जैविक खेती के साथ ही वर्मीकंपोस्ट (Vermicompost) बन रहा है महिलाओं की अतिरिक्त कमाई का जरिया

ऑर्गेनिक फूड प्रॉडक्ट्स की मांग बढ़ने के साथ ही इसके लिए ज़रूरी वर्मीकंपोस्ट (Vermicompost) की मांग भी बढ़ गई है। महिला किसानों और स्वयं सहायता समूहों (Self-Help Groups) के साथ ATMA ग्रुप पंचकव्य, अमृता करैसल और पांच पत्ती के अर्क के उत्पादन में भी महिलाओं की ज़्यादा भागीदारी को बढ़ावा दे रहा है।

वर्मीकंपोस्ट

जैविक खेती के लिए ज़रूरत होती है जैविक खाद (Organic Manure) की और इसकी कमी दूर करने के लिए ही एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी (ATMA) लोगों को जागरुक और प्रशिक्षित कर रहा है। वर्मीकंपोस्ट (ऑर्गेनिक खाद) का उत्पादन करके खेती के लिए जहां प्राकृतिक और पौष्टिक खाद मिलेगा, वहीं स्थानीय महिलाएं इससे कमाई भी कर सकती हैं। गोवा और कराईकल जिले में ATMA (Agriculture Technology Management Agency) ने स्थानीय महिलाओं को न सिर्फ वर्मीकंपोस्ट बनाने की तकनीक बताई, बल्कि उन्हें इसके लिए प्रेरित करके किसानों की खाद की कमी की समस्या को भी हल करने की कोशिश की है। यह खाद बनाना बेहद आसान है और यह किसानों को भी सस्ती मिल जाती है। यानी इससे दो तरफा फायदा हो रहा है।

क्या है वर्मीकंपोस्ट?

यह किचन या घर से निकलने वाले कचरे से तैयार खाद है, जिसे केंचुए (Earthworms) की मदद से बनाया जाता है। केंचुए से बनी यह खाद मिट्टी को और अधिक उपजाऊ बनाती है। वर्मीकंपोस्ट में ऐसे तत्व होते हैं जो पानी में आसानी से घुल जाते हैं, इसलिए यह खाद भूमि में अच्छी तरह अवशोषित होकर उसे उपजाऊ बनाती है।

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ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा

एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी (ATMA), गोवा ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय महिलाओं को वर्मीकंपोस्ट बनाने के लिए प्रेरित कर रहा है। इसके अलावा रोजा ATMA ग्रुप, जो एक महिला CIG है जिसमें कमोडिटी इंटरेस्ट ग्रुप ‘ऑर्गेनिक फार्मिंग’के तहत 16 महिला सदस्य शामिल हैं, वह भी ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्मीकंपोस्टिंग के लिए महिलाओं को जागरुक कर रही है। इस ग्रुप ने व्यवसायिक आधार पर वर्मीकंपोस्ट का उत्पादन करने का निर्णय लिया है। हालांकि, ये मुख्य रूप से वर्मीकंपोस्ट का ही उत्पादन करते हैं, लेकिन साथ में पंचकव्य, अमृता करैसल और पांच पत्ती के अर्क का भी उत्पादन कर रहे हैं।

कराईकल का रोजा ATMA ग्रुप और गोवा में ATMA महिला किसानों के स्वयं सहायता ग्रुप ने वर्मीकंपोस्ट बिनेस में बनाया मुकाम
तस्वीर साभार: Ministry of Agriculture and Farmers Welfare

 

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वर्मीकंपोस्ट से अतिरिक्त कमाई

वर्मीकंपोस्ट बनाकर अतिरिक्त कमाई की जा सकती है, इसके लिए कराईकल का रोजा ATMA ग्रुप और गोवा में ATMA महिला किसानों के स्वयं सहायता ग्रुप को वर्मीकंपोस्ट बनाने की तकनीक बताने के साथ ही उन्हें प्रशिक्षण भी दे रहा है। जगह-जगह जाकर यह ग्रुप महिला किसानों के स्वयं सहायता ग्रुप को अपनी इस पहल से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहा है। शुरुआत में कम लागत वाली वर्मीकंपोस्ट यूनिट बनाई गई जिसमें फूस की छत और सीमेंट का फर्श था। इसके बाद समूह ने पंचकव्य, अमृता करैसल और पांच पत्ती के अर्क की बिक्री भी शुरू की। अब वह चावल का आटा, रागी का आटा, अचार, चावल के आटे से बने स्नैक्स भी बेचकर अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं। गोवा में महिला किसानों को शुरुआत में गाय के गोबर की कमी की समस्या आई, जो कि खाद के लिए मुख्य कच्चा माल है, लेकिन ATMA ग्रुप ने इस समस्या को हल कर दिया।

कराईकल का रोजा ATMA ग्रुप और गोवा में ATMA महिला किसानों के स्वयं सहायता ग्रुप ने बनाया वर्मीकंपोस्ट को सफल बिजनेस
तस्वीर साभार: Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, Centre for Indian Knowledge System

गोवा में मिली सफलता

ATMA ग्रुप को गोवा में बड़ी सफलता मिली। किरलापाल डाबल के स्वयं सहायता समूहों ने वर्मीकंपोस्ट बनाने के लिए प्लास्टिक के (12x3x2 फीट) के चार बेड तैयार किए और 2 महीने में वर्मीकंपोस्ट बनकर तैयार हो गया। समूह ने खुद के रोज़गार के लिए इस काम को जारी रखा है और पिछले डेढ़ साल में 9-10 टन वर्मीकंपोस्ट की बिक्री कर चुके हैं। अब ये ग्रुप और प्लास्टिक बेड बनाकर अपने व्यवसाय का विस्तार करने की सोच रहे हैं।

मुनाफ़े के साथ ही पूरी हो रही खाद की कमी

वर्मीकंपोस्ट बनाने में अतिरिक्त लागत नहीं आती है और इससे महिला किसानों की अच्छी आमदनी भी हो रही है। साथ ही स्थानीय किसानों को अब ऑर्गेनिक खाद की कमी भी नहीं होती, क्योंकि आसपास ही इसका अच्छा उत्पादन होने से उन्हें कम कीमत में पौष्टिक वर्मीकंपोस्ट मिल जाता है। गोवा में महिला किसानों का स्वंय सहायता समूह वर्मीकंपोस्ट का अपना ब्रांड बनाने की सोच रहा है, जिससे बाज़ार में उनकी पहचान बनेगी। साथ ही वह इसे नए बाज़ार तक पहुंचाने की भी कोशिश कर रही हैं, जिससे आमदनी में इज़ाफा हो।

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