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क्या आप जानते हैं कि भारतीय किसानों के लिए एक ऐसी मुर्गी की नस्ल (Chicken breed)विकसित की गई है, जो न सिर्फ बीमारियों से लड़ने में मजबूत है, बल्कि कम लागत में ज्यादा मुनाफा भी देती है? जी हां, ICAR-Central Avian Research Institute (CARI), बरेली ने ‘सीएआरआई-निर्भीक’ (CARI-Nirbheek ) नाम की एक शानदार देसी मुर्गी की प्रजाति विकसित की है, जो ग्रामीण और छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
ये मुर्गी न सिर्फ रंग-बिरंगी और आकर्षक है, बल्कि इसके अंडे और मांस दोनों की गुणवत्ता शानदार है। आइए जानते हैं कि कैसे ये ‘सुपर चिकन’ भारतीय किसानों की जिंदगी बदल रही है।
क्या है सीएआरआई-निर्भीक? (What is CARI-Nirbheek?)
सीएआरआई-निर्भीक (CARI-Nirbheek ) एक दोहरे उद्देश्य वाली (अंडे और मांस दोनों के लिए) स्वदेशी मुर्गी है, जिसे विशेष रूप से भारत की उष्णकटिबंधीय जलवायु (Tropical climate of India) के अनुकूल बनाया गया है। इसकी खासियत ये है कि ये कठोर परिस्थितियों में भी जीवित रह सकती है, जहां अन्य नस्लें फेल हो जाती हैं।
इसकी ख़ासियतें (Its Specialty)
रंगीन पंख और मजबूत शरीर :– शिकारी जानवरों से बचाव में सक्षम।
उच्च रोग प्रतिरोधक क्षमता :– मरेक, न्यूकैसल जैसी बीमारियों से लड़ने में सक्षम।
कम लागत, ज्यादा मुनाफा :– सामान्य देसी मुर्गियों के मुकाबले 3 गुना ज्यादा आय देती है।
अच्छा अंडा उत्पादन :– सालभर में 170-200 अंडे देने की क्षमता।
शाकाहारी और स्थानीय चारे पर पलने वाली :– महंगे दाने की ज़रूरत नहीं।
क्यों है ये किसानों के लिए अहम? (Why Is It Important For Farmers?)
भारत के ग्रामीण इलाकों में पोल्ट्री फार्मिंग का सबसे बड़ा चुनौती शिकारी जानवर, बीमारियां और कम उत्पादकता है। लेकिन सीएआरआई-निर्भीक ने इन सभी समस्याओं का समाधान कर दिया है:
1. शिकारियों से सुरक्षा
इस मुर्गी की एक खास बात यह है कि ये लंबी टांगों और तेज दौड़ने वाली है, जिससे ये बाज़, कुत्ते और अन्य शिकारियों से आसानी से बच जाती है। साथ ही, इसके रंगीन पंख इसे प्राकृतिक रूप से छिपने में मदद करते हैं।
2. बिना एंटीबायोटिक के स्वस्थ रहती है
आजकल मुर्गी पालन में एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक उपयोग एक बड़ी समस्या है। लेकिन सीएआरआई-निर्भीक में प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है, जिससे इसे ज्यादा दवाइयों की जरूरत नहीं पड़ती।
3. आम की खेती के साथ इंटीग्रेटेड फार्मिंग
उत्तर प्रदेश के किसानों ने आम के बागानों में इन मुर्गियों को पालकर दोहरा फायदा उठाया है। ये मुर्गियां आम के बगीचे में कीटों को खाकर फसल की सुरक्षा करती हैं और साथ ही अंडे-मांस से अतिरिक्त आय देती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस तरह के इंटीग्रेटेड फार्मिंग (Integrated Farming) से किसानों को 4.64 गुना ज्यादा मुनाफा हुआ है।
कैसे करें सीएआरआई-निर्भीक का पालन? (How To Raise CARI-
Nirbheek?)
इस मुर्गी को पालना बेहद आसान है। ये छोटे बैकयार्ड, खुले मैदान या छोटे शेड में भी पाली जा सकती है। कुछ ज़रूरी टिप्स:
- चूजों को शुरुआत में 6-8 हफ्ते तक अच्छी देखभाल दें।
- मरेक, न्यूकैसल और फाउल पॉक्स के टीके जरूर लगवाएं।
- रोजाना 35-40 ग्राम अनाज दें, बाकी चारा प्राकृतिक रूप से खुले में चरकर खा लेगी।
- नर मुर्गों को 15-20 हफ्ते की उम्र में बेच दें या घर पर उपयोग करें।
- 16 राज्यों के किसानों ने अपनाया, मांग लगातार बढ़ रही।
सीएआरआई-निर्भीक को देशभर के 16 राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु और तेलंगाना के किसानों ने अपनाया है। पिछले 20 सालों में 13.35 लाख से ज्यादा चूजे किसानों को दिए जा चुके हैं।
कहां से मिलेगा सीएआरआई-निर्भीक का चूजा? (Where Will Get CARI-Nirbeek Chick?)
इच्छुक किसान सीएआरआई, बरेली की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर या सीधे संस्थान से संपर्क करके इन चूजों को प्राप्त कर सकते हैं।
कॉन्टेक्ट करें:
भाकृअनुप-केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई), इज्जतनगर, बरेली
वेबसाइट: www.cari.res.in
टेलीफोन नंबर- 91-581-2303223;2300204;2301220;2310023
ईमेल–[email protected], [email protected], [email protected] द्वारा पहुंचा जा सकता है
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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