Vegetable Production : सब्ज़ियों की खेती में दिलीप कुमार सिंह बने सफल उद्यमी, मिले सम्मान और पुरस्कार

साल 2004 में, दिलीप कुमार सिंह कृषि विज्ञान केंद्र, रोहतास, बिक्रमगंज के संपर्क में आए। यहां के कृषि वैज्ञानिकों ने उन्हें कई सब्जि़यों जैसे टमाटर, भिंडी, फूलगोभी, बैगन, आलू, प्याज, मिर्च, लौकी, करेला और शिमला मिर्च के वैज्ञानिक उत्पादन की तकनीकें सिखाईं। इससे उनके उत्पादन और आमदनी में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई।

Vegetable Production : सब्ज़ियों की खेती में दिलीप कुमार सिंह बने सफल उद्यमी, मिले सम्मान और पुरस्कार

कृषि (Vegetable Entrepreneur) केवल एक पेशा नहीं, बल्कि लगन के साथ विज्ञान का भी मेल है। इसी को ध्यान में रखते हुए  प्रगतिशील किसान दिलीप कुमार सिंह (Dilip Kumar Singh) ने अपने कठिन परिश्रम और मेहनत रे बल पर अपनी किस्मत बदली और सब्ज़ी उत्पादन (Vegetable Production) में एक सफल उद्यमी के तौर पर सामने आए।

दिलीप कुमार सिंह का जन्म 1 जनवरी 1972 को बिहार के रोहतास जिले के सासाराम के निकट मेहदीगंज गांव में हुआ। उनके पिता राम व्यास सिंह एक साधारण किसान थे, और परिवार की आर्थिक स्थिति अत्यंत कठिन थी। दिलीप ने इंटर तक की पढ़ाई पूरी की, लेकिन आर्थिक समस्याओं के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। साल 1993 में, उन्होंने सब्ज़ी खरीदारी (Vegetable Production) और बिक्री को अपना जीविकोपार्जन का ज़रीया बनाया।

सब्ज़ी उत्पादन की शुरुआत (Start of Vegetable Production)

परिवार के भरण-पोषण के लिए केवल सब्जी की खरीद-बिक्री पर्याप्त नहीं थी, इसलिए उन्होंने खुद सब्ज़ी उत्पादन करने का फ़ैसला लिया। उनकी अपनी कोई ज़मीन नहीं थी, इसलिए उन्होंने सासाराम प्रखंड के मिशिरपुर गांव में 2 एकड़ जमीन लीज पर लेकर खेती की शुरुआत की। कठिन मेहनत और समर्पण से उन्होंने सफलतापूर्वक सब्ज़ी उत्पादन किया और अच्छी आमदनी प्राप्त की।

इसके बाद उन्होंने अपने काम को बढ़ाया और कुराइच, दयालपुर, लालगंज, नीमा, कोटा, सुमा और जयनगर जैसे गांवों में करीब 20 एकड़ भूमि पर सब्ज़ी की खेती करने लगे।

सब्ज़ी उत्पादन में उन्नत कृषि तकनीकों का इस्तेमाल (Use Advanced Agricultural Technology In Vegetable Production)

साल 2004 में, दिलीप कुमार सिंह कृषि विज्ञान केंद्र, रोहतास, बिक्रमगंज के संपर्क में आए। यहां के कृषि वैज्ञानिकों ने उन्हें कई सब्जि़यों जैसे टमाटर, भिंडी, फूलगोभी, बैगन, आलू, प्याज, मिर्च, लौकी, करेला और शिमला मिर्च के वैज्ञानिक उत्पादन की तकनीकें सिखाईं। इससे उनके उत्पादन और आमदनी में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई।

इसके अलावा, उन्होंने भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर), वाराणसी और उद्यान विभाग, बीएचयू, वाराणसी से नवीनतम तकनीकों का प्रशिक्षण लिया।। उन्होंने जैविक और अजैविक दोनों प्रकार की खेती में विशेषज्ञता हासिल की।

खेती का विस्तार और आर्थिक सफलता (Expansion Of Farming And Economic Success)

लगातार मेहनत और इनोवेशन  के साथ, उन्होंने 100 एकड़ पट्टे की ज़मीन पर सब्ज़ी उत्पादन शुरू किया। उनकी सालाना आय 7-10 लाख रुपये तक पहुंच गई। उनके द्वारा विकसित कृषि प्रणाली में अंतर-फसल तकनीक, मिश्रित फसल प्रणाली, फसल सुरक्षा उपाय, प्रभावी श्रम प्रबंधन शामिल हैं। उन्होंने अपने खेती के विस्तार के साथ 15-20 हजार मजदूरों को हर साल रोजगार भी दिया।

सम्मान और पुरस्कार (Honor’s and Awards)

उनकी मेहनत और उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें कई बार राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर, राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, केवीके, रोहतास और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), नई दिल्ली ने उन्हें सम्मानित किया। उन्हें 2012-13 में आईसीएआर, नई दिल्ली द्वारा “जगजीवन राम अभिनव किसान पुरस्कार” से सम्मानित किया गया।

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