Apiculture: मधुमक्खी पालन में है दम, लागत आए कम, कैसे कमाएं हर महीने 5 लाख रुपये का मुनाफ़ा?

मधुमक्खी पालन उन किसानों के लिए कमाई का अच्छा ज़रिया है जिनके पास खेती योग्य ज़मीन कम है या बिल्कुल भी नहीं हैं। मधुमक्खी पालन को ही मौन पालन या एपीकल्चर (Apiculture) भी कहते हैं।

Apiculture मधुमक्खी पालन

मधुमक्खी पालन न सिर्फ़ छोटे किसानों, बल्कि बेरोज़गार युवाओं के लिए भी कमाई का बेहतरीन विकल्प है। मधुमक्खी पालन में शहद और मोम के साथ ही पराग, प्रोपोलिस, रायल जेली और डंक विष जैसे उत्पाद भी प्राप्त होते हैं। मधुमक्खी पालन उन किसानों के लिए कमाई का अच्छा ज़रिया है जिनके पास खेती योग्य ज़मीन कम है या बिल्कुल भी नहीं हैं। मधुमक्खी पालन को ही मौन पालन या एपीकल्चर (Apiculture) भी कहते हैं। मधुमक्खियों से न सिर्फ गुणकारी शहद प्राप्त होता है, बल्कि ये फसल का उत्पादन बढ़ाने में भी मददगार हैं।

मधुमक्खियों से फूलों में पर-परागण होने के कारण फ़सलों का उत्पादन अधिक होता है। मधुमक्खियों के पर-परागण की क्रिया से फसल उत्पादन में 15-30 प्रतिशत की वृद्धि होती है। मधुमक्खियों द्वारा परागण करने से बीजों की संख्या में वृद्धि होती है। मधुमक्खी पालन रोज़गार का अच्छा ज़रिया है।  इसमें कम लागत में अधिक मुनाफ़ा  कमाया जा सकता है, मगर इसके लिए मधुमक्खी पालन से जुड़ी कुछ अहम बातों का पता होना चाहिए।

सामाजिक कीट है मधुमक्खी (Honey Bees Are Social Insects)

भारत में मधुमक्खी पालन की संभावनाएं बहुत अधिक हैं, क्योंकि यहां व्यापक पैमाने पर जंगल मौजूद हैं। मधुमक्खियों को सामाजिक कीट कहा जाता है, क्योंकि ये हमेशा समूह में रहती हैं और समूह में रहकर ही काम करती हैं। मधुमक्खियों के समूह को ही हनी बी कॉलोनी (Honey Bee Colony) कहा जाता है। शहद बनाने वाली मधुमक्खियों की एक कॉलोनी में तीन तरह की मधुमक्खियां होती हैं- श्रमिक, ड्रोन और रानी। इनमें रानी मक्खी सबसे अहम होती है क्योंकि यही मधुमक्खियों की जनसंख्या बढ़ाती है। रानी मधुमक्खी 4-5 साल तक ज़िंदा रहती है और इसका काम सिर्फ़ अंडे देना होता है। एक कॉलोनी में सिर्फ़ एक ही रानी होती है। रानी मधुमक्खी एक दिन में 2500 से 3000 अंडे देती है, जबकि श्रमिक मधुमक्खियों की संख्या एक कॉलोनी में 5000 से 50000 तक होती है।  शहद बनाने का काम यही मधुमक्खियां करती हैं। ड्रोन यानी नर मधुमक्खियों का काम सिर्फ निषेचन (Fertilisaton) करना होता है।

मधुमक्खियों की प्रजातियां (Types Of Honey Bee)

हमारे देश में मुख्य रूप से मधुमक्खियों की 4 प्रजातियां पाई जाती हैं। छोटी मधुमक्खी जिसे एपिस फ्लोरिया कहते हैं। भैंरो या पहाड़ी मधुमक्खी जिसे एपिस डोरसाटा कहते हैं। देशी मधुमक्खी जिसे एपिस सिराना इंडिका कहा जाता है और इटैलियन या यूरोपियन मधुमक्खी जिसे एपिस मेलिफेरा कहते हैं। इनमें से एपिस सिराना इंडिका और एपिस मेलिफेरा को आसानी से लकड़ी के बक्सों में पाला जा सकता है। एपिस मेलिफेरा प्रजाति की रानी मक्खी की  अंडे देने की क्षमता बहुत अधिक होती है। मैदानी इलाकों में इस मधुमक्खी का पालन करना अच्छा होता है। इस प्रजाति की मधुमक्खी की एक कॉलोनी से एक साल में औसतन 40-60 किलो तक शहद प्राप्त होता है। यदि सही तरीके से प्रबंधन और देखभाल की जाए तो 100 किलो तक भी शहद प्राप्त हो सकता है।

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मधुमक्खी पालन के लिए ज़रूरी समान (Beekeeping Equipments)

  • मधुमक्खियों के लिए बॉक्स
  • शहद निकालने का यंत्र
  • हाइव स्टैंड
  • मधुमक्खी के छत्ते के कोष्टक (Brackets) छीलने के लिए चाकू
  • स्मोकर
  • मोम सीट
  • ब्रश (मधुमक्खियों को फ्रेम से अलग करने के लिए)
  • भोजन पात्र
  • ऊपरी ढक्कन
  • मौन निर्वासक (Extractor) (शहद निकालने के लिए)
  • दस्ताने (हाथ में पहनने के लिए)

मधुमक्खी पालन के लिए जगह का चुनाव (Ideal Location For Beekeeping)

  • मधुमक्खी पालन के लिए ऐसी जगह का चुनाव करें जहां दो से तीन कि.मी. के इलाके में पेड़-पौधे बहुत ज़्यादा हों। इससे  पराग और मकरंद साल भर मिलता रहेगा।
  • तेज़ हवाओं का मधुमक्खी पालन पर असर नहीं पड़ना चाहिए। इसलिए अगर उस स्थान पर छायादार पेड़ नहीं है, तो कृत्रिम रूप से छाया का प्रबंध किया जाना चाहिए।
  • मधुमक्खी पालन की जगह मुख्य सड़क से दूर, ज़मीन समतल और पानी निकलने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। पास में साफ और बहते पानी की व्यवस्था होना भी ज़रूरी है।
  • नया बगीचा मधुमक्खी पालन के लिए अच्छा रहता है। ज़्यादा घने बगीचे में गर्मी में हवा को आने-जाने में दिक्क्त होती है।
  • मधुमक्खी पालन वाली जगह पर उनके बक्सों के बीच पंक्ति से पंक्ति की दूरी 10 फ़ीट और बक्से से बक्से की दूरी तीन फ़ीट रखनी चाहिए। बॉक्स एक लाइन में रखे होने चाहिए। एक जगह 50 से 100 बक्से रखे जा सकते हैं।
  • मधुमक्खी पालन वाली जगह पर चारों तरफ तारबंदी या झाड़ियाँ (Hedge) लगा दें।

मधुमक्खियों का भोजन (Food Sources Of Honey Bees)

अन्य पालतू पशुओं और मछलियों की तरह मधुमक्खियों के लिए भोजन का प्रबंध करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। वो फूलों से पराग और मकरंद एकत्र करके अपने भोजन का प्रबंध कर लेती हैं। कभी-कभार ऐसा होता है कि आस-पास फूलों की कमी और पराग और मकरंद उपलब्ध न हो, तब उनके लिए भोजन का प्रबंध करने की ज़रूरत होती है। मधुमक्खियों को ऐसी स्थिति में चीनी के पानी का घोल दिया जाता है। इसकी मात्रा अलग-अलग हो सकती है। एक किलो चीनी को एक लीटर पानी में घोला  जाता है। इसे 50 प्रतिशत घोल कहा जाता है और  यह साधारण घोल है।

मधुमक्खियों को अधिक क्रियाशील बनाने के लिए 1 किलो चीनी को 3 लीटर पानी में घोलें।  इसे 25 प्रतिशत घोल कहा जाता है। बरसात के मौसम में 2 किलो चीनी में 1 लीटर पानी घोलकर दें।  इसे 66.6 प्रतिशत घोल कहा जाता है। घोल बनाने के लिए एक साफ बर्तन में पहले पानी उबालें और फिर उसमें धीरे-धीरे चीनी डालकर मिलाएं। जब ये घोल ठंडा हो जाए तभी कॉलोनी में दें।

मधुमक्खी पालन की शुरुआत कैसे करें? (How To Start Beekeeping Business?)

सबसे पहले तो इससे संबंधित ज़रूरी जानकारी जुटाएं। किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से प्रशिक्षण (Training) लें। किसी मौनपालक (Beekeeper) के साथ रहकर प्रैक्टिकल जानकारी प्राप्त करें और उसके बाद करीब 10-15 कॉलोनी से शुरुआत करें। मधुमक्खियों को रखने के लिए किसानों को ऐसे कार्बनिक मोम (डिब्बे) की ज़रूरत होती है, जिसमें 50 हज़ार से लेकर 60 हज़ार तक मधुमक्खियां एक साथ रखी जा सकती हैं। इससे  करीब एक क्विंटल शहद प्राप्त होता है। मधुमक्खी पालन के लिए अक्टूबर से नवंबर तक का महीना अच्छा होता है। इन महीनों में  फूलों की संख्या अधिक होती है, जिससे मधुमक्खियों को पर्याप्त मात्रा में पराग और मकरंद मिलता है।

मधुमक्खी पालन में खर्चा (Beekeeping Costs: Essential Expenses)

विशेषज्ञों की मानें तो 10 बॉक्स से मधुमक्खी पालन की शुरुआत करने पर लगभग 40 हज़ार रुपए का खर्च आता है। मधुमक्खियों की संख्या भी हर साल बढ़ती रहती है। ऐसे में जितनी ज़्यादा मधुमक्खियां होंगी, शहद का उत्पादन भी उतना ही ज़्यादा होगा। इससे मुनाफ़ा भी बढ़ता रहता है। बाज़ार में शुद्ध शहद करीब 700-1000 रुपए प्रति किलो की दर से बिकता है। ऐसे में अगर कोई प्रति बॉक्स 1000 किलो शहद का उत्पादन करता है, तो हर महीने वो 5 लाख़ तक का मुनाफ़ा कमा सकता है।

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मधुमक्खी पालन पर सब्सिडी (Subsidies For Beekeeping Business)

किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र और अलग-अलग राज्यों की सरकारों की तरफ़ से सब्सिडी दी जाती है। ये 80-85 फ़ीसदी तक होती है। इसके अलावा, राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (NBB) का नाबार्ड (NABARD) के साथ टाईअप है। दोनों ने मिलकर, भारत में मधुमक्खी पालन व्यवसाय के लिए आर्थिक मदद देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ किसानों को मिलता है।

मधुमक्खी पालन छोटे किसानों के लिए अतिरिक्त आमदनी का अच्छा ज़रिया है, साथ ही ग्रामीण इलाकों में बेरोज़गारी दूर करने का भी एक बेहतरीन माध्यम है। थोड़ी सी जानकारी और आधारभूत प्रशिक्षण लेकर कोई भी इस व्यवसाय को शुरू करके अच्छा-खासा मुनाफ़ा कमा सकता है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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