Terrace Gardening: गणित के प्रोफेसर डॉ. संदीप कुमार छत पर उगा रहे ऑर्गेनिक सब्ज़ियां और फल, लोगों को भी कर रहें प्रेरित

Terrace Garden से छत पर उगाएं ताजगी से भरपूर फल और सब्ज़ियां। डॉ. संदीप कुमार मल्होत्रा के अनुभव से जानें सफल बागवानी के आसान टिप्स।

Terrace Garden टेरेस गार्डन

प्रकृति से जुड़ने और अपने परिवार को सेहतमंद रखने के लिए बहुत से लोग जिनके पास छत या घर के पास ज़मीन है, वहां खुद ही सब्ज़ियां-फल उगा रहे हैं। खासतौर से कोविड के बाद से ऐसे लोगों की तादाद बढ़ी है और Terrace Garden बनाने का ट्रेंड भी बहुत लोकप्रिय हो गया है। ऐसा ही कुछ मध्यप्रदेश के रहने वाले प्रोफेसर डॉ. संदीप कुमार मल्होत्रा के साथ भी हुआ।

कोविड के बाद से वो भी अपने घर की छत पर फल और सब्ज़ियों की जमकर खेती कर रहे हैं, मगर Terrace Garden को सफल बनाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना भी ज़रूरी होती है। डॉ. संदीप कुमार ने अपने Terrace Gardening के अनुभव साझा किए किसान ऑफ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुंदेली के साथ।

कब की शुरुआत (when did it start)

कोरोना काल के बाद बहुत से लोग पेड़-पौधे लगाने और अपने घर में उपलब्ध स्थान में ही गार्डन बनाने के लिए प्रेरित हुए। मध्य प्रदेश के प्रोफेसर डॉ. संदीप कुमार मल्होत्रा भी उन्हीं लोगों में से एक हैं, हालांकि प्रकृति से उनका लगाव बचपन से ही है, मगर Terrace Garden में जैविक फल-सब्ज़ियां उगाने की प्रेरणा उन्हें कोविड के समय ही मिली। वो बताते हैं कि जब कोविड का समय आया तब उन्हें एहसास आया कि ऑक्सीजन कितना ज़रूरी है। तभी उनके दिमाग में ख्याल आया कि अगर हर व्यक्ति अपने घर की छत पर Terrace Garden बनाए, तो उसे इतना ऑक्सीजन तो मिल ही सकता है वो और उसका परिवार जीवित रह सके।

आगे वो कहते हैं कि कोरोना काल में सब्ज़ियां नहीं मिल रही थी, कई दिनों तक उनके परिवार को सिर्फ़ दाल से ही गुज़ारा करना पड़ा। तभी उन्होंने सोच लिया कि अपनी ज़रूरतों के लिए फल और सब्ज़ियों का उत्पादन वो खुद करेंगे, और इस तरह से 2 साल पहले उन्होंने पूरी तैयारी और अपने वैज्ञानिक मित्रों की सलाह से Terrace Garden शुरू किया।

ऑल इन वन टेरेस गार्डन (All in One Terrace Garden)

पेशे से गणित के प्रोफेसर डॉ. संदीप की छत को ऑल इन वन Terrace Garden कहा जाए तो गलत नहीं होगा, क्योंकि यहां वो सिर्फ़ सब्ज़ियां और फल ही नहीं बल्कि औषधीय पौधे और तरह-तरह के फूल भी उगा रहे हैं। प्रकृति के संरक्षण की दिशा में उनका ये छोटा सा प्रयास वाकई बहुत सराहनीय है।

उनके Terrace Garden में पुदीना, सेम, तुरई, बैंगन, पालक, मिर्ची, धनिया, करेला जैसी ढेरों सब्ज़ियां लगी हुई है। यही नहीं व बताते हैं कि वो मौसम के हिसाब से सब्ज़ियां बदलते रहते हैं। बरसात के मौसम में जब बाज़ार में धनिया-पुदीना जैसी चीज़ें अच्छी नहीं मिलती है, खुद के गार्डन में आपको बिल्कुल ताज़ा पुदीना मिलेगा, जैसे कि डॉ. संदीप को मिल रहा है।

फलों के लिए 6 फीट के ड्रम का उपयोग (6 feet drum used for fruits)

डॉ. संदीप ने सब्ज़ियां जहां ग्रो बैग और गमलों में लगाई हुई हैं, वहीं फलों को उन्होंने 6 फीट के ड्रम में लगाया है। उनके बगीचे में पपीता, चीकू, अनार, अमरूद, नींबू, मौसंबी जैसे कई फलों के पेड़ हैं। डॉ. संदीप बताते हैं कि उनके कृषि वैज्ञानिक मित्र ने उन्हें सलाह दी कि छत पर ऐसे फल लगाएं जिनकी जड़ 6 फीट तक जाती हो। इसके लिए ड्रम का उपयोग किया जा सकता है, मगर इसमें हवा की आवाजाही होनी ज़रूरी है जिसके लिए ड्रम में छेद किया जाता है।

खाद के लिए किचन वेस्ट का इस्तेमाल (Use of kitchen waste for compost)

डॉ. संदीप पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती करते हैं। उनका कहना है कि पौधों में किसी तरह के केमिकल और खाद का इस्तेमाल नहीं करते हैं। किचन ने निकले वाले फलों और सब्ज़ियों को छिलके को ही खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं। पौधों में कीड़े आदि लगने पर वो नीम तेल का छिड़काव करते हैं। ऑर्गेनिक तरीके से ही उन्हें फल और सब्ज़ियों का अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है। वो बताते हैं कि उत्पादन इतना होता है कि आसपड़ोस और मित्रों को भी वो ताज़ी सब्ज़ियां बांटते हैं।

खास बात ये है कि संदीप कुमार खुद तो जैविक तरीके से फल और सब्ज़ियां उगा ही रहे हैं, साथ ही अपने यू ट्यूब चैनल के माध्यम से वो लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग स्वस्थ रह सके। वो कहते हैं कि बाज़ार में मिलने वाली सब्ज़ियों में स्वाद नहीं होता और उसमें केमिकल की मात्रा बहुत अधिक होती है जिससे घातक बीमारियां हो रही हैं। इसलिए जिनके के पास जगह है उन्हें खुद ही अपनी ज़रूरत की सब्ज़ियां उगानी चाहिए।

साइंटिफिक तरीके से लगाए पौधें (Plants planted in a scientific way)

बहुत से लोगों के मन में सवाल रहता है कि छत पर बगीचा बनाने से कहीं बहुत लोड तो नहीं आएगा या घर को किसी तरह का नुकसान तो नहीं पहुंचेगा? तो ऐसे लोगों के मन की शंका दूर करते हुए डॉ. संदीप बताते हैं कि वो खुद 2 साल से Terrace Gardening कर रहे हैं और उनके घर को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा है। वो बताते हैं कि उन्होंने पौधों को साइंटिफिक तरीके लगाया है।

जितने भी ग्रो बैग है उसमें सबसे पहले नारियल के छिलके की परत, उसके ऊपर वर्मी कंपोस्ट की परत और फिर उसके ऊपर मिट्टी डाली जाती है, जिससे वज़न ज़्यादा नहीं होता है। फलों के ड्रम में नारियल के छिलके की तीन परत है। नारियल का फ़ायदा ये होता है कि वो 4 साल तक अपना काम करता रहता है। इससे पोषक तत्व और पानी स्टोर रहते हें, जिससे पौधों को पानी और भोजन मिलता रहता है। 4 साल बाद नारियल का छिलका सड़कर खाद बन जाता है। इससे वज़न नहीं बढ़ता और न तो घर और न ही प्रकृति को किसी तरह का नुकसान होता है।

नहीं होता छत में रिसाव (No leakage in the roof)

कई लोगों को ये भी लगता है कि छत पर गार्डनिंग करने से लीकेज की समस्या हो सकती है। इस बारे में डॉ. संदीप का कहना है कि जब वो छत बनवा रहे थे तभी उनके दिमाग में गार्डनिंग की बात थी, तो उसी हिसाब से छत बनवाया है। आगे वो बताते हैं कि छत पर जितने भी ग्रो बैग है उन्हें सीधे छत पर नहीं रखा है, बल्कि एक फुट के लोहे के स्टैंड पर रखा गया है। ग्रो बैग में छेद होता है जिससे पानी निकलता है, तो ये पानी छत पर बनी हुई नाली से बह जाता है, उन्होंने छत की ढलान इस तरह से बनवाई है कि सारा पानी नाली की तरफ चला जाता है।

गर्मियों में पौधों का बचाव (Protecting plants in summer)

सर्दी और बरसात में आमतौर पर पौधों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होती हा, मगर छत पर लगे पौधों को गर्मी में जलने से बचाना ज़रूरी है। डॉ. संदीप बताते हैं कि गर्मियों के मौसम में गर्म हवाओं से पौधों को बचाने के लिए बगीचे के किनारे पर जो जाल लगा हुआ है उसके ऊपर उन्होंने हरे रंग की शीट लगाई है। जिससे साइड से आने वाली गर्म हवाओं से पौधों की हिफाज़त होती है।

वो बताते हैं कि सीधी धूप पौधों को नुकसान नहीं पहुंचाती, बल्कि साइड से आने वाली गर्म हवाओं से उन्हें नुकसान होता है, इसलिए किनारे में हरे रंग शीट लगाई हुई है। जब गर्मी बहुत बढ़ जाती है इस शीट की एक और लेयर लगा दी जाती है। साथ ही चारों तरफ स्प्रिंकलर लगाया हुआ है, जिससे जितनी ज़रूरत होती है उतना ग्रो बैग को पानी मिलता है और पानी की बर्बादी भी नहीं होती है। 

दूसरों को करते हैं प्रेरित (Inspire others to)

प्रोफेसर संदीप का कहना है कि वो चाहते हैं कि न सिर्फ़ वो और उनका परिवार, बल्कि आसपास के सारे और पूरा समाज स्वस्थ रहे। उन्हें देखने के बाद बहुत से लोगों ने Terrace Garden बनाया है। और बहुत से लोग उनसे बीज, पौधे और सलाह मांगने आते हैं। वो ऐसे सभी लोगों की मदद करते हैं। यही नहीं वो आस-पड़ो से लोगों को सब्ज़ियां देकर पहले उसका स्वाद चखने के लिए कहते हैं ताकि लोगों को ऑर्गेनिक सब्ज़ी और बाज़ार की केमिकल वाली सब्ज़ी का फर्क समझ आए। जब उन्हें फर्क समझ आता है तो खुद ही उगाने के लिए प्रेरित होते हैं।

सुकून का एहसास (feeling of relief)

Terrace Garden से डॉ. संदीप को ताज़े फल और सब्ज़ियां तो मिलती ही हैं, साथ ही उन्हें सुखद एहसास भी होता है। वो बताते हैं कि सुबह-शाम जब वो अपने पौधों के पास आते हैं तो मन सुकून से भर जाता है और जन्नत में आने का एहसास होता है, चारों ओर पक्षियों की चहचहाट सुनाई देती है जो सुखद एहसास दिलाती है।

नदियों का संरक्षण (Conservation of rivers)

डॉ. संदीप के Terrace Garden की एक और खासियत यह है कि इसके ज़रिए वो युवा पीढ़ी को नदियों के संरक्षण के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं। दरअसल, उन्हों ने ग्रो बैग को नदियों का नाम दिया है जैसे सिंध, बेतवा, नर्मदा, कावेरी, यमुना आदि। तो स्कूल-कॉलेज के जो बच्चे उनके यहां Terrace Gardening सी जुड़ी स्टडी के लिए आते हैं, उन्हें अपने राज्य की नदियों के बारे में जानकारी मिलती है। उन्हें पता नहीं है कि नदियां जीवनदायिनी हैं। साथ ही जब वो यहां से जाते हैं तो गूगल सर्च करके इसके बारे में जानकारी जुटाते हैं, जिससे उन्हें अपनी संस्कृति और प्रकृति को करीब से समझने में मदद मिलती है।

ज़रा सोचिए डॉ. संदीप की तरह अगर हर कोई अपनी छत पर Terrace Garden बना ले तो पर्यावरण और सेहत दोनों के लिए कितना अच्छा होगा। 

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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