किसानों की मेहनत से ही आपके हमारे घर तक अनाज पहुंचता है। वो अन्नदाता ही है जो हमारी थाली तक भोजन पहुंचाते हैं। इसलिए सबसे पहले उनका विकास ज़रुरी है। देश के अन्नदाता तक सारी सुविधाएं पहुंचेंगी, तभी हम तक अनाज और हरी सब्जियां पहुंचेंगी। यही वजह है कि किसानों को सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार समय-समय पर कई योजनाएं लाती रही है। उन्ही में से एक योजना है किचन गार्डन स्कीम (Kitchen Garden Scheme)। इस योजना के तहत किसानों को कई सब्जियों के बीज और पौधे उपलब्ध कराए जाते हैं।
ऐसे ही कृषि उत्पादन के क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सरकार कई योजनाएं चला रही हैं। इन्हीं योजनाओं में से एक किचन गार्डन स्कीम भी है। कम ज़मीन वालों को भी कृषि विभाग से किचन गार्डन स्कीम के ज़रिए प्रोत्साहन मिल रहा है। नर्सरी में उगाए उन्नत पौधे कम दाम पर वेजीटेबल सेल आउटलेट्स पर किसानों को मुहैया कराए जाते हैं। इस लेख में हम आपको इन उन्नत पौधों से जुड़ी सारी जानकारी देंगे। साथ ही कैसे ये पौधे किसानों की आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं, इसके बारे में भी बताएंगे।
पॉलीहाउस में तैयार किए जाते हैं उन्नत पौधे
किसान ऑफ़ इंडिया की टीम ऐसे ही किचन गार्डन का जायज़ा लेने श्रीनगर के लाल मंडी पहुंची। इस किचन गार्डन में मॉडर्न टेक्नॉलजी और वैज्ञानिक तरीके से सब्जियों के पौधे तैयार किए जाते हैं। इन पौधों को पॉलीहाउस में तैयार किया जाता है। दो हज़ार स्क्वायर फ़ीट में फैले इस किचन गार्डन में 8 हाई-टेक और सेमी हाई-टेक पॉलीहाउस हैं, जबकि 6 पारंपरिक पॉलीहाउस हैं।
किचन गार्डन स्कीम के तहत किसानों को बांटे जा रहे हैं पौधे
बता दें कि हाईटेक पॉलीकैब प्रोजेक्ट में 10 से 12 लाख रुपये की लागत आती है। कोई किसान अगर इसे लगाना चाहता है तो इसपर सरकार की ओर से 50 फ़ीसदी की सब्सिडी भी मिल जाती है, लेकिन ज़्यादातर किसान इतने पैसे लगाने में सक्षम नहीं होते।
उन किसानों को इन पॉलीहाउस में उगाए गए पौधे कम दर से मिलने पर काफ़ी फ़ायदा होता है। ऑर्गेनिक तरीके से उगाई गई सब्जियों की बाज़ार में अच्छी मांग होती है, कीमत भी अच्छी मिलती है तो किसानों को आय भी ज़्यादा होती है।
पौधे कम दर से मिलने पर किसानों को होता है फ़ायदा
यहां से जो किसान पौधे खरीदते हैं उन्हें सस्ती दरों में पौधे दिए जाते हैं, वहीं आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को निशुल्क पौधे मुहैया कराए जाते हैं। पॉलीहाउस में तैयार पौधों की खासियत होती है कि ये जल्दी तैयार हो जाते हैं, जबकि बाहर उगाने में काफ़ी समय लग जाता है।
मॉडर्न टेक्नोलॉजी से लैस हैं पॉलीहाउस
जम्मू-कश्मीर के कृषि विभाग में कार्यरत एग्रीकल्चर एक्सटेंशन असिस्टेंट ज़हूर अहमद भट्ट ने किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में बताया कि इन सभी पॉलीहाउस में एक नियंत्रित तापमान, जलवायु और वातावरण में पौधे तैयार किये जाते हैं। पॉलीहाउस में पौधों के लिए उचित तापमान, पानी, नमी और कीटों से सुरक्षा के तमाम साधन हैं।
मॉडर्न टेक्नॉलजी से लैस इन पॉलीहाउस में सेंसर लगे हुए हैं, जो इन्हें पूरी तरह से ऑटोमेटिक बनाते हैं। वहीं एंट्री में ही लगे एयर कर्टेन कीटों को अंदर घुसने से रोकते हैं। जैसे ही दरवाजे खुलते हैं, ये एयर कर्टन अपने आप ऑन हो जाते हैं और तेज हवा छोड़ने लगते हैं। इससे कीटों को अंदर आने से रोकने में मदद मिलती है। अंदर बड़े-बड़े एग्जॉस्ट पंखे भी लगे हैं। इन फैंस से नमी को नियंत्रित किया जाता है। उधर फॉगर से जो धुंध बनती है, उससे भी नमी के साथ-साथ तापमान को भी कंट्रोल किया जाता है।
उचित तापमान, पानी, नमी बरकरार रखने के लिए तमाम साधन उपलब्ध
ये पॉलीहाउस ब्लोअर्स से भी लैस हैं। बीजों की बुवाई करते समय एक तय तापमान की ज़रूरत होती है। हर फसल के हिसाब से 6 डिग्री से 24 डिग्री तक का तापमान सेट करना पड़ता है। कश्मीर में कड़ाके की सर्दियां होने की वजह से ज़रूरी तापमान को बरकरार रखने में मुश्किल होती है। ऐसे में ये ब्लोअर्स ज़रूरी तापमान को सेट करते हैं। सूरज की रोशनी को कंट्रोल करने के लिए पॉलीहाउस में शेड नेट्स भी लगी हुई हैं। इससे तापमान को कम करने में मदद मिलती है।
फ़ोटो ऐक्टिव लैम्प के ज़रिए देर शाम तक फ़ोटो फोटोसिंथेसिस लेवल को बढ़ाया जा सकता है। एक पॉलीहाउस में 6 फ़ोटो ऐक्टिव लैम्प इनस्टॉल किए गए हैं। पॉली फिल्म के अंदर ही कीटों से बचाव के लिए नेट्स लगे हुए हैं। इस वजह से कीटों के पॉलीहाउस में घुसने की संभवना न के बराबर होती है।
नर्सरी में तैयार होते रोगमुक्त और कीट रहित पौधे
ज़हूर अहमद भट्ट बताते हैं कि ये पौधे कीट रोधी और रोग रहित होते हैं। इन पौधों को तैयार करने में कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इस किचन गार्डन को जैविक तरीके से तैयार किया गया है। जो किसान यहाँ से पौधे ले जाते हैं वो भी जैविक तरीके से फसल तैयार करते हैं। इससे उपभोक्ताओं की थाली तक भी जैविक खाद्य उत्पाद पहुंचता है।
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