World Bee Day 2025: क्यों हैं मधुमक्खियां किसानों की सच्ची दोस्त? मधुमक्खी पालन में सफलता की कहानियां और सरकारी योजनाएं

20 मई, विश्व मधुमक्खी दिवस (World Bee Day 2025) पर जानिए कैसे ये छोटी-सी मेहनती जीव हमारी कृषि और अर्थव्यवस्था की 'अनसुनी हीरो' बनी हुई है। मधुमक्खियां न सिर्फ शहद बनाती हैं, बल्कि 80 फीसदी फसलों की उपज बढ़ाने में मदद करती हैं।

World Bee Day 2025: क्यों हैं मधुमक्खियां किसानों की सच्ची दोस्त? मधुमक्खी पालन में सफलता की कहानियां और सरकारी योजनाएं

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आपने सुना होगा ‘मधुमक्खी के बिना, खाने की थाली आधी!” ये कोई मज़ाक नहीं, बल्कि सच्चाई है। 20 मई, विश्व मधुमक्खी दिवस (World Bee Day 2025) पर जानिए कैसे ये छोटी-सी मेहनती जीव हमारी कृषि और अर्थव्यवस्था की ‘अनसुनी हीरो’ बनी हुई है। मधुमक्खियां न सिर्फ शहद बनाती हैं, बल्कि 80 फीसदी फसलों की उपज बढ़ाने में मदद करती हैं। जब ये फूलों पर बैठती हैं, तो परागण (Pollination) होता है, जिससे फल, सब्जियां और बीज पैदा होते हैं। अगर मधुमक्खियां गायब हो जाएं, तो हमारी ⅓ खाद्य आपूर्ति खतरे में पड़ जाएगी।

‘मीठी क्रांति’: भारत की शहद सुपरपावर बनने की राह (‘Sweet Revolution’: India’s path to becoming a Honey Superpower)

भारत दुनिया का 6वां सबसे बड़ा शहद निर्यातक है। 2019-20 में देश ने 59,500 टन शहद निर्यात कर 600 करोड़ कमाए। अमेरिका, सऊदी अरब जैसे देश भारतीय शहद के दीवाने हैं। केंद्र सरकार की “मीठी क्रांति” इसी को बढ़ावा दे रही है।

कैसे किसानों की आय दोगुनी कर रही हैं मधुमक्खियां? (How are bees doubling the income of farmers?)

1.शहद बेचकर: एक छोटा मधुमक्खी फार्म सालाना 50,000-1 लाख रुपये तक कमा सकता है।

2.फसल उत्पादन बढ़ाकर: परागण से कीवी, स्ट्रॉबेरी जैसी फसलों की पैदावार 30% तक बढ़ जाती है!

3.जैविक शहद का बढ़ता बाजार: विदेशों में ऑर्गेनिक हनी की मांग को भारतीय किसान भुनाकर करोड़ों कमा सकते हैं।

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आप भी बन सकते हैं ‘हनी हीरो’! (You can become a ‘Honey Hero’!)

सरकार मुफ्त ट्रेनिंग, बी-बॉक्स और सब्सिडी दे रही है। राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन मिशन के तहत 100+ लैब्स बन रही हैं, जहां आप शहद की गुणवत्ता जांच सकते हैं।

राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (National Beekeeping and Honey Mission)

राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (NBHM) की शुरुआत भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत की गई थी। इस मिशन का उद्देश्य न केवल शहद उत्पादन को बढ़ावा देना है, बल्कि कृषि उत्पादकता में वृद्धि करना, पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित करना भी है। 

इस मिशन का मुख्य उद्देश्य मधुमक्खी पालन (Beekeeping) को बढ़ावा देना, किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और शहद उत्पादन को प्रोत्साहित करना है। इस योजना के तहत किसानों को 40-60 फीसदी तक की सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिससे वे आवश्यक उपकरणों और प्रशिक्षण का लाभ उठा सकें। 

राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (NBHM) की शुरुआत भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत की गई थी। इस मिशन का उद्देश्य न केवल शहद उत्पादन को बढ़ावा देना है, बल्कि कृषि उत्पादकता में वृद्धि करना, पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित करना भी है। 

कृषि और शहद उत्पादन (Agriculture and Honey Production)

कृषि और शहद उत्पादन (Agriculture and Honey Production) का गहरा संबंध है। शहद न सिर्फ़ स्वादिष्ट प्राकृतिक मिठास देने वाला उत्पाद है, बल्कि कृषि उद्योग और पर्यावरण को समर्थन देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कृषि और शहद के बीच जटिल संबंध है, जिसमें परागण, जैव विविधता और आर्थिक विकास शामिल है। 

योजना के तहत मिलने वाले फ़ायदे (Benefits Available Under The Scheme)

राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन के तहत किसानों और उद्यमियों को कई प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:

1. मधुमक्खी पालन उपकरणों पर सब्सिडी

मधुमक्खी पालन के लिए आवश्यक उपकरणों की खरीद पर सरकार 40-60% तक की सब्सिडी प्रदान करती है। इससे किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले उपकरण कम लागत में उपलब्ध हो सकते हैं।

2. प्रशिक्षण कार्यक्रम

मधुमक्खी पालन को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए सही जानकारी और तकनीकी ज्ञान आवश्यक है। इस योजना के तहत किसानों और उद्यमियों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, जिससे वे आधुनिक मधुमक्खी पालन तकनीकों को सीख सकें।

3. शहद उत्पादन को बढ़ावा

इस योजना के तहत किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले मधुमक्खी के बक्से, शहद निकालने की मशीनें और अन्य आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं, जिससे शहद उत्पादन में बढ़ोतरी हो सके।

4. आर्थिक सहायता और वित्तीय अनुदान

मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों को आर्थिक सहायता और अनुदान भी प्रदान करती है, जिससे वे इस व्यवसाय को और अधिक सशक्त बना सकें।

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राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन के प्रमुख उद्देश्यों पर एक नज़र (A look At The Main Objectives Of The National Beekeeping And Honey Mission)

राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (NBHM) केवल शहद उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके व्यापक उद्देश्य हैं:

1.कृषि उत्पादकता में वृद्धि: मधुमक्खियों द्वारा परागण से फसल उत्पादन में वृद्धि होती है।

2.पर्यावरण संतुलन: मधुमक्खियों के संरक्षण से जैव विविधता बनी रहती है।

3.रोजगार के अवसर: ग्रामीण इलाकों में स्वरोजगार को बढ़ावा मिलता है।

4.तकनीकी उन्नति: आधुनिक मधुमक्खी पालन तकनीकों का समावेश।

मधुमक्खी पालन का पारिस्थितिक महत्व (Ecological Importance Of Beekeeping)

मधुमक्खियों की संख्या में वृद्धि से फसलों की उत्पादकता बढ़ती है, जिससे खाद्य सुरक्षा में सुधार होता है। इसके अलावा, यह पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है। मधुमक्खी पालन का विस्तार करके हम सतत कृषि और पर्यावरणीय स्थिरता को सुनिश्चित कर सकते हैं।

मधुमक्खी पालन में मधुमक्खी पालकों की सफलता की कहानियां- (Beekeepers’ success stories in Beekeeping)

 

हमीरपुर में मधुमक्खी पालन की सफलता  

हमीरपुर जिला, जो उत्तर प्रदेश के चित्रकूट धाम मंडल का हिस्सा है, यहां की जलवायु गर्मियों में अत्यधिक गर्म होती है, जहां तापमान 43°C तक पहुंच सकता है, वहीं सर्दियों में यह 20°C तक गिर जाता है। इस क्षेत्र में तिल, बाजरा, तोरिया, सरसों, बरसीम, सूरजमुखी, और बागवानी फ़सलें जैसे नींबू, अमरूद, आंवला, पपीता भी सफलतापूर्वक उगाई जाती हैं। कृषि विज्ञान केंद्र, हमीरपुर और बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की टीम ने पाया कि इन फ़सलों के साथ मधुमक्खी पालन (Beekeeping) की संभावनाएं काफी मजबूत हैं। यहां की मौजूदा पर्यावरणीय परिस्थितियां मधुमक्खी पालन के लिए उपयुक्त हैं, और इस क्षेत्र में इसके विकास की काफी संभावनाएं हैं।

वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन  

हमीरपुर में मधुमक्खी पालन की सफलता का मुख्य कारण था उसकी वैज्ञानिक विधि। गर्मी में जल जमाव से बचने के लिए और सीधे गर्म हवा से बचने के लिए उपयुक्त स्थानों का चयन किया गया, जहां मधुमक्खी कॉलोनियों को स्थापित किया जा सके। इसके बाद, समय-समय पर एफआईजी सदस्यों को मधुमक्खी पालन (Beekeeping) के प्रबंधन पर वैज्ञानिक सलाह भी प्रदान की गई। इस वैज्ञानिक दृष्टिकोण ने मधुमक्खी पालन को एक लाभकारी और टिकाऊ व्यवसाय के रूप में स्थापित किया।

 कश्मीर की ‘Bee Queen’ सानिया जैहरा की मधुमक्खी पालन में सफलता की कहानी

कश्मीर की हरी-भरी वादियों में, जहां केसर के खेतों की खुशबू हवा में घुली रहती है और डल झील अपनी शांत सुंदरता से पर्यटकों को आकर्षित करती है, वहीं अब एक नई क्रांति की शुरुआत हो रही है। इस बदलाव की अगुवाई कर रही हैं सानिया जैहरा, जिन्होंने फिजियोथेरेपी के पेशे को छोड़कर मधुमक्खी पालन (Beekeeping) के क्षेत्र में कदम रखा। सानिया की कहानी एक प्रेरणा है, क्योंकि उन्होंने एक पारंपरिक करियर को छोड़कर एक नया और कठिन रास्ता अपनाया।

सामाजिक चुनौतियां और सानिया की सफलता  

सानिया के लिए यह रास्ता आसान नहीं था। एक महिला होकर, एक पुरुष प्रधान व्यवसाय में कदम रखना आसान नहीं था। कई लोगों ने सवाल उठाया कि क्या एक लड़की इस कठिन काम को संभाल पाएगी। लेकिन सानिया ने इन सभी सवालों को नजरअंदाज किया और यह साबित किया कि अगर कोई ठान ले तो किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। उन्होंने न सिर्फ़ अपना व्यवसाय स्थापित किया, बल्कि एक प्रेरणा भी बन गईं।

34 सालों से मधुमक्खी पालन कर रहे संजय सैनी की सफलता की कहानी

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले संजय सैनी 1990 से मधुमक्खी पालन (Beekeeping) कर रहे हैं और वो 16 तरह की शहद का उत्पादन कर रहे हैं। मधुमक्खी पालन से जुड़े अहम बातों और ये फ़सलों के लिए कैसे लाभदायक है, इन सभी मुद्दों पर उन्होंने विस्तार से चर्चा की किसान ऑफ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुंदेली के साथ।

2018 में बनाया FPO

संजय सैनी को मधुमक्खियों से ख़ासा लगाव है, इसलिए वो इस व्यवसाय में आए। उन्होंने 1990 में मधुमक्खी पालन (Beekeeping) का काम शुरू किया और 2018 में FPO बनाया जिसके ज़रिए वो मधुमक्खी पालन से जुड़े कई उत्पाद बेच रहे हैं। वो बताते हैं कि भारत में निकला शहद इंग्लैंड में 16000 रुपए किलो तक बिक रहा है। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि मधुमक्खी पालन (Beekeeping) में कितनी संभावनाए हैं।

अच्छी आमदनी

संजय सैनी बताते हैं कि वैश्विक रूप से मुधमक्खी के जहर की कीमत 5600 रुपए प्रति ग्राम है। रॉयल जेली 25 से 50 हजार रुपए प्रति किलो बिकता है। पराग की बात करें तो अलग-अलग फूलों के पराग 1000 से 5000 रुपए किलो तक बिकते हैं।

11 साल के हर्ष ने शुरू किया मधुमक्खी पालन 

हरियाणा के झज्जर जिले के एक छोटे से गांव अहरी के रहने वाले, मात्र 11 वर्षीय हर्ष कलिरामन ने अपनी कम उम्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। पांचवी कक्षा में पढ़ने वाले इस होनहार छात्र ने मधुमक्खी पालन (Beekeeping) में रुचि लेकर न केवल शहद उत्पादन को समझा है, बल्कि रॉयल जेली उत्पादन में भी महारत हासिल की है। हर्ष ने झज्जर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), हिसार कृषि विश्वविद्यालय (HAU) और महेंद्रगढ़ के इंटीग्रेटेड हॉर्टिकल्चर डिवेलपमेंट सेंटर, सुंद्राह से मधुमक्खी पालन और रॉयल जेली उत्पादन की गहन जानकारी प्राप्त की है।

हर्ष का संदेश

हर्ष का मानना है कि मधुमक्खी पालन न केवल एक लाभकारी व्यवसाय है, बल्कि यह पर्यावरण और कृषि के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनका सपना है कि हर किसान मधुमक्खी पालन को अपनाए और अपनी आय में वृद्धि करे।   

अनिकेश द्विवेदी हैं मधुमक्खी पालन में प्रगतिशील किसान

मधुमक्खी पालन Beekeepingउत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के मंझनपुर गांव से ताल्लुक रखने वाले 22 वर्षीय अनिकेश द्विवेदी नई तकनीकों के माध्यम से मधुमक्खी पालन को एक व्यावसायिक अवसर के रूप में विकसित कर रहे हैं। मधुमक्खी पालन में रुचि रखने वाले अनिकेश ने अपनी 1-5 एकड़ भूमि का कुशलतापूर्वक उपयोग कर इस क्षेत्र में कदम रखा। युवा होने के बावजूद, उन्होंने तकनीकी नवाचारों और अपनी मेहनत से स्थानीय स्तर पर एक नई पहचान बनाई है।

पहाड़ी क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन को मिल रहा बढ़ावा (Beekeeping is getting a boost in hilly areas)

उत्तराखंड में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। राजकीय मौन पालन केंद्र, ज्योलीकोट के सीनियर रिसर्च असिस्टेंट पूरन सिंह ने बताया कि उनका संस्थान उद्यान विभाग के अंतर्गत आता है, जो उत्तराखंड के विभाग की एक ब्रांच है, जहां किसान और युवाओं को मधुमक्खी पालन से जुड़ी ट्रेनिंग दी जाती है। उन्हें बीहाइव्स, बी कॉलोनी उपलब्ध कराई जाती है, जिससे वो अपने इलाके में मधुमक्खी पालन की शुरुआत कर सकें।

आपको बता दें कि राजकीय मौन पालन केंद्र, ज्योलीकोट उत्तर भारत का सबसे पुराना संस्थान हैं जहां मधुमक्खी पालन की तकनीकी जानकारी देने के साथ ही इसे व्यवसाय से जोड़ने का प्रयास किया जाता है। 

मधुमक्खी पालन के लिए यहां पर कई तरह की योजनाएं हैं, जिनके ज़रिए मौन पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। हर एक योजना के तहत 7 दिन का प्रशिक्षण दिया जाता है और फिर इच्छुक युवाओं को मधुमक्खी पालन के लिए 40 फ़ीसदी की सब्सिडी दी जाती है।

World Bee Day 2025: क्यों हैं मधुमक्खियां किसानों की सच्ची दोस्त? मधुमक्खी पालन में सफलता की कहानियां और सरकारी योजनाएं

 प्रवासी मधुमक्खी पालन क्या है?(What is migratory beekeeping?)

शहद उत्पादन को भूमि प्रबंधन के रूप में भी देखा जा सकता है। कई मधुमक्खी पालक फसलों के चक्र का पालन करते हुए अपने छत्ते को अलग-अलग जगहों पर ले जाते हैं। ये प्रक्रिया, जिसे प्रवासी मधुमक्खी पालन के रूप में जाना जाता है, सुनिश्चित करने में मदद करती है कि मधुमक्खियों को पूरे वर्ष विभिन्न प्रकार के फूलों वाले पौधों तक पहुंच प्राप्त हो। ऐसा करने से, मधुमक्खी पालक कृषि परागण का समर्थन करते हैं, साथ ही विभिन्न प्रकार के पुष्प स्रोतों से शहद में आने वाले अनूठे स्वाद और गुणों से भी लाभान्वित होते हैं। 

हालांकि, कृषि और शहद उत्पादन के बीच कई लाभों के बावजूद, ऐसी चुनौतियां और खतरे भी हैं, जो दोनों क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं। सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक दुनिया भर में मधुमक्खियों की आबादी में गिरावट है, जिसे अक्सर कॉलोनी पतन विकार (सीसीडी) कहा जाता है। आवास हानि, कीटनाशकों का उपयोग, जलवायु परिवर्तन और बीमारियों जैसे कारकों ने मधुमक्खियों की आबादी को प्रभावित किया है।

मधुमक्खी पालन व्यवसाय (Beekeeping Business)

भारत में मधुमक्खी पालन सदियों से किया जाता रहा है, लेकिन हाल ही में इसे एक व्यवहार्य करियर विकल्प के रूप में मान्यता मिली है। शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ, मधुमक्खी पालन हम में से कई लोगों के लिए एक आकर्षक व्यवसाय का अवसर बनता जा रहा है।

भारत विविध प्रकार की वनस्पतियों और जीवों का घर है, जो इसे मधुमक्खी पालन के लिए आदर्श बनाता है। देश में एक समृद्ध कृषि अर्थव्यवस्था है, जिसमें आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खेती में शामिल है। मधुमक्खी पालन पारंपरिक कृषि का पूरक है क्योंकि यह परागण में मदद करता है, जिससे फसल की पैदावार बढ़ती है। 

मधुमक्खी पालन एक करियर के रूप में लोकप्रिय (Beekeeping is popular as a Career)

भारत में मधुमक्खी पालन को एक करियर के रूप में भी लोकप्रियता मिली है। इसका एक मुख्य कारण शहद की बढ़ती मांग है। शहद न केवल प्राकृतिक मिठास देता है बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। इसका इस्तेमाल तरह तरह की खाने की चीज़ों में, हर्बल उपचार के रूप में, और सौंदर्य और त्वचा देखभाल से जुड़े उत्पादों में किया जाता है। भारत पर्याप्त मात्रा में शहद का उत्पादन करता है, लेकिन मांग आपूर्ति से कहीं अधिक है, जिससे मधुमक्खी पालन एक लाभदायक उद्यम बन गया है। 

 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

इसे भी पढ़िए: National Beekeeping And Honey Mission: राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन है किसानों और उद्यमियों के लिए वरदान

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