कहानीनवीन मोहन राजवंशी की प्रेरक कहानी बताती है कि कैसे उन्होंने आधुनिक खेती अपनाकर उत्तर प्रदेश के गांव में बदलाव लाया है। उनका अनुभव किसानों के लिए प्रेरणा है।
- अभिलाष पांडे ने मछली पालन में नए तरीके और केले का इस्तेमाल कर किया कमालप्रस्तावना गांव से आने वाले युवा किसानों का अब खेती-बाड़ी की पारंपरिक विधियों से आगे बढ़कर नवाचारों की ओर रुख करना न केवल उनकी आय को बढ़ा रहा है, बल्कि देश के कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति का संचार भी कर रहा है। ऐसी ही प्रेरक कहानी है अभिलाष पांडे की, जो मछली पालन… Read more: अभिलाष पांडे ने मछली पालन में नए तरीके और केले का इस्तेमाल कर किया कमाल
- पॉलीहाउस की खेती में जयपुर के मांगीलाल ने अपनाई खेती की उन्नत तकनीकेंजयपुर के गोविन्दपुर में मांगीलाल ने जोखिमों को पार कर पॉलीहाउस की खेती से नई राह बनाई, जहां परंपरागत किसानों से अलग जाकर उन्होंने सफलता का नया आयाम छू लिया।
- सम्मान 2024 : जैविक खेती के लाभ: मनोज कुमार सिंह की सफल जैविक खेती का अनुभवउत्तर प्रदेश के बाराबंकी ज़िले के हैदरगढ़ गांव के किसान मनोज कुमार सिंह ने जैविक खेती के लाभों को देखते हुए 2019 में जैविक खेती की शुरुआत की।
- सम्मान 2024 : आशीष कुमार राय के जैविक दृष्टिकोण से रासायनिक खेती के जाल से मिली मुक्ति, खेतों में आई हरियालीआशीष कुमार राय धान, गेहूं, चना, मटर, अरहर, तिल, और अलसी जैसी विविध फसलें उगाते हैं। वो अपनी फसलों के पोषण के लिए वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की खाद और धैचा (हरी खाद) का उपयोग करते हैं।
- बरेली के युवा किसान आयुष गंगवार बने जैविक खेती में नई सोच: सफ़लता की कहानी और जानकारीबरेली के आयुष गंगवार ने अपनी पारंपरिक खेती छोड़कर जैविक खेती की शुरुआत की। उन्होंने सरकारी योजनाओं और स्थानीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों का लाभ उठाया।
- Carrot Seeds: गाजर के साथ ही गाजर के बीज उत्पादन से होगा किसानों को डबल फ़ायदा?जसपाल हर साल गाजर की खेती करते हैं और आखिर में गाजर के बीज का उत्पादन भी कर लेते हैं जिससे लगभग 100 किलोग्राम बीज तैयार होता है।
- अक्टूबर माह में कब और कहां हो रहा है Kisan Mela और कहां मिलेगा रबी फसलों के उन्नत किस्मों का बीजदेश के अलग-अलग कृषि संस्थाओं ने अपने आस पास के कृषि मौसम के मिज़ाज को देखते हुए किसान मेले (Kisan Mela) की डेट जारी कर दी हैं। संचार के अलग अलग माध्यमों से किसानों तक किसान मेले का निमंत्रण पहुंचा रहा है, ये इसलिए भी किया जा रहा है ताकी ज्यादा से ज्यादा किसान अपने… Read more: अक्टूबर माह में कब और कहां हो रहा है Kisan Mela और कहां मिलेगा रबी फसलों के उन्नत किस्मों का बीज