How To Identify Fake Seeds: नकली बीजों की पहचान कैसे करें? किसानों के लिए ज़रूरी गाइड
आजकल बाजार में नकली बीजों (How To Identify Fake Seeds) की बाढ़ आ गई है। जो देखने में असली लगते हैं, लेकिन बोने के बाद पछतावा छोड़ जाते हैं।
आजकल बाजार में नकली बीजों (How To Identify Fake Seeds) की बाढ़ आ गई है। जो देखने में असली लगते हैं, लेकिन बोने के बाद पछतावा छोड़ जाते हैं।
अपने अनमोल गुणों की वजह से महोगनी की पत्तियों और बीजों के तेल का इस्तेमाल मच्छर भगाने वाली दवाईयों और कीटनाशकों के अलावा साबुन और पेंट-वार्निस जैसे उत्पादों में भी किया जाता है। ज़ाहिर है, महोगनी की खेती उत्तर भारत के मैदानी इलाके के किसानों के लिए कमाई बढ़ाने का शानदार ज़रिया बन सकते हैं।
भारत में सुगन्धित तेलों के उत्पादन में रोशा घास तेल का एक महत्वपूर्ण स्थान है। देश में बड़े पैमाने पर इसकी इसकी व्यावसायिक खेती होती है। भारत ही इसका सबसे बड़ा उत्पादक है। इससे प्रथम वर्ष में प्रति हेक्टेयर डेढ़ लाख रुपये से ज़्यादा का शुद्ध लाभ मिल सकता है। इससे आगामी वर्षों में मुनाफ़ा और बढ़ता है। रोशा घास की खेती करने के लिए सीमैप, लखनऊ और इससे जुड़े केन्द्रों की ओर से किसानों की भरपूर मदद की जाती है। उन्हें बीज के अलावा ज़रूरी मार्गदर्शन भी उपलब्ध करवाया जाता है।
पारंपरिक उपज वाली फसलों के साथ ही किसान आमदनी बढ़ाने के लिए कुछ खास औषधीय गुणों वाले पौधों की भी खेती कर सकते हैं। ऐसा ही एक पौधा है मालाबार नीम जिसे मिलिया दुबिया भी कहा जाता है।
पोपलर, सीधा तथा तेज़ी से बढ़ने वाला वृक्ष है। सर्दियों में इसकी पत्तियों के झड़ जाने से रबी की फ़सलों को मिलने वाली धूप की मात्रा में कोई ख़ास कमी नहीं होती। इसी तरह, पोपलर की छाया से ख़रीफ़ फ़सलों को भी कोई ख़ास नुकसान नहीं पहुँचता है।
आज के समय में देश का युवा खेती-किसानी में अच्छे व्यवसाय के विकल्प तलाश रहा है, जो कि इस क्षेत्र के लिए बहुत अच्छी बात है। एक ऐसी ही महिला हैं कर्नाटक की रहने वाली आशमा। जानिए कैसे उन्होंने अपने क्षेत्र में सुपारी की खेती (areca nut farming) के साथ Integrated Farming मॉडल को अपनाते हुए तरक्की हासिल की।
मल्टी लेयर फार्मिंग से सभी मौसम में अनेक फ़सलों की पैदावार, आमदनी और रोज़गार सुनिश्चित होता है। ये सीमित ज़मीन पर भी अधिकतम उत्पादकता देती है। इससे उपज को होने वाले नुकसान का जोखिम कम होता है। ये सीमित खेत और संसाधनों का अधिकतम दक्षता से दोहन करके ज़्यादा पैदावार पाने की बेहतरीन तकनीक है, इसीलिए इसमें छोटे किसानों की ज़िन्दगी का कायाकल्प करने की क्षमता है।
सिरिस का पेड़ गर्म व शुष्क जलवायु में अच्छी तरह फलता-फूलता है। ऐसे इलाके जहां गर्मियों में तापमान 48-52 डिग्री और सर्दियों में सामान्य रहता है यानी बहुत ठंड नहीं पड़ती, ऐसे जलवायु में सिरिस के पेड़ों का विकास अच्छी तरह होता है।
पशुओं से अधिक मात्रा में दूध प्राप्त करने के लिए हरा चारा बहुत ज़रूरी है, क्योंकि इसमें भरपूर प्रोटीन होता है, लेकिन पशुपालकों को गर्मियों के मौसम में अक्सर हरे चारे की कमी की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सुबबूल की खेती से इस समस्या से निज़ात मिल सकती है।
महोगनी की खेती (Mahogany Farming) लंबे समय के लिए किए गए निवेश की तरह है। इसके साथ अन्य फसलों की खेती कर किसान अपनी आमदनी में इज़ाफ़ा कर सकते हैं।
भारत में कई किसान महोगनी की खेती से जुड़े हैं। महोगनी के पेड़ की लम्बाई 40 से 200 फीट तक हो सकती है। लेकिन भारत में असली औसत लम्बाई 60 फीट के आसपास रहती है। भारत में महोगनी की पांच किस्मों की खेती की जाती है।
मालाबार नीम का पौधा लगाने के दो साल के भीतर ही 8 फीट तक ऊंचा हो जाता है। मालाबार नीम की खेती मुख्य रूप से कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में मालाबार नीम की खेती बड़े पैमाने पर होती है।
मुंजा घास नदियों, सड़कों, हाईवे, रेलवे लाइनों और तालाब के किनारे खाली जगह पर कुदरती रुप से उग आती है। यह घास भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में पायी जाती है। किसान इसको आसानी से लगा सकते हैं।
कम ज़मीन वालों को भी कृषि विभाग से किचन गार्डन स्कीम (Kitchen Garden Scheme) के ज़रिए प्रोत्साहन मिल रहा है। नर्सरी में उगाए गए उन्नत पौधे कम दाम पर वेजीटेबल सेल आउटलेट्स पर किसानों को मुहैया कराए जाते हैं।
इथियोपिया के इस किसान को ‘फ़ूड हीरोज’ की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है।
Story Courtesy: UN News
Biogas Plant – बायोगैस का उपयोग गांवों में खाना पकाने हेतु ईंधन और रोशनी की व्यवस्था करने के लिए किया जाता है। बायोगैस तकनीक के बाद अच्छी क्वालिटी की खाद प्राप्त होती है जो सामान्य खाद से ज्यादा बेहतर होती है। हालांकि इस गैस का उत्पादन जैविक प्रक्रिया (बायोलॉजिकल प्रॉसेस) द्वारा किया जाता है, यही कारण है कि इसे जैविक गैस भी कहा जाता है।
सरकार ने राज्य के किसानों के हित में बड़ा निर्णय लेते हुए लगभग 90 हजार किसानों को हींग तथा केसर की खेती के लिए आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। किसानों को आर्थिक मदद के साथ ही मशीनें तथा बीज खरीदने के लिए भी सरकार सहायता करेगी।
पारिजात का फूल भारत के पश्चिम बंगाल राज्य का राजकीय फूल है। मां दुर्गा और भगवान विष्णु को ये फूल अर्पित किए जाते हैं। पारिजात को हरसिंगार, शेफाली, शेफालिका, रात की रानी और दुखों का पेड़ भी कहा जाता है। इसके फूल सफेद-नारंगी रंग के होते हैं। छोटे या बड़े पेड़ के रूप में यह विकसित होता है। इसका छोटा पौधा 10 से 11 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ सकता है।