किसानों के ‘मामा शिवराज सिंह चौहान’ से सीधी बातचीत: जानिए विकसित कृषि संकल्प अभियान की पूरी कहानी
शिवराज सिंह चौहान ने किसान ऑफ़ इंडिया पॉडकास्ट में विकसित कृषि संकल्प अभियान की रणनीति और किसानों के लिए सरकार की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की।
खेती किसानी की बारीकियों को एक किसान से बेहतर कोई नहीं समझ सकता। इसलिए किसान ऑफ इंडिया के माध्यम से आप एक एक्सपर्ट किसान बन कर अपने सफल प्रयोग, नई तकनीक एवं अन्य उपयोगी जानकारियाँ दूसरे किसानों तक पहुंचा सकते हैं।
शिवराज सिंह चौहान ने किसान ऑफ़ इंडिया पॉडकास्ट में विकसित कृषि संकल्प अभियान की रणनीति और किसानों के लिए सरकार की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की।
20 मई, विश्व मधुमक्खी दिवस (World Bee Day 2025) पर जानिए कैसे ये छोटी-सी मेहनती जीव हमारी कृषि और अर्थव्यवस्था की ‘अनसुनी हीरो’ बनी हुई है। मधुमक्खियां न सिर्फ शहद बनाती हैं, बल्कि 80 फीसदी फसलों की उपज बढ़ाने में मदद करती हैं।
अनिल थडानी नई और उन्नत तकनीक विकसित करने में यकीन रखते हैं और इसलिए वो हमेशा नए-नए पौधों प्लांट नर्सरी (Plant Nursery Business) शुरू करना चाहते हैं, तो आपके बहुत काम आएंगे अनिल थडानी के बताए टिप्स को लेकर भी एक्सपेरिमेंट करते रहते हैं। उनकी नर्सरी में बहुत से ऐसे पौधें हैं जिन्हें उन्होंने बेचने के लिए नहीं, बल्कि एक्सपेरिमेंट के लिए रखा है। वो बताते हैं कि उनके पास पौधों की कई वैरायटी है जिन्हें सेल नहीं करना है, बल्कि एक्सपेरिमेंट के लिए रखा है जैसे ड्रैगन फ्रूट, यूफोरबिया, एग्ज़ोरा, एग्ज़ोरा की कटिंग करके उन्होंने पहले बाहर लगाई थी और फिर उसे इनडोर जगह में डेवलप कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा शुरू की गई ‘नमो ड्रोन दीदी योजना’ का मुख्य उद्देश्य देश की महिलाओं को ड्रोन टेक्नोलॉजी (Drone Technology) के जरिए सशक्त बनाना है। इस योजना के तहत स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाओं को ड्रोन संचालन की ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे वे किसानों के लिए फसलों पर नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और कीटनाशकों का छिड़काव कर सकें। इससे किसानों का श्रम कम हो जाता है और वे कम लागत में अधिक उत्पादन कर सकते हैं।
रुकबो पाम ऑयल (Oil Palm) का बिज़नेस पतंजलि कंपनी (Patanjali company) के साथ करते हैं जो इनको वक्त पर पेमेंट मुहैया कर देती है। पॉम ऑयल (Oil Palm) की खेती के साथ ही रुकबो इंटीग्रेटेड फॉर्मिंग (Integrated Forming) भी करते हैं। जिसमें वो मछली पालन के साथ ही बकरी पालन, सूअर पालन करते हैं। इन्होंने अपने खेत में गाय भी पाल रखी हैं। जिसके गोबर से इनको जैविक खाद भी मिलती है।
साल 2004 में, दिलीप कुमार सिंह कृषि विज्ञान केंद्र, रोहतास, बिक्रमगंज के संपर्क में आए। यहां के कृषि वैज्ञानिकों ने उन्हें कई सब्जि़यों जैसे टमाटर, भिंडी, फूलगोभी, बैगन, आलू, प्याज, मिर्च, लौकी, करेला और शिमला मिर्च के वैज्ञानिक उत्पादन की तकनीकें सिखाईं। इससे उनके उत्पादन और आमदनी में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई।
डॉ. आर.एस. परोदा हाइब्रिड तकनीक से जुड़े मिथक और उसकी ज़रूरत के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. परोदा एक कृषि वैज्ञानिक होने के साथ ही Taas के संस्थापक अध्यक्ष हैं। वो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के डायरेक्टर भी रह चुके हैं।
किसान ऑफ इंडिया (Kisan Of India) से बातचीत में उन्होंने हाइब्रिड तकनीक (Hybrid Technology) के बारे में विस्तार से जानकारी दी। साथ ही BT cotton, GM सरसों जैसे मुद्दों पर भी जानकारी दी।
रानी दुर्गावती FPO अब एक सशक्त मिशन में बदल चुका है, जो गांवों को बदलाव ला रहा है किसानों को आत्मनिर्भर बना रही है। सरकार उनको पूरा समर्थन दे रही है। इसकी मदद से छोटे पैमाने के उद्योगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है साथ ही आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर प्रदान करता है।
राजस्थान के झालावाड़ ज़िले (Jhalawar district) के पुरादेवडुंगरी, धतूरिया कलानी गांव के रहने वाले किसान देवी लाल गुर्जर उन किसानों में से एक हैं जो नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) को बढ़ावा दे रहे हैं। वह खुद 2013 से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। उन्होंने प्राकृतिक खेती की सभी तकनीकों को पूरी तरह से अपनाया और इससे उन्हें अच्छी फसल प्राप्त होने के साथ ही मुनाफा भी अधिक हुआ। वह अपने इलाके के किसानों को भी प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं, इसलिए उन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है।
आदिवासी समुदायों (Tribal communities) के लिए खेती मुख्य आजीविका का स्रोत है, लेकिन पारंपरिक कृषि से होने वाली कम आय के कारण वे आर्थिक रूप से कमजोर बने रहते हैं। संकर टमाटर की खेती (Cultivation Of Hybrid Tomatoes) ने आदिवासी किसानों के लिए नए अवसर प्रदान किए हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। इस पहल के अंतर्गत 40 आदिवासी किसानों को संकर टमाटर की खेती (Cultivation of hybrid tomatoes) से जोड़ा गया और उन्हें उन्नत कृषि तकनीकों (advanced agricultural techniques) का प्रशिक्षण दिया गया।
खेती में सफलता पाने के लिए डिग्री की नहीं सही जानकारी की ज़रूरत होती है। इसकी बेहतरीन मिसाल हैं बिहार के अररिया जिले के रहने वाले किसान मोहम्मद हलालुद्दीन, जो सिर्फ नौंवी पास हैं, लेकिन आज लाखों की कमाई कर रहे हैं। मोहम्मद हलालुद्दीन कभी ट्रक ड्राइवर की नौकरी किया करते थें। उससे परिवार का गुज़ारा मुश्किल से होता था। फिर उन्होंने खेती और उससे जुड़ी गतिविधियों (Scientific Technique In Farming) को अपनाया और अब वो एक प्रगतिशील किसान बनकर दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं।
पंकज महाराष्ट्र में बतौर इंजीनियर नौकरी करते थे, मगर कोविड में नौकरी छोड़ वो गांव आ गए। वो बताते हैं कि उनके पिता जी मछली पालन का काम करते थे, इसलिए उन्हें ये बात पता थी कि इंडिया में फूड का बिज़नेस बहुत अच्छा विकल्प है, जो कभी बंद नहीं होगा। उन्होंने बिज़नेस के प्रॉफिट मार्जिन, कितने लोगों को रोज़गार दे सकते हैं, इन सभी बातों पर विचार करने के बाद इस व्यवसाय को शुरू किया।
ज़ीरो टिलेज फ़ार्मिंग, जिसे नो-टिल खेती भी कहा जाता है, एक आधुनिक कृषि तकनीक है जिसमें मिट्टी की जुताई किए बिना सीधे बीज बोए जाते हैं। पारंपरिक खेती में खेत की कई बार जुताई करनी पड़ती है, लेकिन ज़ीरो टिलेज में ये प्रक्रिया पूरी तरह से बदल जाती है। इस तकनीक में एक ख़ास मशीन “नो-टिल ड्रिल” का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे बीज को सीधे मिट्टी में डालकर ढक दिया जाता है।
नैनीताल के ललितपुर जिले के किसान खेम सिंह ने नए उद्यम के रूप में मशरूम उत्पादन (Mushroom Production) शुरू किया और अब वह एक सफल मशरूम उत्पादक बन गए हैं। मशरूम उत्पादन से न सिर्फ उनकी आमदनी में इज़ाफा हुआ, बल्कि परिवार की पोषण संबंधी ज़रूरत भी पूरी हुई।
ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Cultivation) एक ऐसा कदम है, जो किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ा सकती है। सबसे खास बात ये है कि इसमें लागत केवल एक बार लगती है और मुनाफा सालों-साल मिलता है।
प्लांट टिशू कल्चर एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें पौधों की कोशिकाओं, ऊतकों, या अंगों को एक नियंत्रित वातावरण में बढ़ाया जाता है। ये वातावरण एक विशेष पौष्टिक माध्यम और साफ-सुथरी जगह होती है, जहां रोगाणुओं का कोई असर नहीं होता। इस विधि के जरिए हम पौधों की संख्या तेजी से बढ़ा सकते हैं और उनकी गुणवत्ता भी सुनिश्चित कर सकते हैं।
प्रदीप कुमार, जो 1-5 एकड़ की जमीन पर खेती करते हैं, जैविक धान और आम की खेती में न सिर्फ़ नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं, बल्कि समाज के लिए एक मिसाल भी पेश कर रहे हैं। उनकी खेती की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि ये पूरी तरह ऑर्गेनिक है। इसका मतलब है, बिना किसी केमिकल खाद या कीटनाशक के उपयोग के, सिर्फ़ प्राकृतिक तरीकों से फसल उगाना।
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के छोटे से गांव नारी में एक प्रेरणादायक कहानी हम तक पहुंची है। ये कहानी है
हिमालय की तलहटी में बसा है कलसी ब्लॉक जो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मौजूद है। ये पूरा इलाका लगभग
विजेंद्र सिंह का एक मामूली किसान से लेकर ज़िले में फेमस कृषि (Success Story of CFLD on Oilseed) में नयापन