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गांव की मिट्टी में पसीना बहाकर अन्न उगाने वाले किसान अगर आधुनिक तकनीक और समझदारी से काम लें, तो खेती सिर्फ जीविका नहीं, बल्कि मुनाफे़ का बिज़नेस बन सकती है। ये साबित किया है उत्तर प्रदेश कानपुर देहात के गांव औरंगाबाद, पोस्ट भेवान के प्रगतिशील किसान चरन सिंह ने (Progressive farmer Charan Singh changed his fortunes), जो पिछले 20 सालों से खेती कर रहे हैं और आज न सिर्फ अपने 4 एकड़ खेत से अच्छी आमदनी कमा रहे हैं, बल्कि दूसरे किसानों के लिए भी मिसाल बन गए हैं।
संकर धान से शुरुआत, अब मल्टी-क्रॉपिंग से बढ़ा रहे मुनाफ़ा
चरन सिंह (Charan Singh) के पास कुल 4 एकड़ ज़मीन है, जिसमें वे इस समय धान की फसल उगा रहे हैं। अभी तक उन्होंने 3 हेक्टेयर में धान की बुआई कर ली है और बाकी 1 हेक्टेयर में लगाने का काम चल रहा है। लेकिन धान के बाद उनकी योजना दाल, चना, मटर, आलू, गेहूं, सरसों जैसी फसलें उगाने की है। वे एक एकड़ में तीन फसलें लेकर सहफसली खेती (Intercropping) भी करते हैं, जिससे उनकी आय कई गुना बढ़ जाती है।
कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से जुड़कर सीखी उन्नत तकनीक
चरन सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से पिछले 10 सालों से जुड़े हुए हैं और वहां से मिल रही जानकारी के आधार पर संकर धान (Hybrid Rice) की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें पारंपरिक धान की तुलना में काफी ज़्यादा उत्पादन मिल रहा है। वे KVK के वैज्ञानिकों के संपर्क में रहते हैं और नई तकनीकों को अपनाकर अपनी फसलों की पैदावार बढ़ा रहे हैं।
उन्होंने किसान गोष्ठियों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिए संकर धान की खेती का प्रचार-प्रसार भी किया है, ताकि दूसरे किसान भी इससे लाभ उठा सकें।
पशुपालन से अतिरिक्त आमदनी- बकरियां और भैंसें भी दे रहीं मुनाफ़ा
खेती के साथ-साथ चरन सिंह पशुपालन भी करते हैं। उनके पास 10-11 बकरियां और 3 भैंसें हैं। भैंस के दूध का इस्तेमाल उनके 14 सदस्यों के बड़े परिवार में हो जाता है, जबकि बकरियों को बेचकर वे अच्छी आमदनी कमा लेते हैं। इस तरह, खेती के साथ-साथ पशुपालन भी उनकी आर्थिक स्थिति को मज़बूत कर रहा है।
आधुनिक मशीनों से खेती – ट्रैक्टर, रोटावेटर, ट्यूबवेल का इस्तेमाल
चरन सिंह ने खेती को आसान और ज़्यादा उत्पादक बनाने के लिए ट्रैक्टर, रोटावेटर, कल्टीवेटर, ट्रॉली और ट्यूबवेल जैसी आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल शुरू किया है। इससे न सिर्फ उनका वक्त बचता है, बल्कि खेती की लागत भी कम होती है और उत्पादन बढ़ता है।
पूरा परिवार देता है साथ – शिक्षित बेटा भी जुड़ा है खेती से
चरन सिंह का पूरा परिवार खेती में हाथ बंटाता है। उनकी पत्नी, भाई, बहू और बेटा सभी मिलकर खेतों में काम करते हैं। ख़ास बात ये है कि चरन सिंह खुद ग्रेजुएट हैं और उनके बेटे ने पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। इस शिक्षा का फायदा उन्हें नई तकनीकों को समझने और उन्हें अपनाने में मिल रहा है। वे न सिर्फ खुद आधुनिक खेती कर रहे हैं, बल्कि गांव के दूसरे किसानों को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं।
चौपाल लगाकर करते हैं किसानों को जागरूक
चरन सिंह सिर्फ अपनी खेती तक सीमित नहीं हैं। केंद्र सरकार के जलवायु परिवर्तन योजना से जुड़े हैं। केवीके के साथ मिलकर गांव के किसानों को फ़सलों की जानकारी देते हैं। चौपाल लगाकर सरकार की योजनाओं की जानकारी के साथ कीटनाशकों, केमिकल, फसल रोगों समेत कई तरह की जानकारी भी गांव के किसानों को देते हैं।
ज्ञान और मेहनत से बदली किस्मत
चरन सिंह की कहानी साबित करती है कि अगर किसान पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक ज्ञान को अपनाएं, तो खेती न सिर्फ फायदे का सौदा बन सकती है, बल्कि गांव की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर सकती है। उनका मानना है कि ‘खेती में सफलता के लिए सीखने की ललक और मेहनत दोनों जरूरी हैं।’
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