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राजस्थान के झालावाड़ ज़िले (Jhalawar district) के पुरादेवडुंगरी, धतूरिया कलानी गांव के रहने वाले किसान देवी लाल गुर्जर उन किसानों में से एक हैं जो नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) को बढ़ावा दे रहे हैं। वह खुद 2013 से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। उन्होंने प्राकृतिक खेती की सभी तकनीकों को पूरी तरह से अपनाया और इससे उन्हें अच्छी फसल प्राप्त होने के साथ ही मुनाफा भी अधिक हुआ। वह अपने इलाके के किसानों को भी प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं, इसलिए उन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है।
बीज उपचार से लेकर कीट प्रबंधन तक (From Seed Treatment To Pest Management)
देवी लाल गुर्जर ने 2013 में नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) की शुरुआत की और वह मसाले, अलसी, उड़द, मूंग, हल्दी, गेहूं और पपीते की खेती करने लगे। उन्होंने खेती के लिए सभी प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल किया। खाद से लेकर कीटनाशक तक के लिए केमिकल की बजाय कुदरती तकनीक अपनाई।
बीज उपजार के लिए बीजामृत का इस्तेमाल किया, कीट नियंत्रण के लिए दशपर्णी अर्क और मिट्टी को पोषण देने के लिए घनजीवामृत का उपयोग किया। इसके अलावा नीमास्त्र, ह्यूमिक एसिड और गोरटांकड़ा का इस्तेमाल किया।
फसल के अवशेषों का इस्तेमाल (Use Of Crop Residues)
नेमाटोड नियंत्रण के लिए महुआ के अर्क का इस्तेमाल किया। फसल के अवशेषों को इकट्ठा करके 15 दिन के लिए किण्वित किया जाता है और 15 दिन बाद किण्वित मिश्रण का छिड़काव किया जाता है ताकि नेमाटोड को नियंत्रित किया जा सके।
फसल के अवशेषों का कुदरती मल्च के रूप में इस्तेमाल से सिंचाई की अधिक ज़रूरत नहीं पड़ती यानी लंबे अंतराल के बाद सिंचाई की जा सकती है, खरपतवार जल्दी नहीं फैलते और मिट्टी के कार्बनिक पदार्थ में वृद्धि होती है।
मिश्रित खेती है फायदेमंद (Mixed Farming Is Beneficial)
उन्होंने हल्दी और मिर्च की मिश्रित खेती की और जिसका फायदा जल्द ही नज़र आने लगा। दोनों ही फसलों में रोग व बीमारियों का प्रकोप बहुत कम रहा। मिर्च के लीफ कर्ल रोग को हल्दी के साथ इसे उगाकर नियंत्रित किया जा सकता है। देवी लाल गुर्जर ने खेती के साथ ही वर्मी कंपोस्ट की 8 इकाई भी स्थापित की।
प्राकृतिक खेती के फायदे (Advantages Of Natural Farming)
1.नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) से खेती की लागत कम हो गई, क्योंकि महंगे खाद और केमिकल युक्त कीटनाशक खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ी यानी कुल मिलाकर बाहरी चीज़ों पर निर्भरता कम हो गई।
2.पारंपरिक खेती की तुलना में प्राकृतिक खेती से गेहूं, मेथी, धनिया, अलसी, उड़द, मूंग, मक्का, चना आदि की रिकॉर्ड तोड़ फसल हुई। इससे फसल की गुणवत्ता में सुधार हुआ जिससे बाज़ार में अच्छी कीमत मिल जाती है।
-3.मिट्टी की सेहत में सुधार और इसके कार्बनिक तत्व में 0.39% से 0.68% की बढ़ोतरी हुई। मिट्टी में केंचुए और अन्य सूक्ष्मजीव जो मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाते हैं, कि संख्या में वृद्धी हुई।
4. पारंपरिक खेती से देवी लाल गुर्जर को जहां सालाना 1,08,500 रुपए का लाभ होता था, वहीं प्राकृतिक खेती से 1,49,300 का शुद्ध मुनाफा हो रहा है।
कई पुरस्कारों से सम्मानित (Honored With Many Awards)
राजस्थान सरकार की ओर से उन्हें 2017-18 में जैविक खेती के लिए विशेष सम्मान दिया गया। फरवरी 2020 में ऑर्गेनिक एक्सपो अवॉर्ड मिल चुका है। वह अब कृषि विज्ञान केंद्र, झालावर में अन्य किसानों को ICT tools की मदद से प्रशिक्षण देते हैं।
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