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छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के छोटे से गांव नारी में एक प्रेरणादायक कहानी हम तक पहुंची है। ये कहानी है परमेश्वर सोनकर की, जो अपनी डेढ़ एकड़ जमीन पर कड़ी मेहनत कर रहे हैं और जैविक खेती के जरिए अपनी आजीविका चला रहे हैं।
जैविक और प्राकृतिक खेती
परमेश्वर सोनकर न सिर्फ़ खेती में अपनी मेहनत और लगन से आगे बढ़ रहे हैं, बल्कि जैविक और प्राकृतिक खेती के ज़रिए सेहत और पर्यावरण दोनों का ख्याल रख रहे हैं। उनकी खेती में प्रमुखता से सब्जियों का उत्पादन होता है। लेकिन, जैसा कि हम जानते हैं, खेती में हमेशा फायदा नहीं होता। नुकसान का सामना करना, फसल ख़राब होने की चिंता और सीमित आमदनी, ये सभी चुनौतियां परमेश्वर के जीवन का हिस्सा रही हैं।
सरकार की योजनाओं का सहारा
परमेश्वर सोनकर का कहना है कि धान की खेती में उतनी आमदनी नहीं हो पाती जितनी एक परिवार को चाहिए। सब्जियों की खेती में भी जब नुकसान होता है, तो हमें सरकार की योजनाओं का सहारा लेना पड़ता है। परमेश्वर सोनकर ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना 2024 का लाभ लेने का फैसला लिया है। इस योजना के तहत, उन्हें हर साल सीधी वित्तीय मदद मिल सकती है, जो उनकी खेती को और भी बेहतर बनाने में सहायक होगी।
लेकिन बात सिर्फ़ आर्थिक मदद की नहीं है। ये कहानी हर उस किसान की है जो सीमित संसाधनों के बावजूद मेहनत कर रहा है, जिसने खेती को सिर्फ़ पेशा नहीं, बल्कि अपनी पहचान बना लिया है।
बदलाव की शुरुआत
जैविक खेती से न केवल परमेश्वर अपनी जमीन की उर्वरता बढ़ा रहे हैं, बल्कि अपने खेतों से निकलने वाले उत्पादों को ज़हरीले रसायनों से दूर रखकर समाज को भी सेहतमंद विकल्प दे रहे हैं। उनकी ये सोच हमें सिखाती है कि बदलाव की शुरुआत हमेशा छोटे कदमों से होती है।
परमेश्वर का सफ़र हर संघर्ष कर रहे किसान के लिए प्रेरणा
परमेश्वर सोनकर का सफ़र उनकी मेहनत और जज्बा को दिखाता है जो हर उस किसान के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहा है। धमतरी की इस मिट्टी से निकली कहानी यह याद दिलाती है कि हर खेत, हर किसान, और हर संघर्ष की अपनी खास अहमियत है।