किसानों के ‘मामा शिवराज सिंह चौहान’ से सीधी बातचीत: जानिए विकसित कृषि संकल्प अभियान की पूरी कहानी

शिवराज सिंह चौहान ने किसान ऑफ़ इंडिया पॉडकास्ट में विकसित कृषि संकल्प अभियान की रणनीति और किसानों के लिए सरकार की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की।

किसानों के ‘मामा शिवराज सिंह चौहान’ से सीधी बातचीत: जानिए विकसित कृषि संकल्प अभियान की पूरी कहानी

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भारत जैसे कृषि प्रधान देश में जब खेती के मुद्दों पर कोई गंभीरता से बात करता है और वह भी कोई ऐसा चेहरा, जिसे किसान अपना समझते हैं, तो उसका असर बहुत व्यापक होता है। शिवराज सिंह चौहान, देश के केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, ऐसे ही नेता हैं। वे सिर्फ़ नीतियां नहीं बनाते, बल्कि सीधे किसानों के खेत में पहुंचकर उनकी बात सुनते हैं।

हाल ही में, किसान ऑफ इंडिया के ख़ास पॉडकास्ट में उन्होंने खुलकर बातचीत की। चर्चा का विषय था – विकसित कृषि संकल्प अभियान। इस अभियान के ज़रिए वैज्ञानिक, नीति निर्माता और किसान एक ही मंच पर आकर खेती को भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं। आइए जानते हैं इस अभियान की बारीकियां और शिवराज सिंह चौहान के विचार, उनके ही शब्दों में।

क्यों ज़रूरी है विकसित कृषि संकल्प अभियान? (Why is the developed agricultural resolution campaign important?)

शिवराज सिंह चौहान का स्पष्ट मानना है कि जब तक किसान और वैज्ञानिकों के बीच संवाद नहीं होगा, तब तक खेती में तकनीकी प्रगति संभव नहीं। देश में आज भी करोड़ों किसान ऐसे हैं, जो आधुनिक कृषि तकनीकों, नई किस्मों या सरकारी योजनाओं की पूरी जानकारी से वंचित हैं।

इसी अंतर को खत्म करने के लिए विकसित कृषि संकल्प अभियान की शुरुआत की गई है। 29 मई से 12 जून 2025 तक चलने वाला यह अभियान देश के हर हिस्से में किसानों से सीधा संपर्क स्थापित कर रहा है। इसके माध्यम से वैज्ञानिक किसानों के खेतों में जाकर रिसर्च आधारित सलाह दे रहे हैं।

विज्ञान से खेतों तक – प्रयोगशालाओं से किसानों के खेतों की दूरी हो रही कम (From science to fields – the distance from laboratories to farmers’ fields is less)

यह अभियान सिर्फ़ योजनाओं को समझाने भर के लिए नहीं है, बल्कि यह एक सकारात्मक क्रांति है, जहां खेत को प्रयोगशाला बनाया जा रहा है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा:

“हमने वैज्ञानिकों को किसानों के खेत में भेजा है ताकि वे उनकी मिट्टी, जलवायु, फ़सल, समस्याएं, सब कुछ देखकर ज़मीन से जुड़ी रणनीति बना सकें।”

इसका फ़ायदा यह है कि किसान अब वही तकनीक और जानकारी अपना रहे हैं, जो उनके खेत और क्षेत्र की ज़रूरत के अनुसार हो।

खेती में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम (Big step towards self -sufficiency in farming)

आज भारत गेहूं, चावल, मक्का, तिलहन, दालें जैसी कई फ़सलों में आत्मनिर्भर हो चुका है। लेकिन इसके बावजूद कुछ फ़सलों में उत्पादन क्षमता अभी भी सीमित है।
शिवराज सिंह चौहान कहते हैं,

“हम हर क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाना चाहते हैं लेकिन यह तभी संभव है जब किसान को सही बीज, सही खाद, सही सलाह और सही बाज़ार मिले।”

विकसित कृषि संकल्प अभियान इसी सोच पर आधारित है – कि कृषि को स्थानीय समाधान, वैज्ञानिक शोध और किसान की सक्रिय भागीदारी से जोड़ा जाए।

छोटे और सीमांत किसानों को प्राथमिकता (Priority to small and marginal farmers)

भारत के अधिकांश किसान 1 से 2 एकड़ भूमि पर खेती करते हैं। उनके लिए हर छोटा संसाधन कीमती होता है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ऐसे किसानों की आमदनी को दोगुना करना तभी संभव है जब उन्हें:

  • फ़सल चयन में सलाह मिले,
  • बाज़ार से जोड़ने वाले एफपीओ मिलें,
  • कम लागत वाले उपकरण उपलब्ध हों,
  • प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग सिखाया जाए।

उन्होंने यह भी बताया कि कई राज्यों में महिला किसानों को ड्रोन तकनीक, प्रसंस्करण इकाइयों, और बैंकिंग सेवाओं से जोड़ने के लिए विशेष अभियान चल रहे हैं।

क्लीन प्लांट प्रोग्राम: फलदार पौधों के लिए भरोसेमंद पहल (Clean Plant Program: reliable initiative for fruitful plants)

अक्सर किसान  ख़राब किस्म या संक्रमित पौधे लेकर पूरी बागवानी की योजना बना लेते हैं और बाद में उन्हें भारी नुकसान होता है। इसी समस्या के समाधान के लिए क्लीन प्लांट प्रोग्राम लाया गया है। इसके तहत वैज्ञानिकों द्वारा स्वच्छ, रोग-मुक्त पौध तैयार किए जा रहे हैं जिन्हें किसान तक पहुँचाया जाएगा।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा:

“अब बागवानी किसान निश्चिंत होकर कर सकते हैं। उन्हें अब बाज़ार से जो मिले वही लगाना नहीं है, बल्कि प्रमाणित, क्लीन और उच्च उपज देने वाले पौधे मिलेंगे।”

महिलाएं बन रही हैं कृषि बदलाव का प्रतीक (Women are becoming a symbol of agricultural change)

खेती में महिलाओं की भूमिका को नज़रअंदाज़ करना अब संभव नहीं। वे न केवल खेत में काम करती हैं बल्कि पशुपालन, बागवानी और छोटे उद्यमों में भी बढ़-चढ़कर भाग ले रही हैं।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा:

“ड्रोन उड़ाना हो, डेटा संभालना हो या खेत प्रबंधन – हमारी बेटियां अब हर क्षेत्र में सक्षम हैं। उन्हें सिर्फ़ अवसर चाहिए।”

विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत महिलाओं को एफपीओ, महिला मंडल और सहकारी समितियों से जोड़ा जा रहा है।

प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन से मिलेगा टमाटर जैसी फ़सलों को लाभ (Crops like tomato will benefit from processing and value enhancement)

अक्सर देखा जाता है कि टमाटर, आलू, प्याज जैसी फ़सलों की कीमतें अचानक गिर जाती हैं और किसान को लागत भी नहीं निकल पाती। शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि सरकार फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा दे रही है ताकि किसान अपनी फ़सल को सिर्फ़ बेचने के लिए न उगाए, बल्कि मूल्य जोड़ सके – जैसे कि:

  • टमाटर से सॉस, केचप, प्यूरी
  • आलू से चिप्स, स्टार्च
  • फलों से जैम, जूस

इससे फ़सल की बर्बादी रुकेगी और आमदनी बढ़ेगी।

नकली दवाओं से बचाव – वैज्ञानिकों की सीधी भूमिका (Prevention of fake drugs – Direct role of scientists)

खेती में एक बड़ी चुनौती है – नकली या घटिया कीटनाशक। इसके प्रयोग से न केवल फ़सल  ख़राब होती है, बल्कि मिट्टी भी प्रदूषित होती है। शिवराज सिंह चौहान का मानना है कि इस पर सख्त कानून की ज़रूरत है। उन्होंने वैज्ञानिकों को किसानों से यह स्पष्ट रूप से कहने को कहा है कि बिना सलाह के कोई रसायन न डालें।

इसके लिए:

  • फ़सल आधारित सलाह शिविर लगाए जा रहे हैं,
  • हेल्पलाइन और मोबाइल ऐप से सुझाव दिए जा रहे हैं,
  • ग्राम स्तर पर नमूना जांच अभियान शुरू हुआ है।

जलवायु अनुकूल खेती – अब ज़रूरत नहीं मज़बूरी (Climate favorable farming – no longer required compulsion)

बदलते मौसम, सूखा, असमय वर्षा और बाढ़ जैसी स्थितियों ने खेती की चुनौती को कई गुना बढ़ा दिया है।
शिवराज सिंह चौहान कहते हैं,

“अब हमें ऐसी किस्में चाहिए जो सूखा सहन कर सकें, ज्यादा उपज दें और कम कीटनाशकों में काम चल जाए।”

इसके लिए:

  • जलवायु अनुकूल बीजों का विकास
  • सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई
  • सस्टेनेबल खेती के मॉडल, जैसे – ज़ीरो बजट नैचुरल फार्मिंग, को बढ़ावा दिया जा रहा है।

किसान से नीतिकार तक – सीधा संवाद (Farmer to policymaker – direct dialogue)

अभियान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें नीति बनाने वाले खुद किसानों के खेतों तक आ रहे हैं।  शिवराज सिंह चौहान खुद कई राज्यों में दौरा कर चुके हैं – पंजाब, हरियाणा, बिहार, महाराष्ट्र, और मध्यप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में जाकर उन्होंने किसानों से सीधा संवाद किया।

“हमने किसानों को सुना, वैज्ञानिकों से उनका मेल करवाया और हर क्षेत्र के लिए स्थानीय रणनीति बनाई।”

किसानों के लिए प्रेरक संदेश (Motivational message for farmers)

शिवराज सिंह चौहान का किसानों से अंतिम संदेश था:

“यह धरती हमारी नहीं, हमारी अगली पीढ़ियों की भी है। हमें इसे बचाकर रखना है। कम रसायन का प्रयोग करें, जैविक खेती को अपनाएं और तकनीक से जुड़ें।”

निष्कर्ष (Conclusion)

विकसित कृषि संकल्प अभियान कोई सामान्य सरकारी योजना नहीं है, यह एक मूल्य आधारित जनआंदोलन है। इसमें सरकार, वैज्ञानिक, और किसान साथ आकर खेती के भविष्य को सुरक्षित कर रहे हैं।

शिवराज सिंह चौहान की पहल से यह स्पष्ट हो गया है कि आज का भारत कृषि को केवल जीविका का साधन नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की नींव मान रहा है।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएंगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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