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खेती होगी सुगम अगर अच्छे होंगे बीज। कभी-कभार किसानों को अच्छे बीजों के अभाव की समस्या से दो-चार होना पड़ता है। कई बार उन्हें समय पर अच्छे बीज उपलब्ध नहीं हो पाते। ऐसे में किसान अगर खुद ही बीज उत्पादन करें, तो इससे न सिर्फ़ उन्हें अधिक आमदनी होगी, बल्कि गुणवत्तापूर्ण बीज भी मिलेंगे। बीज उत्पादन के लिए किसानों को बीज के प्रकार और उत्पादन का सही तरीका पता होना चाहिए।
बीज के प्रकार
बीज कई प्रकार के होते हैं, जैसे- नाभिकीय बीज, प्रजनक बीज, आधार बीज, प्रमाणित बीज, सत्यापित बीज।
आधार बीज-
- इसका बीज उत्पादन प्रजनक बीज से किया जाता है। ये बीज पूरी तरह से शुद्ध होता है।
- इस कैटेगरी वाले बीज का उत्पादन कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि महाविद्यालयों, कृषि अनुसंधान संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों, राजकीय कृषि विभाग के फार्म या पूरी तरह से प्रशिक्षित किसानों के खेतों में किया जाता है।
- बीज के लिए लगाई गई फसल के खेत का निरिक्षण संबंधित पदाधिकारियों द्वारा किया जाता है।
- उत्पादित बीज के थैलों में सफेद रंग का टैग लगाया जाता है।
प्रमाणित बीज-
- इसका उत्पादन आधार बीज से किया जाता है या फिर प्रमाणित बीज के गुणन से।
- इस कैटेगरी वाले बीज का उत्पादन प्रादेशिक बीज निगम की देखरेख में, चुने गए प्रशिक्षित प्रगतिशील किसानों के खेतों में किया जाता है। संबंधित पदाधिकारियों द्वारा खेत की निगरानी की जाती है।
- आमतौर पर यही बीज किसानों को फसल उत्पादन के लिए बेची जाती है। इस बीज के थैलों पर नीले रंग का टैग लगा होता है।
सत्यापित बीज-
- इस बीज का उत्पादन प्रमाणित या आधार बीज से किया जाता है।
- बीज के थैलों पर किसी भी तरह का टैग नहीं लगा होता, लेकिन इसकी शुद्धता की सारी ज़िम्मेदारी उत्पादन करने वाली संस्था की होती है।
बीज उत्पादन तकनीक
उन्नत बीज उत्पादन के लिए ज़रूरी है कि उसके बारे में सही जानकारी हो। किसी भी तरह के बीज का उत्पादन करने के लिए ये ध्यान रखें कि ये उस क्षेत्र या खेत के लिए सही हों।
बीज उत्पादन के लिए सही खेत का चुनाव
अच्छे बीज उत्पादन के लिए ऐसे खेत का चुनाव करें जो खरपतवार और रोगों से मुक्त हों। फसल के हिसाब से खेत को अच्छी तरह तैयार करें। पुरानी फसल के अवशेष और खरपतवार चुनकर फेंक दें। खेत को फसल के हिसाब से समतल करें और पंक्तियां बनाएं, जो फसल के अनुसार अलग-अलग होती है।
बीज बुवाई से पहले बीजोपचार
फसल को कीट व बीमारियों से बचाने के लिए बुवाई से पहले बीजोपचार ज़रूरी है। इसका मतलब है कि फफूंदनाशक या कीटनाशक या दोनों दवाएं मिलाकर बीजो को उपचारित करना। दलहनी फसलों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना ज़रूरी है। फसल की बुवाई या रोपाई हमेशा पंक्तियों में समय पर और उचित नमी वाली अवस्था में करें। बीज वाली फसलों में बीज दर सामान्य फसल की अपेक्षा कम रखी जाती है। जबकि पौधों से पौधों और पंक्ति से पंक्ति के बीज दूरी अधिक रखी जानी चाहिए।
बीज फसल में खाद और उर्वरक का इस्तेमाल
बीज फसल में पौधों के अच्छे विकास और दानों को अच्छी तरह तैयार होने के लिए पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है। इसके लिए कंपोस्ट, वर्मीकंपोस्ट या गोबर की खाद संतुलित मात्रा में देनी चाहिए। इसके अलावा नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश भी फसल के हिसाब से विशेषज्ञों की ओर से बताई गई मात्रा के मुताबिक देनी चाहिए।
बीज फसल में खरपतवार नियंत्रण और रोगिंग
खरपतवारों से फसल का उत्पादन कम होता है। इसलिए उन्हें समय-समय पर निकालना ज़रूरी है। रोगिंग वो प्रक्रिया है जिससे उसी फसल की दूसरी प्रजाति के पौधों को पहचानकर हाथ से निकाल फेंका जाता है ताकि बीज फसल की शुद्धता बनी रहे।
बीज उत्पादन में फसल सुरक्षा और निरीक्षण
इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि बीज फसल में कीट-रोग न लगे और लगे तो उसे तुरंत नियंत्रित करने के उपाय करना ज़रूरी है। बीज की फसल को श्रेणी के आधार पर टैग हासिल करने के लिए बीज निगम या राज्य के बीज प्रमाणन पदाधिकारी की ओर से खेत का निरीक्षण किया जाता है।

समय पर कटाई
बीज वाली फसल की अच्छी तरह पक जाने के बाद ही कटाई करनी चाहिए। कटाई से पहले दानों में नमी की मात्रा देख लेनी चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखें कि दूसरी प्रजाति के बीज इसमें मिक्स न हों।
बीज भंडारण और पैकिंग
बीज उत्पादन में भंडारण बहुत अहम होता है, क्योंकि अगर इसमें सावधानी नहीं बरती गई तो इससे बीजों की अंकुरण क्षमता और गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। बीजों की अच्छी तरह सफाई करके ही भंडारण करना चाहिए। ज़रूरत के अनुसार पैकिंग करके बीज निगम या किसी अच्छी संस्था को उचित दाम पर बेचकर किसान लाभ कमा सकते हैं।

बीज उत्पादन व्यवसाय किसानों को दे रहा लाभ
वाराणसी के राजातालाब, टड़िया के किसान चंद्रशेखर सिंह लगातार 30-35 साल से बीजों पर रिसर्च का काम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के 50 से अधिक ज़िलों में इनके बीज़ों की मांग है। उन्होंने धान की 8 किस्में और गेहूं की एक किस्म भारत सरकार द्वारा रजिस्टर्ड भी की जा चुकी है। कृषि क्षेत्र में योगदान के लिए 2021 में पद्मश्री से भी नवाज़े जा चुके हैं। बाज़ार में अच्छी पैदावार देने वाली नई किस्म के बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करके वह किसानों की मदद करते हैं।

बीज उत्पादन पर मिलती है सब्सिडी
उत्तर प्रदेश के हापुड़ ज़िले के नवादा कलां गांव के रहने वाले हरजीत सिंह ने बीज उत्पादन की शुरुआत 10 बीघा ज़मीन से की। बीज उत्पादन के क्षेत्र में हरजीत सिंह का शुरुआती निवेश करीब 5 लाख रुपये था। कॉन्ट्रैक्ट फ़ार्मिंग के ज़रिए 100 से ऊपर किसानों को उन्होंने अपने इस बीज उत्पादन कार्य से जोड़ा है। आज उनके क्षेत्र के 200 गांवों के हज़ार से ऊपर किसान उनसे सीधा बीज खरीदते हैं। हरजीत सिंह ज़रूरत पड़ने पर उन्हें बीज रोपाई से जुड़ी ट्रेनिंग भी मुहैया कराते हैं। हरजीत सिंह ग्रेवाल बताते हैं कि नाबार्ड के एग्री क्लिनिक और एग्री बिज़नेस सेंटर से ट्रेनिंग लेने के बाद, लोन के लिए भी अप्लाई किया जा सकता है। ज़्यादा जानकारी के लिए किसान अपने नज़दीकी नाबार्ड कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।

बीज उत्पादन में मुनाफ़ा
बिहार के पश्चिमी चम्पारण के खंड रामनगर के रहने वाले किसान विजयगिरी धान की फसल पर कई प्रयोग कर रहे हैं। बीज उत्पादन व्यवसाय से जुड़े विजयगिरी को उनके प्रयोगों से फ़ायदा भी मिल रहा है। आपको बता दें कि विजयगिरी काले, लाल, हरे रंग के साथ-साथ मैजिक चावल की भी खेती करते हैं। एक एकड़ में 16 से 18 क्विंटल तक की पैदावार होती है। उनकी फसल में हुई पैदावार बीजों के रुप में निकल जाती है। वो देश के हर राज्य में बीज पहुंचा रहे हैं। उनसे लगभग 30 हज़ार से 35 हज़ार किसान जुड़े हुए हैं। लागत निकालकर उनको करीबन 50 फ़ीसदी तक का मुनाफ़ा हो जाता है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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