पारंपरिक फसलों के बजाय अब किसान खेती के उन्नत तरीकों को अपना रहे हैं। फसल के साथ-साथ अपने खेतों में पेड़ लगा रहे हैं। आज हम आपको इस लेख में एक ऐसे पेड़ के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे आप अपनी अन्य फसलों के साथ लगाकर अच्छी आमदनी ले सकते हैं। चंदन के पेड़ से लेकर महोगनी के पेड़ की खूबियों के बारे में हम आपको पहले बता चुके हैं, आज हम आपको मालाबार नीम की खेती के बारे में मुख्य बातें बताएंगे।
तेज़ी से बढ़ने वाला पेड़
मालाबार नीम या मेलिया डबिया (Melia Dubia) की गिनती दुनिया में सबसे तेज़ी से उगने वाले पेड़ों में होती है। मालाबार नीम का पौधा लगाने के दो साल के भीतर ही 8 फीट तक ऊंचा हो जाता है। कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में मालाबार नीम की खेती बड़े पैमाने पर होती है।
![मालाबार नीम की खेती (malabar neem ki kheti)](https://www.kisanofindia.com/wp-content/uploads/2022/03/Untitled-design-2022-03-21T193227.049.jpg)
ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं
मालाबार नीम की खेती सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है। इसकी खेती के लिए ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती। इसकी बुवाई के लिए मार्च और अप्रैल का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है। नर्सरी में भी इसके पौधे तैयार कर इसकी खेती की जा सकती हैं। दो एकड़ के क्षेत्र में ढाई हज़ार पौधे लगाए जा सकते हैं। 10 से 15 दिन में एक बार सिंचाई करें।
![मालाबार नीम की खेती (malabar neem ki kheti)](https://www.kisanofindia.com/wp-content/uploads/2022/03/Untitled-design-2022-03-21T193410.944.jpg)
लकड़ी में नहीं लगता दीमक
इसका पेड़ लगाने के पाँच साल बाद पूरी तरह से परिपक्व हो जाता है। पांच साल बाद इससे लकड़ी प्राप्त होती है। एक पेड़ अधिकतम पांच बार लकड़ी देता है। लकड़ी नीले रंग की होती है। इस लकड़ी की डिमांड प्लाइवुड उद्योग में सबसे ज़्यादा है क्योंकि इस लकड़ी में कभी दीमक नहीं लगता। इसके अलावा, मालाबार नीम की लकड़ी का उपयोग भवन निर्माण, कृषि उपकरणों, पेंसिल, माचिस, संगीत के इंस्ट्रूमेंट और हर तरह के फर्नीचर बनाने में होता है।
![मालाबार नीम की खेती (malabar neem ki kheti)](https://www.kisanofindia.com/wp-content/uploads/2022/03/Untitled-design-2022-03-21T193520.956.jpg)
मिलती है अच्छी कीमत
एक मालाबार नीम का पौधा पांच साल बाद 2 से 4 हजार रुपये की आय किसान को दे सकता है। मालाबार नीम का पेड़ तीन साल बाद कागज और माचिस की तिलियां बनाने में उपयोग योग्य हो जाता है। पांच साल बाद प्लाइवुड और आठ साल बाद फर्नीचर उद्योग में इस्तेमाल करने योग्य हो जाता है।
देश के कई कृषि संस्थान मालाबार नीम की खेती को बढ़ावा भी दे रहे हैं। वन अनुसंधान केंद्र देहरादून से मालाबार नीम के पौधे लाकर बिलासपुर, कांगड़ा व हमीरपुर में रोपे गए। किसानों को यह पौधा 30 से 40 रुपये में उपलब्ध करवाया जा रहा है।
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