How To Identify Fake Seeds: नकली बीजों की पहचान कैसे करें? किसानों के लिए ज़रूरी गाइड
आजकल बाजार में नकली बीजों (How To Identify Fake Seeds) की बाढ़ आ गई है। जो देखने में असली लगते हैं, लेकिन बोने के बाद पछतावा छोड़ जाते हैं।
आजकल बाजार में नकली बीजों (How To Identify Fake Seeds) की बाढ़ आ गई है। जो देखने में असली लगते हैं, लेकिन बोने के बाद पछतावा छोड़ जाते हैं।
जलवायु-अनुकूल बीज (Climate-friendly seeds) किसानों को मौसम की मार से बचाते हैं और फ़सल उत्पादन को बढ़ाते हैं, जानें पूरी जानकारी।
डीएनए फिंगरप्रिंटिंग (DNA Fingerprinting) तकनीक भारतीय किसानों की पारंपरिक फ़सल क़िस्मों को चोरी और पेटेंट से बचाने में अहम भूमिका निभा रही है।
बीज किसी भी फसल का मूल आधार होता है। उच्च गुणवत्ता वाले बीजों (advanced seed production techniques) का उपयोग फसल की पैदावार, रोग प्रतिरोधक क्षमता और गुणवत्ता में सुधार करता है। उन्नत बीज न केवल अधिक उत्पादन सुनिश्चित करते हैं, बल्कि पर्यावरणीय तनावों, जैसे सूखा या अधिक वर्षा, के प्रति भी अधिक सहनशील होते हैं। इससे किसानों को निरंतर और स्थिर आय प्राप्त होती है।
सामुदायिक बीज बैंक (Community Seed Banks) पारंपरिक बीजों को बचाकर खेती को जलवायु-लचीला बनाने में मदद कर रहे हैं, जो कृषि इतिहास और विविधता को संजोने का महत्वपूर्ण प्रयास है।
बीज खेती का आधार है, तभी तो कहते हैं कि हर बीज एक अनाज है, लेकिन हर अनाज एक बीज नहीं हो सकता क्योंकि सभी अनाज में एक समान अंकुरण क्षमता नहीं होती। बीज उत्पादन के लिए किसानों को बीज के प्रकार और उत्पादन का सही तरीका पता होना चाहिए।
आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी ‘जैसा बोओगे, वैसा ही काटोगे।’ खेती के संदर्भ में ये बाद बिल्कुल सटीक बैठती है। क्योंकि आप जैसा बीज बोएंगे वैसी ही फसल प्राप्त होगी, इसलिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीज का होना बहुत ज़रूरी है। बीज उत्पादन बेहतर होगा तो फसल अच्छी होगी।
बीज अच्छा होगा तो फसल भी अच्छी होगी। कई बार किसानों को समय पर उन्नत बीज न मिलने की वजह से नुकसान झेलना पड़ता है। बीजों की उपलब्धता बनी रहे इसके लिए हिरेहल्ली के कृषि विज्ञान केन्द्र ने सहभागी बीज उत्पादन (Participatory Seed Production) के ज़रिए इस समस्या का हल निकाला।
बिहार के अनिल कुमार सिंह ने फसलों की खेती के बजाय बीज उत्पादन का काम शुरू किया और इसमें सफल भी रहें। क्यों चुना उन्होंने बीज उत्पादन? कैसे पाई सफलता? जानिए इस लेख में।
मोनिका पांडुरंग ने कृषि विज्ञान केंद्र, जालना से बीज उत्पादन, होली के प्राकृतिक रंग तैयार करने, दालों की प्रोसेसिंग, फलों और सब्जियों के मूल्यवर्धन पर ट्रेनिंग ली। वह हर साल 100 क्विंटल से भी ज़्यादा प्रमाणित और आधार बीज का उत्पादन कर रही हैं।
खरपतवार नियंत्रण किसानों की एक बड़ी समस्या है। ज़्यादातर किसान इसके लिए मल्चिंग तकनीक का सहारा लेते हैं जिसे पलवार कहते हैं, मगर प्लास्टिक शीट से मल्चिंग करना मिट्टी और फसल की सेहत के लिए ठीक नहीं होता, ऐसे में जैविक पलवार, प्लास्टिक मल्चिंग का बेहतरीन विकल्प है।
मूंग को अनाज के रूप में बेचने से अधिक फ़ायदा इसे बीज के रूप में बेचने पर होता है, क्योंकि देश में गुणवत्तापूर्ण दलहनी फसलों के बीज की बहुत मांग है। इसे ध्यान में रखते हुए ही कृषि विज्ञान केन्द्र व्यारा ने बीज उत्पादन कार्यक्रम के ज़रिए किसानों को बीज उत्पादन के लिए प्रेरित किया।
उन्नत खेती से जुड़े प्रगतिशील किसानों से ये अपेक्षा होती है कि वो ख़ुद को बीज-फ़सल की खेती से अवश्य जोड़ें, क्योंकि ऐसा करके वो ना सिर्फ़ अपने लिए उत्तम किस्म के बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकते हैं, बल्कि अपने आसपास के किसानों और प्रमाणिक बीज उत्पादक संस्थाओं को बीज-फ़सल की उपज बेचकर बढ़िया कमाई कर सकते हैं।
हरजीत सिंह ग्रेवाल ने किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन करने के लिए बढ़ावा दिया। कॉन्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग के ज़रिए बीज उत्पादन कार्य से 100 से ऊपर किसानों को जोड़ा हुआ है।
अच्छे बीज खेती का आधार है। जब बीज अच्छे होंगे तभी फसल अच्छी होगी और किसानों को मुनाफा होगा। लेकिन खेती की बदलती तकनीकों के कारण किसान बीजों को सुरक्षित रखने की पुरानी पंरपरा को भूलकर विदेशी बीजों पर आश्रित होते जा रहे हैं।
प्रमाणिक बीज उत्पादक बनने के लिए केन्द्र और राज्य के सरकारी बीज निगमों के अलावा भारतीय, कृषि अनुसन्धान परिषद से जुड़े सैकड़ों कृषि विश्वविधालयों, नज़दीकी कृषि विज्ञान केन्द्र, ज़िला कृषि अधिकारी, उप कृषि निदेशक और बीज प्रमाणीकरण संस्थान से भी सम्पर्क किया जा सकता है। इन्हीं संस्थाओं की ओर से किसानों को ज़रूरी प्रशिक्षण, बीज, तकनीक और उपकरण वग़ैरह मुहैया करवाये जाते हैं।
फसल तभी अच्छी होगी जब बीज उन्नत किस्म के और अच्छी गुणवत्ता वाले होंगे। इस बात को किसान चंद्रशेखर सिंह अच्छी तरह से समझते हैं, तभी तो वह नए किस्म के बीजों पर 30-35 सालो से रिसर्च कर रहे हैं। बीज उत्पादन करके किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रहे हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र ने अधिक फसल प्राप्त करने और बीजों को खराब होने से बचाने के लिए बुवाई से पहले सोयाबीन की खेती के लिए फसल प्रबंधन पर एक कार्यक्रम का खाका तैयार किया। इससे किसानों को अच्छा लाभ मिला।
जो बीज दो या अधिक पौधों के संकरण (क्रास पालीनेशन) से उत्पन्न होते हैं वे हाईब्रिड बीज कहलाते हैं। कई तरह के शोधों द्वारा बीजों के गुणों में विकास करने के बाद जो बीज तैयार होते हैं उन्हें ही हाईब्रिड या संकर बीज कहा जाता है।