सुबबूल की खेती: पशुओं के बेहतरीन चारे से लेकर ईंधन बनाने में उपयुक्त सुबबूल की फसल, जानिए अन्य फ़ायदे

पशुओं से अधिक मात्रा में दूध प्राप्त करने के लिए हरा चारा बहुत ज़रूरी है, क्योंकि इसमें भरपूर प्रोटीन होता है, लेकिन पशुपालकों को गर्मियों के मौसम में अक्सर हरे चारे की कमी की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सुबबूल की खेती से इस समस्या से निज़ात मिल सकती है।

सुबबूल की खेती subabul ki kheti

आपने सड़क किनारे या जंगल में छुईमुई के पत्ते और लंबे सेम जैसी फलियों वाले बड़े पेड़ देखे होंगे, ये सुबबूल का पेड़ होता है। इस पेड़ की ख़ासियत है कि ये बंजर भूमि में भी आसानी से उग जाता है और इसे पानी और खाद की भी ज़्यादा ज़रूरत नहीं होती। सुबबूल का पेड़ पशुओं के लिए पौष्टिक चारे का काम करता है। साथ ही इसकी लकड़ी ईंधन के रूप में इस्तेमाल की जा सकती है। सुबबूल को मिश्रित फसल के रूप में उगाकर भी किसान अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं। इसकी लकड़ियों का इस्तेमाल इमारत बनाने और कागज उद्योग में भी किया जाता है। यानी सुबबूल किसानों के लिए हर तरह से फ़ायदेमंद है।

सुबबूल की खेती subabul ki kheti
तस्वीर साभार: ICAR

सुबबूल की ख़ासियत

ये पोषक तत्वों से भरपूर पेड़ है, जिसकी पत्तियां पशुओं के लिए बेहतरीन हरा चारा है। ये प्रोटीन से भरपूर होती है। इस पेड़ की ख़ासियत है कि ये कहीं भी उग जाता है यानी हर तरह की भूमि में सुबबूल की खेती की जा सकती है। साथ ही गर्मियों के मौसम में जब पुशपालकों को हरे चारे की कमी की समस्या से जूझना पड़ता है, उस समय ये उनके बहुत काम आएगा, क्योंकि ये गर्मी के मौसम में भी फलता-फूलता है।

खेतों की मेड़ पर सुबबूल का पेड़ लगाने पर ये बाड़ का काम करता है और घना होने के कारण मिट्टी के कटाव को रोकता है। सुबबूल की लकड़ी ईंधन और इमारत बनाने के भी काम आती है। इसकी लकड़ी से कागज की लुगदी भी तैयार की जा सकती है, जबकि इसके बीज से गोंद निकाला जाता है। ये वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर करने में मदद करता है, जिसका फ़ायदा फसल को होता है। सुबबूल को नैपियर (घास), गिनी घास, मक्का, ज्वार, बाजरा के साथ भी उगाया जा सकता है। सुबबूल को खेत, बाउंड्री, सड़क किनारे, नहर किनारे या रेलवे लाइन के पास कहीं भी लगाया जा सकता है।

सुबबूल की खेती: पशुओं के बेहतरीन चारे से लेकर ईंधन बनाने में उपयुक्त सुबबूल की फसल, जानिए अन्य फ़ायदे
तस्वीर साभार-wikipedia

सुबबूल की खेती: पशुओं के बेहतरीन चारे से लेकर ईंधन बनाने में उपयुक्त सुबबूल की फसल, जानिए अन्य फ़ायदे

कैसे लगाएं पौधा?

सुबबूल के बीज की परत सख्त होती है, जिससे अंकुरण में समय लगता है। ऐसे में जल्दी अंकुरण के लिए बीज को बुवाई से पहले उबले पानी में 2-3 मिनट तक डालकर निकाल लें। इससे ऊपरी परत मुलायम हो जाती है और बीज जल्दी अंकुरित होते हैं। मार्च-अप्रैल में बीजों की बुवाई करें। इसके लिए पॉलीथीन की थैलियों में मिट्टी और गोबर की खाद मिलाकर भरें और बीजों को 1-1.5 सेंटीमीटर की गहराई में बोए। बुवाई के बाद थोड़ी सिंचाई कर दें। एक हेक्टेयर में 1-2 किलो सुबबूल के बीज लगाए जा सकते हैं। 2-3 महीने बाद थैलियों में तैयार पौध की खेत में रोपाई करें। अगर इसे घना लगाना चाहते हैं, तो पौध को 1 मीटर की दूरी पर लगाएं। 

बनाता है मिट्टी को उपजाऊ

सुबबूल का पेड़ वायुमंडल से नाइट्रोजन को मिट्टी में स्थिर करने में मदद करता है, जिससे फसल अच्छी होती है। ज़मीन पर गिरने वाली इसकी पत्तियां और डालियां भी मिट्टी को उपजाऊ बनाती है। बंजर भूमि में भी उगने वाले सुबबूल की 1.5 मीटर लंबी टहनियों को काटकर मिट्टी में दबा देने से मिट्टी उपजाऊ बनती है।

सुबबूल की खेती: पशुओं के बेहतरीन चारे से लेकर ईंधन बनाने में उपयुक्त सुबबूल की फसल, जानिए अन्य फ़ायदे
तस्वीर साभार-davesgarden

सुबबूल की खेती: पशुओं के बेहतरीन चारे से लेकर ईंधन बनाने में उपयुक्त सुबबूल की फसल, जानिए अन्य फ़ायदे

अतिरिक्त आमदनी

इसे अगर 2-3 मीटर की दूरी पर चारे के लिए उगाया जा रहा है, तो प्रति हेक्टेयर 50-60 क्विंटल पौष्टिक सूखा चारा प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही इससे गर्मियों के मौसम में हरा चारा भी प्राप्त किया जा सकता है। पौध लगाने के 4-5 साल बाद प्रति हेक्टेयर सुबबूल के पेड़ से 30-50 क्विंटल लकड़ी और 7-10 क्विंटल तक बीज प्राप्त होता है। इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी होगी। सुबबूल के पेड़ की साल में 5-6 बार कटाई-छंटाई ज़रूर करें।

ये भी पढ़ें- दीनानाथ घास (Dinanath Grass): एक बार बोएँ और बार-बार काटें पौष्टिक हरा चारा, पशुओं का शानदार सन्तुलित आहार

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

मंडी भाव की जानकारी
 

ये भी पढ़ें:

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top